UP Election 2022 : बसपा अपना इतिहास को दोहराने का कर रही दावा, जानिये कैसा रहा मायावती का सियासी सफर

UP Election 2022 : बसपा अपना इतिहास को दोहराने का कर रही दावा, जानिये कैसा रहा मायावती का सियासी सफर
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बहुजन समाजवादी पार्टी का विधानसभा सीटों का नुकसान 2012 से शुरू हो गया था, लेकिन 2017 में तो महज 19 सीटें ही जीत पाई थी। बसपा प्रमुख मायावती ने जीत वाला इतिहास दोहराने का दावा किया है, जानिये क्यों वजह?

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (Uttar Pradesh Assembly Election 2022) के लिए बहुजन समाजवादी पार्टी (Bahujan Samajwadi Party) ने अपना इतिहास दोहराने का दावा किया है। बसपा सुप्रीमो मायावती (BSP Chief Mayawati) ने कहा है कि उनकी पार्टी बहुमत से जीत हासिल करेगी। वे लोगों से भी अपनी पार्टी को भारी संख्या में वोट करने की अपील कर रहे हैं। आईये बताते हैं कि उनके दावों में कितना दम है।

मीडिया रिपोर्ट्स में कुछ नेताओं के हवाले से कहा जा रहा है कि यूपी विधानसभा चुनाव के पहले चरण में जहां सपा और बीजेपी में मुकाबला रहा, वहीं कांग्रेस और बसपा पीछे छूट गई है। अभी छह चरण के चुनाव और होने हैं। ऐसे में कांग्रेस और बसपा को कमजोर नहीं माना जाता। कांग्रेस आज जहां लड़की हूं, लड़ सकती हूं का नारा देने वाली कांग्रेस जहां यूपी में बहुमत की सरकार बनाने का दावा कर रही है तो वहीं बसपा प्रमुख मायावती की सियासत देखकर भी जीत का दावा नकार नहीं जा सकता।

ऐसा रहा बीएसपी का सियासी सफर

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बसपा सुप्रीमो मायावती ने 1984 में पार्टी का गठन किया था। उन्होंने नौ साल तक दलितों को एकजुट किया, जिससे 1993 में अपनी शक्ति दिखा दी। उन्होंने समाजवादी पार्टी के साथ 164 सीटों पर चुनाव लड़ा और 67 सीटों पर जीत हासिल की। बसपा को इस चुनाव में 11.12% वोट मिले।

बसपा ने 1996 के चुनाव में 67 सीटें जीतीं। वोट प्रतिशत बढ़कर 19.64 प्रतिशत पहुंच गया। 2002 में मायावती ने 401 सीटों पर चुनाव लड़ा और 98 प्रत्याशी जीत आकर आए। वोट प्रतिशत भी बढ़कर 23.06 फीसद हो गया। इसके बाद 2007 में बसपा को 206 सीटें मिलीं। हालांकि 2012 के बाद मायावती को नुकसान शुरू होना हो गया।

इस चुनाव में पार्टी को 80 सीट मिली, जबकि मतदान प्रतिशत 25.95 फीसद पर गिर गई। 2017 में तो बसपा को केवल 19 सीटें मिलीं। वोट प्रतिशत भी 22.24 फीसद रहा। हालांकि बसपा का दावा है कि वो इतिहास को दोहराएगी और बसपा बहुमत से जीत हासिल करेगा। ऐसी एक वजह किसान आंदोलन, केंद्र की नीतियों और प्रदेश में कानून व्यवस्था तक तमाम मुद्दों को प्रमुख बताया जा रहा है कि मतदाता अब बसपा पर ही दोबारा से भरोसा कर रहे हैं।

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