PM Modi ने काफल भेजने के लिए सीएम धामी का जताया आभार, पढ़ें इस दिव्य फल के पीछे की मार्मिक कहानी

उत्तराखंड के दिव्य फल यानी काफल (kafal fruit in uttarakhand) को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (cm pushkar singh dhami) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (pm Narendra modi) को तोहफे में भेजा। खास बात है कि इस फल का स्वाद चखने के बाद पीएम मोदी इसकी तारीफ किए बना खुद को रोक नहीं पाए। उन्होंने सीएम धामी को पत्र भेजकर काफल भेजने के लिए आभार जताया, वहीं इस फल की खासियत भी बयां की। अब सवाल उठ रहा है कि सीएम मोदी ने पीएम मोदी को तोहफे भेजने के लिए काफल का ही क्यों चयन किया। तो चलिए बताते हैं कि इस तोहफे के पीछे की कहानी...
पहाड़ों पर फलों का राजा है काफल
उत्तराखंड अपने पहाड़ों और हरियाली की वजह से जाना जाता है। यहां के खूबसूरत नजारों को देखने के लिए दूर-दूर से पर्यटक आते हैं। पर्यटकों की चाह होती है कि वे काफल का सेवन जरूर करें। दरअसल, काफल को जंगली फल कहा जाता है, लेकिन अपने खट्टे मीठे स्वाद की वजह से इसने खासी पहचान बना रखी है। मई में आपको उत्तराखंड में हर जगह सड़कों पर काफल बेचते लोग नजर आ जाएंगे। काफल स्वादिष्ट होने के साथ ही पौष्टिक फल भी माना जाता है। यह कई बीमारियों से भी लाभ प्रदान करता है। ऐसे में कहा जाए कि काफल उत्तराखंड की संस्कृति का एक हिस्सा है, तो इसे गलत नहीं कहा जा सकता है। शायद यही कारण है कि सीएम पुष्कर सिंह धामी के जेहन में पीएम मोदी को तोहफा देने का ख्याल आया तो उन्होंने काफल को ही चुना। नीचे बताते हैं कि पीएम मोदी ने काफल की तारीफ में क्या कहा है।
पीएम मोदी ने काफल को दिव्य फल और रसीला बताया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सीएम पुष्कार सिंह धामी को लिखे पत्र में कहा कि देवभूमि उत्तराखंड से आपके द्वारा भेजा गया मौसमी फल काफल प्राप्त हो गया है। प्रकृति ने हमें कई उपहार दिए हैं। उत्तराखंड इस मामले में बहुत समृद्ध है। काफल ऐसा फल है, जिसका प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथों में भी इसके औषधीय गुणों का उल्लेख मिलता है। उन्होंने लिखा कि मध्य हिमालयी क्षेत्रों में पाए जाने वाला इस फल की मांग बढ़ रही है। इससे स्थानीय लोगों को आर्थिक मजबूती भी प्राप्त हो रही है। पीएम ने खुशी जताई कि काफल को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने के लिए उपयुक्त बाजार सुनिश्चित करने के प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने सीएम धामी को इस तोहफे के लिए उनका आभार जताया है।
In response to the fruit basket of Uttarakhand presented by CM Pushkar Singh Dhami to him in Delhi, PM Narendra Modi has expressed his gratitude to the CM through a letter.
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) July 5, 2023
The letter reads, "Seasonal fruit Kafal sent by you from Devbhoomi Uttarakhand has been received. Nature… pic.twitter.com/oh6VbkWfhf
पढ़िये काफल से जुड़ी मार्मिक कहानी (Kafal Emotional Story)
उत्तराखंड के इस प्रसिद्ध दिव्य फल यानी काफल से मार्मिक कहानी जुड़ी है। माना जाता है कि उत्तराखंड के एक गांव में मां-बेटी रहते थे। उनके पास कमाई का कोई जरिया नहीं था। जब भी काफल के फल लगते तो वे इसे बेचकर अपनी आजीविका चलाते थे। कहते हैं कि एक दिन मां ने अपनी बेटी से कहा कि मैं जंगलों में लकड़ी काटने जा रही हूं। काफल की रखवाली करना। वापस आने पर इसे बेचने जाएंगे। बताया जाता है कि वापस आने पर मां ने देखा कि उसकी बेटी सोई है और टोकरी में काफल कम हो गए हैं। इस पर मां को लगा कि उसकी बेटी ने काफल खा लिए और उसकी बात नहीं मानी। इस पर गुस्से में उसने जोर से एक मुक्का मारा। नींद में इस जोरदार मुक्के से बेटी की मौत हो गई। कुछ समय बाद मां ने देखा कि काफल की टोकरी फिर से भर गई है। तब पता चला कि चटक धूप में काफल मुरझा जाते हैं और बाद में अपने रंग रूप में आ जाते हैं। इसके बाद मां को भारी पछतावा हुआ और रोते-रोते प्राण त्याग दिए। यही नहीं, काफल को भी दर्द हुआ था।
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कुमाऊंनी भाषा का एक लोकगीत है, जो काफल के दर्द को बयां करता है। 'खाणा लायक इंद्र का, हम छियां भूलोक आई पणां' के इस लोकगीत का अर्थ यह है कि काफल कहता है कि हम स्वर्ग लोक में इंद्र देवता के खाने योग्य थे, लेकिन हम भूमि लोक में आ गए हैं। आज भी जो लोग उत्तराखंड से दूर किसी अन्य राज्य में रहते हैं, तो उन्हें अपने घर के साथ ही काफल की जरूर याद आती है। आपका भी कभी उत्तराखंड जाना हो, तो इस दिव्य फल का स्वाद चखे बिना आपकी यात्रा अधूरी ही मानी जाएगी।
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