'शासन में 15 महीने तक भू-माफिया के नाम पर लूट हुई'

भोपाल। कांग्रेस सरकार में भू-माफिया के नाम पर प्रदेश में लूट-खसोट मची हुई थी। जब कांग्रेस सरकार में मेरी बात नहीं सुनी जा रही थी, तो मैंने खुद नालियों में उतरकर सफाई की है। क्षेत्र के विकास कार्य न होने और हमारे नेता सिंधिया का सम्मान न होने से पार्टी छोड़ी है। उपचुनाव में जनता न्याय करेगी-अगर मैंने गेहूं की फसल बोई तो वो गेहूं कटवाए, अगर कांटे की फसल बोई तो कांटे की फसल कटवाए। यह कहना है आगामी उपचुनाव में ग्वालियर विस सीट से भाजपा के प्रत्याशी माने जाने वाले पूर्व विधायक प्रद्युम्न सिंह तोमर का। उन्होंने 'हरिभूमि' के सहयोगी न्यूज चैनल 'आईएनएच' के खास कार्यक्रम 'अदालत में बागी' में प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी से ये बातें कहीं।
सवाल : आपको जनता ने पांच साल के लिए चुना था क्या वजह थी कि 15 महीने में ही बागी हो गए?
जवाब : बागी मैं नहीं वो लोग थे जो प्रदेश को लूट रहे थे। 15 महीने के शासन में भू माफिया के नाम पर जो लूट-खसोट हुई, मैंने कैबिनेट में उसका विरोध किया था। गरीब-किसान ने अगर एक या आधा बीघा जमीन कब्जा कर उसे बेच दिया, उस पर मकान बन गया, तो वो भू माफिया नहीं हो जाता। हमारे क्षेत्र के विकास कार्य नहीं हो रहे थे। पांच साल बाद जनता हमसे कहती कि आपने क्षेत्र के साथ अन्याय किया है। इसलिए हमने गद्दी छोड़ने का काम किया है। अनेक बार हमने कैबिनेट में सरकार के गलत निर्णयों का विरोध किया, मुख्यमंत्री से कहा आप मुखिया हो सही निर्णय करो। जब शराब की दुकानें बढ़ाई जा रहीं थीं, तब भी विरोध किया था, लेकिन जो साथी बैठे रहते थे, वे चुप रहते थे।
सवाल : मप्र का सीएम बनने से पहले कमलनाथ को कुशल नेता माना जाता था, वे चार दशक तक सांसद रहे, 25 साल केंद्र में मंत्री रहे, लेकिन क्या वजह है कि मप्र में फेल हो गए?
जवाब : उपचुनाव हो जाने दो वो तथ्य उजागर कर देंगे कि कमलनाथ सरकार किन परिस्थितियों में और किन कारणों से गिरी, उनको भ्रम में रखा गया कि आपके साथ सब लोग रहेंगे। आप चिंता न करो, वे भ्रम में रहे और सरकार गिर गई।
सवाल : अगर मप्र में आपकी सुनवाई नहीं हो रही थी तो सिंधिया ने राष्ट्रीय नेता के सामने अपनी बात क्यों नहीं रखीं, भाजपा की गोद में क्यों बैठ गए?
जवाब : सिंधिया ने कहा कि ग्वालियर में भी मेट्रो आनी चाहिए, चंबल एक्सप्रेस वे के लिए पैसा दो, वचन पत्र के वादे निभाओ, लेकिन उनकी सुनी नहीं गई। उन्होंने कहा वादे के अनुसार अतिथि शिक्षकों का संविलियन करो, नहीं तो हम सड़कों पर उतर जाऊंगा, तो उन्होंने समझाने के बजाए कह दिया उतर जाओ। ऐसा नहीं कि यह सब कांग्रेस हाईकमान तक बातें नहीं पहुंची। कांग्रेस ने चुनाव में सिंधिया को चेहरा बनाया था, लेकिन उन्होंने सीएम पद से समझौता किया, पीसीसी चीफ नहीं बनाया, भोपाल में बंगला आवंटित नहीं किया, राज्यसभा टिकट में अड़ंगे लगाए। एक व्यक्ति ने पुत्र मोह में कांग्रेस को बलिदान कर दिया।
सवाल : ग्वालियर - चंबल अंचल में भाजपा लगातार मजबूत स्थिति में रही है। 2018 के विस चुनाव में अपवाद स्वरूप कांग्रेस अच्छी स्थिति से चुनाव जीती, भाजपा में नेताओं की भीड़ है, फिर भी आप उसमें जाने तैयार हो गए। आपको राजनीतिक भविष्य की चिंता नहीं सताई?
जवाब : हम राजनीति में पद के लिए सौदा करने नहीं गए हैं। जो व्यक्ति जनता के लिए काम करेगा, उसको जनता सेवा का अवसर देगी। हो सकता है भाजपा में हमें पद न मिले, लेकिन उसने हमें सेवा का मौका दिया, यह कम नहीं है।
सवाल : सिंधिया कांग्रेस में राष्ट्रीय स्तर के बड़े नेता रहे हैं, भाजपा में क्या वो अहमियत रहेगी?
जवाब : अहमियत पद से नहीं काम से होती है, चंबल एक्सप्रेस वे स्वीकृत हो गया, युवाओं को रोजगार मिलेगा। क्षेत्र का विकास होगा। इससे अहमियत रहेगी न कि मंत्री पद से।
सवाल : आपने कांग्रेस में लंबा समय गुजारा है, अब भाजपा को अनुभव कर रहे हैं, दोनों पार्टियों में क्या अंतर है?
जवाब : कांग्रेस में हम जनता के लिए लड़ते थे, कभी किसी नेता ने अच्छे काम के लिए पीठ नहीं थपथपाई। भाजपा में अच्छे काम पर प्रोत्साहन मिलता है, तो सुखद अनुभव होता है कि लोग पीछे आपका काम देखने वाले हैं।
सवाल : आप जब उपचुनाव में वोट मांगने जाएंगे तो जनता सवाल नहीं करेगी, हमने तो आपको 5 साल के लिए चुना था, आप 15 महीने में ही फिर आ गए?
जवाब : जनता जानती है कि यह स्थिति क्यों बनी, मैंने जब नगर में सफाई की बात की, मेरी बात नहीं सुनी जा रही थी तो मैंने खुद नाले-नालियों में उतरकर साफ-सफाई की है। जब क्षेत्र के विकास के काम नहीं हो रहे थे, हमने क्षेत्र के लोगों को पूरी बात बताई, उन्होंने कहा आप संघर्ष करो, हम आपके साथ हैं। यह चुनाव जनता खुद लड़ेगी।
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