Twin Towers Demolition: सुपरटेक का नोएडा अथॉरिटी पर आरोप, यहां पढ़ें विवाद से जुड़े 5 सवाल

नोएडा (Nodia) के सेक्टर 93ए में दिल्ली के कुतुबमीर से भी ऊंची गगनचुंबी ट्विन टावर (Twin Tower) को आज जमीनदोज कर दिया जाएगा। सिर्फ 800 करोड़ में बने इन दो टावरों को 12 सेकेंड के ब्लास्ट में इसका नाम इतिहास में जोड़ दिया जाएगा। टावर को जमीनदोज करने से पहले सुपरटेक (SuperTech) ने बयान जारी किया है। सुपरटेक ने कहा कि नोएडा अथॉरिटी के द्वारा सेक्टर 93 ए में एमराल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट का एक हिस्सा हैं। दो टावरों सहित परियोजना की निर्माण योजनाओं को 2009 में नोएडा प्राधिकरण ने अपनी इजाजत दी थी।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने तकनीकी आधार पर निर्माण को संतोषजनक नहीं पाया और दो टावरों को ध्वस्त करने के आदेश जारी किए। हम कोर्ट के आदेशों का सम्मान करते हैं और इसे लागू करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमने एक विश्व प्रसिद्ध एजेंसी एडिफिस इंजीनियरिंग को विध्वंस के काम से सम्मानित किया है। जिसके पास ऊंची इमारतों के सुरक्षित विध्वंस करने में विशेषज्ञता है। इस विवाद से जुड़े 5 सवाल....
1. साल 2004 में नोएडा प्राधिकरण ने सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट को जमीन दी थी। इसके बाद कंपनी ने एक 6556.61 वर्गमीटर जमीन का टुकड़ा भी अपने नाम किया और इसे एक प्लाट बना दिया। जिसके बाद सुपरटेक ने एमराल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट को लेकर ऐलान किया।
2. जहां आज 32 मंजिला ट्विन टावर हैं, ये पहले 11 मंजील के 16 टावर्स बनने का प्लान था। लेकिन समय समय पर हुई बदलाव और इसके बाद मंजिल की ऊंचाई बढ़ती गई और अंत में होम बायर्स का सब्र टूट गया।
3. इन टावरों का नक्शा दिखाने के लिए आरडब्लूए ने बिल्डर और नोएडा अथॉरिटी से मांग की थी लेकिन नक्शा नहीं दिखाया गया। जिसके बाद मिलीभगत का आरोप लगा और लोगों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया।
4. एमराल्ड कोर्ट के टावर इस दूसरे से महज 9 मीटर की दूरी है। जबकि फायर ऑफिस का कहना है कि जब भी ऊंचाई वाले टावर बनाए जाते हैं तो दोनों की एस दूसरे से दूरी कम से कम 16 मीटर होनी चाहिए।
5. कई कमियों और लोगों के भारी विरोध के बाद ये मामले कोर्ट में पहुंचा। बायर्स इलाहाबाद हाई कोर्ट पहुंचे और पुलिस को जांच का आदेश मिला और बायर्स की बात सही साबित हुई। इसके बाद ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और ये ट्विन टावर अवैध तरीके से बनाए गए और इनमें नियमोंका उल्लंघन पाया गया।
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