MP News: 'विधायक खरीदने आए थे दिग्विजय और पटवारी, करोड़ों का ऑफर'

MP News: विधायक खरीदने आए थे दिग्विजय और पटवारी, करोड़ों का ऑफर
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अदालत में बागी :- ये बोले राजवर्धन - - मुझे मंत्री बनाने का आश्वासन राहुल, कमलनाथ, दिग्विजय सिंह ने दिया था, लेकिन नहीं बनाया। - कमलनाथ जिनके भरोसे सरकार चला रहे थे, उन्हें संभाल नहीं पाए इसलिए गिर गई सरकार। पढ़िए पूरी खबर-

भोपाल। मुख्यमंत्री रहते हुए कमलनाथ ने मप्र के बजट का पैसा मुख्यत: छिंदवाड़ा में ही खर्च किया गया। जबकि प्रदेश की योजनाएं अधूरी थीं, उनके लिए पैसों की जरूरत थी, लेकिन वहां पैसों की कमी बताई गई। मेरे क्षेत्र की जनता का संकल्प है, जब मैं मंत्री बनूंगा, तभी जीत का जुलूस निकलेगा। मैंने 2018 में ही कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था, तब राहुल गांधी, कमलनाथ, दिग्विजय सिंह ने मुझे मंत्री बनाने का आश्वासन दिया था, लेकिन बाद में कुछ नहीं किया। कमलनाथ जिसके भरोसे सरकार चला रहे थे, वे विधायकों को संभाल नहीं सके। इसलिए कमलनाथ सरकार गिरी। यह कहना है आगामी उपचुनाव में बदनावर सीट से भाजपा के प्रत्याशी माने जाने वाले और सिंधिया समर्थक पूर्व विधायक राजवर्धन सिंह दत्तीगांव का। उन्होंने 'हरिभूमि' के सहयोगी न्यूज चैनल 'आईएनएच' के खास कार्यक्रम 'अदालत में बागी' में प्रधान संपादक डॉ हिमांशु द्विवेदी से बातचीत में ये बातें कहीं।

सवाल : आपने अपना इस्तीफा जनता के हक में दिया, स्वयं के या अपने नेता के हक में?

जवाब - दिसंबर 2018 में चुनाव के बाद मेरे क्षेत्र की जनता ने एक मीटिंग रखी। मैं उस मीटिंग में गया, उसमें लगभग दस हजार लोग एकत्र थे। तब लोगों ने कहा कि चुनाव के दौरान प्रचार करने आए बड़े नेताओं ने जनता से स्पष्ट कहा था कि आप लोग सिर्फ विधायक नहीं, बल्कि मंत्री चुनेंगे, इसलिए हमें मंत्री पद चाहिए। जब तक नहीं मिलता विजय का जुलूस नहीं निकालेंगे और सभी कार्यकर्ताओं ने कहा कि हम कांग्रेस से इस्तीफा भी देंगे। मैंने उन्हें मनाया कि आप सब लोग क्यों, मैं ही इस्तीफा दे देता हूं। मैंने दिसंबर 2018 में ही अपना इस्तीफा कांग्रेस को भेज दिया था, तब कांग्रेस के सभी बड़े नेताओं राहुल गांधी, कमलनाथ दिग्विजय सिंह ने मुझे आश्वासन दिया। दिग्विजय सिंह ने कहा-तुम मेरे बेटे जैसे हो, कमलनाथ ने कहा-मुझे छह महीने का समय दीजिए। लेकिन वो समय भी निकल गया और मुझे समझ में आ गया कि कुछ होने वाला नहीं है। मंत्री पद मेरे क्षेत्र की जनता की मांग है। इसके अलावा माफिया के खिलाफ प्रदेश में मुहिम चली, लेकिन मेरे जिले में स्थिति बहुत खराब है, यह सब जानते हैं। सिंधिया जी ने अगर मैनिफेस्टो को लेकर कुछ बातें कहीं तो इसमें गलत क्या है? 2 लाख रुपए तक का किसानों का कर्ज माफ करने की बात थी, प्रमाण पत्र भी बांटे लेकिन सोसायटियों ने कर्ज जमा करने किसानों को नोटिस थमा दिए। वचन पत्र की बातें पूरी नहीं हुई। तीर, तलवार से ज्यादा शब्दों के घाव भी लगते हैं। सिंधिया के लिए अपमानजनक शब्दों का प्रयोग ठीक नहीं रहा। हमारे साथ एक साथी और आने वाले थे, केपी सिंह, वे शुरू से साथ थे, लेकिन बाद में पता नहीं क्यों नहीं आए।

सवाल : आपने केपी सिंह का नाम लिया, लेकिन बयानों में उनका नाम नहीं आया, बयानों में नाम लक्ष्मण सिंह का आगे रहा, क्या उनको साथ लाने की कोशिश नहीं की?

जवाब - लक्ष्मण सिंह को हम धर्मसंकट में नहीं लाना चाहते, उनका व्यक्तिगत निर्णय है। उनके भाई दिग्विजय सिंह राष्ट्रीय नेता हैं, शायद इसलिए वो नहीं आए, कोई बात नहीं, उनका भी मैं बहुत सम्मान करता हूं।

सवाल - दिग्विजय सिंह दस साल सीएम रहे, कमलनाथ केंद्र में कई बार मंत्री रहे, 50 साल से ज्यादा राजनीति का अनुभव है। फिर ऐसा क्या हो गया कि सरकार चल नहीं पाई?

जवाब - कमलनाथ बड़े नेता हैं, संजय गांधी के समय से केंद्र में राजनीति कर रहे हैं, उनका मैनेजमेंट अच्छा है। लेकिन मप्र के संदर्भ में बात की जाए तो वे धरातल पर उतने जुड़े नहीं रहे। मैं अपने जिले की बात कहूं तो कमलनाथ पूरे जीवन में अब तक लगभग तीन बार ही वहां आए, उनका फोकस छिंदवाड़ा पर रहा। इसलिए उन्हें लगा कि सब ठीक चल रहा है। वे किसी खास के भरोसे ही रहे, जैसे उनका बाद में बयान आया कि मैंने सोचा था सब ठीक रहेगा, लेकिन मैं उनके भरोसे रह गया और यह हो गया। कमलनाथ के साथ स्थिति संभालने में कहीं न कहीं चूक हुई है।

सवाल : लक्ष्मण सिंह का कहना है कि आप लोग बिक गए, कितनी तकलीफ होती है यह सुनते हुए?

जवाब - मेरा परिवार 50 साल से राजनीति में है। इन 50 सालों में अगर कोई 50 रुपए लेने का भी प्रमाण दे दे, तो मैं राजनीति छोड़ दूंगा। बल्कि उन लोगों को अपने में झांकना चाहिए, सीएम कार्यालय कौन चला रहा था, वहां क्या हो रहा था, मैं उन बातों में पड़ना नहीं चाहता। हम जब बेंगलुरु में थे, वहां दिग्विजय सिंह, जीतू पटवारी आए थे। मेरे कुछ साथियों के पास फोन भी आए, रिकार्डिंग है। करोड़ों रुपए का ऑफर दे रहे थे, वे वहां एमलए को खरीदने आए थे। कौन कितना पाक साफ है, सब जानते हैं।

सवाल : यह सरकार गिरी, मुख्य जवाबदार किसे मानते हैं कमलनाथ, दिग्विजय सिंह या सिंधिया?

जवाब - मेरा मानना है कि नेतृत्व मुखिया करता है तो जवाबदारी तो मुखिया को ही लेनी चाहिए, बाकी लोग बाद में है। आप बजट उठाकर देख लीजिए छिंदवाड़ा में कितना पैसा गया, क्या वहां एयरपोर्ट बनाना आवश्यक था। क्या यह जरूरी नहीं है कि नर्मदा के जल का हम पूरा उपयोग नहीं कर रहे, उसके लिए योजनाएं तैयार हों और पूरा करने पैसों की व्यवस्था हो। जितना पानी गुजरात उपयोग कर रहा उतना हम कर सकें। रोजगार की व्यवस्था होती, पेंशन के लिए राशि दी जाती, पूरा पैसा सीएम के क्षेत्र में क्यों डालते रहे। अगर कमलनाथ सीएम न होते तो उनके बेटे नकुलनाथ भी छिंदवाड़ा सीट हार चुके होते।

सवाल : आपने कहा कि 50 साल से आपका परिवार राजनीति में है। इन 50 सालों में आपके परिवार का राजनीतिक संघर्ष मुख्यत: भाजपा के खिलाफ ही रहा है। दल परिवर्तन कितना रास आया है?

जवाब : मैं सकारात्मक राजनीति करता हूं, व्यक्तिगत तौर पर किसी के खिलाफ नहीं हूं। मैं जब पहली बार कांग्रेस में टिकट मांगने गया, तब अर्जुन सिंह मुख्यमंत्री थे। उन्होंने मुझसे पूछा तुम सिंधिया के साथ हो, मैने कहा हां। फिर उन्होंने कहा तुम राजनीति में बहुत आगे जाओगे, बस इतना याद रखना जिसके साथ हो, उसका साथ कभी न छोड़ना। मैं जब 1998 में निर्दलीय चुनाव लड़ा, तब मुझे 30 हजार वोट जो मिले, उसमें आधे कांग्रेसियों के भी थे और आधे भाजपाइयों के भी थे। दल परिवर्तन में यह अंतर पता चला कांग्रेस पार्टी नेताओं की है, जबकि भाजपा कार्यकर्ताओं की है।

सवाल : आपने कहा जुलूस मंत्री बनने के बाद ही निकलेगा, तो उपचुनाव के पहले निकालेंगे या बाद में?

जवाब - कोरोना जितना परमीशन देगा। वैसे यह सवाल मुख्यमंत्री से पूछना ठीक रहेगा। मंत्रिमंडल बनाना, विस्तार सीएम का अधिकार होता है।

सवाल : आप जब जनता के बीच वोट मांगने जाएंगे तो लोग पूछ सकते हैं, आपको 5 साल के लिए चुना था, लेकिन 15 महीने में ही आ गए, क्या जवाब देंगे।

जवाब - मैं 1998 से क्षेत्र के एक-एक घर में जाता हूं। कुछ मांगने के लिए याचक के रूप में जाता हूं। जब भी जाता हूं, वे मुझे कुछ न कुछ देते हैं। मैं क्षेत्र की जनता से हमेशा कहता हूं। आपका था, आपका हूं और हमेशा रहूंगा। मेरे पिता ने मुझे जनता के लिए दान किया है। क्षेत्र की उन्नति ही मेरा ध्येय है।

सवाल : सिंधिया को क्या भाजपा में वो सम्मान मिल पाएगा जो उन्हें कांग्रेस में नहीं मिल सका?

जवाब - भाजपा में उनका परिवार पहले से ही जुड़ा है। राजमाता का योगदान कोई नहीं भुला सकता। मुझे भरोसा है भाजपा, सिंधिया के योगदान और उनकी योग्यता को देखते हुए वह सम्मान जरूर देगी, जो उन्हें मिलना चाहिए।

देखिए पूरी बातचीत का वीडियो -




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