क्या मुलायम सिंह यादव को पद्मविभूषण से नवाज कर PM मोदी ने चली कोई नई चाल! जो अखिलेश के सामने बन गई सियासी मुसीबत

केंद्र की मोदी सरकार (Central Government) ने 74वें गणतंत्र दिवस (74th Republic Day) की पूर्व संध्या पर 106 हस्तियों के लिए पद्म पुरस्कारों की घोषणा की। इन पुरस्कारों के लिए जिस एक नाम की घोषणा की गई, उसने सभी को हैरान कर दिया। वो नाम है दिवंगत मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) का। वे उत्तर प्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं और देश के रक्षा मंत्री भी रह चुके है।
मुलायम सिंह यादव को मरणोपरांत पद्म विभूषण (Padma Vibhushan posthumously) देने की केंद्र सरकार की घोषणा को 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले एक बड़े राजनीतिक कदम के रूप में देखा जा रहा है। यह एक ऐसा कदम है, जिससे सपा अध्यक्ष और मुलायम के बेटे अखिलेश यादव 'हां या ना' में फंस सकते हैं। दरअसल मुलायम सिंह यादव और बीजेपी के संबंधों पर कई बार चर्चा हो सकती है। इसे लेकर कई नेताओं ने अलग-अलग टिप्पणी की है। ऐसे में विपक्षी दल के नेता को सर्वोच्च नागरिक सम्मान से नवाजा जाने पर राजनीतिक माहौल गर्म होना तय है। इसके कई राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं।
उत्तर प्रदेश के राजनीतिक क्षेत्र में भाजपा एक अलग राजनीतिक तानाबाना स्थापित करने की कोशिश करती दिख रही है। ऐसे में मुलायम सिंह यादव को सर्वोच्च नागरिक सम्मान के पुरस्कार को एक अलग नजरिए से देखा जा रहा है। पूरे मामले को विपक्ष की राजनीति में हेरफेर करने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। मुलायम सिंह यादव यूपी की राजनीति में एक बड़े चेहरे के तौर पर जाने जाते हैं।
समाजवादी आंदोलन को धार देने में मुलायम सिंह यादव की अहम भूमिका रही है। उन्होंने कुश्ती के अखाड़े को राजनीतिक क्षेत्र में छोड़कर बड़े-बड़े राजनीतिक दलों को अपने दांव-पेंच से मात दी। यूपी की राजनीति में कांग्रेस की भूमिका को नजरअंदाज न करने में मुलायम सिंह यादव का योगदान अहम रहा है। ऐसे में नरेंद्र मोदी सरकार ने मुलायम सिंह यादव को पद्म विभूषण पुरस्कार से सम्मानित कर बड़ा दांव खेला है।
वहीं इसका एक और कारण ये भी है कि समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) पूरी तरह भाजपा विरोधी रही है। अखिलेश यादव लगातार बीजेपी (bjp) और उसकी सरकारों पर हमलावर हैं। ऐसे में बीजेपी की केंद्र सरकार ने उनके सामने दो रास्ते खोल दिए हैं या तो अखिलेश यादव पिता मुलायम को दिया गया पद्म विभूषण सम्मान स्वीकार करें या फिर उसे वापस करने की घोषणा करें। अखिलेश दोनों में से जो भी कदम चुनते हैं, वह उनकी राजनीति के लिए मुश्किलें पैदा कर सकता है। अगर वह सम्मान लेते हैं तो असदुद्दीन ओवैसी, कांग्रेस और बसपा सुप्रीमो मायावती जैसे नेताओं को यह कहने का मौका मिल सकता है कि सपा और भाजपा के आंतरिक संबंध हैं।
वहीं, अगर अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) सम्मान ठुकराते हैं तो बीजेपी को उन्हें घेरने का मौका मिल जाएगा। बीजेपी पहले भी आरोप लगाती रही है कि अखिलेश यादव ने अपने पिता मुलायम सिंह यादव को धोखा दिया। पिछले दिनों यूपी विधानसभा चुनाव और मैनपुरी में हुए लोकसभा उपचुनाव के दौरान भी इसे भाजपा ने मुद्दा बनाया था।
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