UP Assembly Elections : सहारनपुर में अमित शाह कल रखेंगे शाकुंभरी देवी विश्वविद्यालय की नींव, दलित वोट बैंक पर रहेगी नजर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) द्वारा तीन विवादास्पद कृषि कानूनों (Agricultural Laws) को निरस्त करने की घोषणा के बाद केंद्रीय गृह मंत्री और पूर्व भाजपा अध्यक्ष अमित शाह (Amit Shah) 2 दिसंबर को पहली बार मुस्लिम और दलितों के वर्चस्व वाले जिले सहारनपुर में होंगे। हालांकि किसान एमएसपी गारंटी सहित कई अन्य मांगों के साथ अपना विरोध जारी रख रहे हैं, शाह के दौरे को कई लोग यूपी में किसानों को लुभाने के लिए बीजेपी (bjp) की कोशिश के रूप में देख रहे हैं, जो ज्यादातर पश्चिम यूपी क्षेत्र के जाट समुदाय और दलितों से हैं। अपने दौरे के दौरान शाह बेहट विधानसभा क्षेत्र में मां शाकुंभरी देवी विश्वविद्यालय (Maa Shakumbhari Devi University) की आधारशिला रखेंगे।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) भी मौजूद रहेंगे, जिन्होंने विश्वविद्यालय का नाम मां शाकुंभरी देवी के नाम पर रखने की घोषणा की थी। सहारनपुर के पूर्व सांसद राघव लखन पाल ने कहा कि विश्वविद्यालय की स्थापना की मांग लंबे समय से लंबित थी और यह युवाओं की जरूरतों को पूरा करेगी। उन्होंने कहा, शाकुंबरी देवी मंदिर बेहट में है और देवी पूरे पश्चिम यूपी क्षेत्र में पूजनीय हैं।
सात विधानसभा सीटों में से चार पर है भाजपा का कब्जा
देवी के नाम पर विश्वविद्यालय का नामकरण सहारनपुर के लोगों में खुशी का माहौल है। सहारनपुर जिले की सात विधानसभा सीटों में से चार पर भाजपा का, दो पर कांग्रेस का और एक पर समाजवादी पार्टी का कब्जा है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की कुल 80 सीटों में से 60 सीटें बीजेपी के पास हैं। भगवा पार्टी के सामने चुनौती कम से कम यथास्थिति बनाए रखने की है।
नकुर और गंगोह सीटें कैराना लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती हैं जबकि शेष पांच सहारनपुर लोकसभा क्षेत्र में आती हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में सहारनपुर सीट से बीजेपी के राघव लखन पाल को बसपा (bsp) के फजलुर रहमान ने हराया था, जबकि कैराना लोकसभा सीट से बीजेपी के प्रदीप चौधरी ने जीत हासिल की थी। हालांकि, 2017 के बाद से जब भाजपा ने विशेष रूप से पश्चिम यूपी क्षेत्र में असाधारण रूप से अच्छा प्रदर्शन किया था।
भाजपा को सहारनपुर सीट पर कब्ज़ा करना है जरुरी
आगामी विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा के सामने चुनौतियां और बढ़ गयी हैं। कुछ बड़ी चुनौतियों में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) से सहारनपुर सीट को वापस छीन कर उस पर कब्ज़ा करना भी शामिल है। यह सीट 2012 में बीजेपी के राजीव गुंबर ने जीती थी, लेकिन 2017 में सपा के संजय गर्ग इस सीट पर जीत हासिल करने में सफल रहे। यह जिला कांग्रेस नेता इमरान मसूद का गढ़ है।
दलित वोट को लुभाना भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती
भाजपा के पास बसपा से दलित वोट बैंक को लुभाने के साथ-साथ जिले में मसूद के दबदबे में सेंध लगाने की चुनौती है। आजाद समाज पार्टी के चंद्रशेखर का भी इस जिले में गढ़ है क्योंकि चंद्रशेखर सहारनपुर के ही रहने वाले है। आने वाले विधानसभा चुनावों में उनकी ताकत का परीक्षण किया जाएगा क्योंकि वह पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनावों में कोई प्रभाव छोड़ने में विफल रहे थे।
वही कांग्रेस के नरेश सैनी ने 2017 के विधानसभा चुनाव में बेहट विधानसभा क्षेत्र से जीत हासिल की थी। जिले में अल्पसंख्यक समुदाय का लगभग 40% प्रभुत्व है, जबकि दलित, मुख्य रूप से जाटव, जो मायावती के नेतृत्व वाली बहुजन समाज पार्टी के प्रति वफादार रहे हैं। चुनाव से पहले अमित शाह के सहारनपुर दौरे को पार्टी कैडर को जुटाने के प्रयास में देखा जा रहा है।
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