Chardham Yatra 2021: भैयादूज के पावन पर्व पर शीतकाल के लिए केदारनाथ धाम के कपाट हुए बंद

उत्तराखंड (Uttarakhand) में आज यानी कि शनिवार को भैयादूज के पावन पर्व पर परंपरानुसार शुभ लग्न में केदारनाथ और यमुनोत्री धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद (doors of Kedarnath and Yamunotri Dham closed for winter) हो गए। केदारनाथ धाम के कपाट (Kedarnath Gate) आज सुबह 8.00 बजे बंद कर दिए गए। बाबा की डोली धाम से शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए प्रस्थान करते हुए रात्रि प्रवास के लिए रामपुर पहुंचेगी। वहीं सात नवंबर को बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल में विराजमान होगी। जहां 6 महीने तक श्रद्धालु अपने आराध्य के दर्शन और पूजा-अर्चना कर पाएंगे।
उत्तराखंड: केदारनाथ मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए आज सुबह 8 बजे से बंद किए गए। pic.twitter.com/Fz69Xuic0L
— ANI_HindiNews (@AHindinews) November 6, 2021
केदारनाथ मंदिर में शनिवार को सुबह चार बजे से बाबा की विशेष पूजा-अर्चना शुरू हुई। मुख्य पुजारी बागेश लिंग ने बाबा केदार की विधि-विधान से अभिषेक कर आरती उतारी। साथ ही स्वयंभू ज्योतिर्लिंग को समाधि रूप देते हुए लिंग को भस्म से कवर कर दिया गया। फिर बाबा केदार की पंचमुखी भोग मूर्ति का शृंगार कर चल विग्रह उत्सव डोली में विराजमान किया गया। परंपरानुसार बाबा केदार की मूर्ति को मंदिर परिसर में भक्तों के दर्शनार्थ रखा गया।
सुबह 8:00 बजे ऊखीमठ के उपजिलाधिकारी जितेंद्र वर्मा और देवस्थानम बोर्ड के अपर कार्याधिकारी की उपस्थिति में केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिए गए। वहीं मंदिर के कपाट बंद कर चाबी एसडीएम को सौंप दी गई। इसके बाद बाबा केदार की डोली मंदिर की 3 परिक्रमा करते हुए श्रद्धालुओं के जयकारों के बीच शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए प्रस्थान कर गई।
बाबा केदार की डोली रुद्रा प्वाइंट, लिनचोली, रामबाड़ा, भीमबली, जंगलचट्टी, गौरीकुंड, सोनप्रयाग में श्रद्धालुओं को आशीर्वाद देते हुए रात्रि प्रवास के लिए पहले पड़ाव रामपुर पहुंचेगी। 6 नवंबर को बाबा केदार की डोली रामपुर से प्रस्थान करते हुए रात्रि प्रवास के लिए विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी पहुंचेगी। सात नवंबर को बाबा केदार की पंचमुखी भोग मूर्ति को विधि-विधान के साथ शीतकालीन पंचकेदार गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में विराजमान कर दिया जाएगा।
वहीं आज दोपहर को यमुनोत्री धाम के कपाट भी बंद कर दिए जाएंगे। सुबह शीतकालीन पड़ाव खरसाली से समेश्वर देवता (शनि देव) की डोली अपनी बहन यमुना को लेने धाम पहुंची। पुरोहित प्यारेलाल उनियाल ने बताया कि खरसाली स्थित मां यमुना के मंदिर को सजाने के लिए फूल मंगाए गए हैं। मंदिर को भव्य प्रकार से सजाया गया है।
यमुनोत्री में 50 दिन तक चली यात्रा चली। जिससे यमुनोत्री मंदिर समिति को करीब पांच लाख रुपये की कमाई हुई। कोरोना वायरस की वजह से इस बार चारधाम यात्रा 18 सितंबर से शुरू हुई थी। इस दौरान शुक्रवार तक करीब 34 हजार भक्तों ने मां यमुना के दर्शन किए।
कपाट बंद होने से एक दिन पूर्व यमुनोत्री मंदिर समिति द्वारा प्रशासन की उपस्थिति में यमुनोत्री धाम में लगा दानपात्र खोला गया। समिति के कोषा अध्यक्ष प्यारे लाल उनियाल ने जानकारी दी कि दानपात्र से मंदिर समिति को पांच लाख 13 हजार रुपये की कमाई हुई है।
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