जोशीमठ में दरकती दीवार...धंसती जमीन से बढ़ती लोगों में दहशत, सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला

उत्तराखंड (Uttarakhand) के जोशीमठ (Joshimath) में जमीन और दीवारों में दरार का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। इस मामले में ज्योतिष्पीठ के जगद्गुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने शनिवार को सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की है। अपनी याचिका में जगद्गुरु ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से सोमवार यानी 09 जनवरी को सुनवाई की अपील की है।
इस संबंध में स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती के मीडिया प्रभारी ने जानकारी दी है। मीडिया प्रभारी डॉक्टर शैलेन्द्र योगी उर्फ योगीराज सरकार ने बताया कि याचिका में ऐसी स्थिति बने रहने पर नरसिंह मंदिर, आदि शंकराचार्य से जुड़ी प्राचीन जगहों के नष्ट होने का भी अंदेशा जताया गया है। इसके साथ उन्होंने बताया कि इस याचिका में इस स्थिति से प्रभावित होने वाले लोगों को सहायता देने, उनकी संपत्ति का बीमा करवाने की मांग की गई है।
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के वकील पीएन मिश्रा के मुताबिक, याचिका में तपोवन-विष्णुगाड विद्युत परियोजना के तहत बनाई जा रही सुरंग का मसला प्रमुखता से उठाया गया है। इस सुरंग को जिम्मेदार माना जा रहा है। याचिका में विद्युत परियोजना समेत दूसरे सभी विकास कार्यों की विशेषज्ञों से समीक्षा करवाने की भी मांग की गई है। इसके साथ याचिका में यह भी कहा गया है कि भूस्खलन के लिए जिम्मेदार कारणों का पता लगाया जाए।
बता दें कि इससे पहले उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को मौके पर पहुंचकर हालात का जायजा लिया है। इस दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यहां प्रभावित लोगों से बातचीत भी की। मुख्यमंत्री धामी जब जोशीमठ पहुंचे, तो भू-धंसाव से प्रभावित लोगों की आंखों में डर और आशियाना तबाह होने का खौफ साफ देखा जा सकता था। इस दौरान बहुत सी महिलाओं ने मुख्यमंत्री से उनके घरों को बचाने की अपील की, उन्होंने कहा कि हमें अपने घरों में रहने में डर लग रहा है। रात को किसी तरह हिम्मत करके सो भी जाएं तो अगले दिन आंख खुलेगी या नहीं ये डर हमेशा सताता रहता है।
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