यूपी के बलिया में ग्राम प्रधानी के लिए तोड़ दिया ब्रह्मचर्य का संकल्प, 45 साल की उम्र में बिन मुहूर्त रचाई शादी, अब पत्नी से लड़ाएंगे चुनाव

यूपी के बलिया में ग्राम प्रधानी के लिए तोड़ दिया ब्रह्मचर्य का संकल्प, 45 साल की उम्र में बिन मुहूर्त रचाई शादी, अब पत्नी से लड़ाएंगे चुनाव
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पंचायत चुनाव के लिए जारी नई आरक्षण सूची से उन लोगों को दिक्कतें आ रही हैं, जिनके पास ग्राम प्रधानी है, लेकिन अब उनकी सीट किसी अन्य वर्ग के लिए आरक्षित हो गई है। हालांकि कुछ लोग इसका भी तोड़ निकाल रहे हैं। ताजा माामला बलिया से सामने आया है, जहां चुनाव लड़ने के इच्छुक प्रत्याशी ने सीट आरक्षित होने के बाद ब्रह्मचर्य का संकल्प तोड़कर बिना मुहूर्त शादी रचा ली।

उत्तर प्रदेश के पंचायत चुनाव 2021 को लेकर जहां लोगों में उत्साह का माहौल है, वहीं चुनाव लड़ने के इच्छुक दावेदारों की नींद उड़ी है। कोई भी ग्राम प्रधानी की इस लड़ाई में पीछे नहीं रहना चाहता, लिहाजा ग्रामीणों का समर्थन पाने के लिए हर कोई जी-तोड़ मेहनत कर रहा है। इस बीच बलिया से एक खबर सामने आ रही है, जहां चुनाव लड़ने के इच्छुक दावेदार ने सीट आरक्षित होने के बाद सालों पुराना ब्रह्मचर्य का संकल्प तोड़ दिया। 45 साल की उम्र में बिना मुहूर्त सात फेरे लेने के बाद अब पत्नी को चुनाव लड़ाएंगे ताकि ग्राम प्रधानी परिवार के पास होने का सपना पूरा हो सके।

बलिया के करण छपरा गांव के रहने वाले 45 साल के जितेंद्र सिंह हाथी पिछले एक दशक से समाजसेवा में लगे हैं। समाजसेवा के कार्यों के चलते उन्होंने सालों पहले संकल्प लिया था कि वे आजीवन शादी नहीं करेंगे। उन्होंने पिछला पंचायत चुनाव भी लड़ा था, लेकिन दूसरे नंबर पर आए थे। ग्राम प्रधानी पाने के लिए जितेंद्र सिंह ने इस बार जमकर तैयारी की, लेकिन आरक्षण सूची आने के बाद उनकी उम्मीद टूट गई। दरअसल इस सीट को महिला वर्ग के लिए आरक्षित कर दिया गया था। ऐसे में जितेंद्र सिंह को अपनी उम्मीदें टूटती नजर आईं।

मां कैसे लड़ती चुनाव

जीतेंद्र अपनी मां को भी चुनाव नहीं लड़ा सकते थे, क्योंकि उनकी उम्र 80 साल से ज्यादा है। जितेंद्र को कोई रास्ता नहीं सूझ रहा था कि तभी समर्थकों की ओर से सुझाव आया कि उन्हें शादी कर लेनी चाहिए ताकि पत्नी चुनाव लड़ सके। जितेंद्र सिंह ने हामी भर दी और 26 मार्च को बिहार के छपरा जिले के नेवतरी (खलपुरा) गांव निवासी राजेन्द्र सिंह की बेटी निधि सिंह से शादी कर ली। यह शादी खरमास में हुई, जिसे हिंदू परंपराओं के अनुसार शुभ नहीं माना जाता। अब निधि सिंह चुनाव लड़ेंगी ताकि अपने पति का सपना पूरा कर सकें।

समाज सेवा जारी रहेगी

जितेंद्र सिंह हाथी का कहना है कि उन्होंने अपना जीवन समाज के भले के लिए समर्पित कर रखा था, लेकिन ग्राम पंचायत का पद आरक्षित होने के चलते शादी करने का फैसला लेना पड़ा। उन्होंने यह शादी अपने समर्थकों के कहने पर की है, लेकिन वे समाजसेवा के साथ गृहस्थ परिवार की भी तमाम जिम्मेदारियां उठाएंगे।

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