हनीट्रैप केस : हरभजन सिंह का निलंबन निरस्त, हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला

इंदौर। हनीट्रैप के फरियादी इंदौर नगर निगम के इंजीनियर हरभजन सिंह का निलंबन निरस्त कर दिया गया है। हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने निलंबन निरस्त किया है। इंदौर नगर निगम के इंजीनियर हरभजन सिंह हाई प्रोफ़ाइल केस हनीट्रैप के शिकायतकर्ता हैं। हनीट्रैप मामले से प्रदेश की सियासत में हड़कंप मच गया था।
सितंबर 2019 में हनीट्रैप मामले में फरियादी हरभजन सिंह को निलंबित कर दिया गया था। हरभजन सिंह पर आरोप है कि उसने अपने पद का फायदा उठाते हुए मामले की आरोपित महिलाओं को आर्थिक फायदा पहुंचाया। इससे शासन को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ।
निलंबन को चुनौती देते हुए हरभजन ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। इसमें कहा था कि वह मूल रूप से रीवा नगर निगम का कर्मचारी है। उसे सिर्फ रीवा निगम ही निलंबित कर सकता है। निलंबित किए 45 दिन से ज्यादा वक्त बीत चुका है लेकिन आरोप पत्र नहीं दिया गया है। ऐसे में निलंबन निरस्त किया जाए।
हाई कोर्ट ने बुधवार को बहस सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। हाई कोर्ट की वेबसाइट के मुताबिक हरभजन की याचिका को कोर्ट ने स्वीकारते हुए निलंबन का आदेश निरस्त कर दिया है।
गौरतलब है कि 17 सितंबर 2019 को इंदौर जिला नगर निगम में कार्यरत इंजीनियर हरभजन सिंह ने पलासिया थाने में खुद को ब्लैकमेल किए जाने की एफआईआर दर्ज कराई थी तो उन्हें भी इसका अंदाजा नहीं था कि यह मामला इतना बड़ा बन सकता है। एफआईआर में हरभजन सिंह ने दावा किया था कि उन्हें 29 वर्षीय आरती दयाल नाम की एक महिला द्वारा ब्लैकमेल किया जा रहा था। उक्त महिला ने तीन करोड़ रुपये की रंगदारी की मांग की थी और रकम न चुकाने पर इंजीनियर के कथित अश्लील वीडियो वायरल करने की धमकी भी दी गई थी।
इसके बाद ही प्रदेश भर में फैला हनीट्रैप का मामला प्रकाश में आने लगा। इसके साथ-साथ कई नौकशाह, राजनेता और पत्रकारों की संदिग्ध भूमिका भी उजागर होने लगी थी।
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