खुलासा : 'सिंधिया के खिलाफ साजिश भरी सियासत साल भर से जारी थी'

भोपाल। कांग्रेस में यदि हम पांच साल और रह जाते तो हालत यह हो जाती कि पोलिंग बूथ पर हमें एजेंट तक नहीं मिलते। हमारे विकास कार्यों को कोई महत्व नहीं दिया गया। हमारे मंत्रियों को काम करने नहीं दिया जाता था। जिस सिंधिया ने पार्टी को खड़ा किया, अपने क्षेत्र की 32 में से 26 सीटें जिताकर लाए। सरकार आने पर उन्हें सीएम नहीं बनाया, अध्यक्ष नहीं बनाया, राज्यसभा का टिकट नहीं दिया। पर कोई बात नहीं, लेकिन जब उन्होंने जनता के मुद्दे को उठाया तो कहा कि सड़क पर उतर जाओ, उनका ऐसा अपमान?
जब प्रदेश के मुखिया इस तरह का जवाब देता है तो कार्यकर्ताओं की भावनाएं आहत होती हैं। हम सब-कुछ सहन कर सकते हैं, लेकिन अपने नेता का अपमान सहन नहीं कर सकते। यह कहना है आगामी उपचुनाव में मेहगांव सीट से भाजपा के प्रत्याशी माने जाने वाले और सिंधिया समर्थक पूर्व विधायक ओपीएस भदौरिया का। उन्होंने हरिभूमि के सहयोगी न्यूज चैनल 'आईएनएच' के खास कार्यक्रम 'अदालत में बागी' में प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी से ये बातें कही।
सवाल : क्या इससे पहले भी कभी सिंधिया का अपमान हुआ या यह पहली घटना थी?
जवाब : यह एक साल से चल रहा था। 30 चिट्ठी लिखी होंगी भिंड, मुरैना, ग्वालियर के विकास के लिए। किसी को महत्व नहीं दिया गया। हमारी उपेक्षा हो रही थी, हमारे मंत्रियों को काम करने से रोका जा रहा था, इसलिए इस तरह की स्थिति निर्मित हुई।
सवाल : सिंधिया राष्ट्रीय नेता थे, वे आपको सोनिया-राहुल गांधी के पास भी लेकर जा सकते थे?
जवाब : उन्होंने भरपूर प्रयास किया। हाईकमान तक यह बात पहुंचाई कि मध्यप्रदेश में सब-कुछ ठीक नहीं है, यहां संतुलन होना चाहिए, पर दुर्भाग्य की बात कांग्रेस हाईकमान ने बात नहीं सुनी। दूसरों की बातों में गुमराह होते रहे, जिसके बाद ये नतीजा निकला।
सवाल : क्या ज्योतिरादित्य में माधवराव जैसा बड़प्पन नहीं था या कमलनाथ में दिग्विजय जैसी कुशलता नहीं थी?
जवाब : सिंधिया परिवार को राजनीति से कुछ नहीं चाहिए, वे पद को कभी महत्व नहीं देते। जनसेवा उनका लक्ष्य है, पर उन्हें सम्मान चाहिए। माधवराव ने भी विरोध किया था। जब हवाला कांड में उनका नाम कथित तौर पर आया तो उन्होंने कांग्रेस विकास पार्टी बनाई। उन्होंने कहा कि अब फैसला जनता की अदालत में होगा। कांग्रेस ने ऑफर दिया था, आप अपने परिवार के किसी भी सदस्य को टिकट दिला दें, जैसा और नेताओं ने किया। कमलनाथ ने अपनी पत्नी को टिकट दिला दिया था। पर महाराज ने ऐसा नहीं किया।
सवाल : नेता के अपमान की गाज आपने उपचुनाव थोपकर जनता पर गिरा दी?
जवाब : बिल्कुल नहीं, जिस क्षेत्र में मैंने चुनाव लड़ा, 28 साल से कांग्रेस हार रही थी। निश्चित रूप से यहां की जनता की भी ये अपेक्षा थी कि सिंधिया मुख्यमंत्री बनेंगे। इसलिए जनता ने हमें वोट दिया। हम जनता की इस अपेक्षा को पूरा नहीं कर पाए। पूरी तरह से हमें विकास कार्यों से भी उपेक्षित किया गया। कमलनाथ केवल छिंदवाड़ा के मुख्यमंत्री बनकर रह गए। जब हमारे नेता का सम्मान नहीं तो हमारा क्या महत्व रह जाता उस कांग्रेस के अंदर।
सवाल : इस नतीजे पर आप कैसे पहुंचे कि जनता ने आपको सिंधिया को सीएम बनाने के लिए वोट किया?
जवाब : कांग्रेस हाईकमान इस प्रतिभा का ठीक तरह से मध्यप्रदेश में उपयोग नहीं कर पाई। सिंधिया ने 60 सभाएं ली, इनमें से 45 विधायक जीतकर आए। राजनीतिक विश्लेषकों का यह आंकलन है कि अगर सिंधिया को सब जगह दौरे करने दिए जाते तो मध्यप्रदेश में कम से कम 140 सीटें कांग्रेस की आती। यदि उन्हें मुख्यमंत्री घोषित कर दिया जाता तो 180 सीटें आतीं।
सवाल : क्या विधानसभा चुनाव से पहले ही सिंधिया को रोकने के लिए उनके खिलाफ साजिश चल रही थी?
जवाब : बिल्कुल साजिश पहले से चल रही थी। सिंधिया को पीछे करने के लिए पूरे प्रदेश के नेता एक हो जाते थे। हर जगह उन्हें रोकने का प्रयास होता। उसका नतीजा था कि सिंधिया को पूरे प्रदेश में दौरे तक करने नहीं दिए जाते थे।
सवाल : कौन नेता है कांग्रेस में, ऐसा जिसको डर था कि सिंधिया ऊपर आएंगे तो उसकी जमीन नहीं रहेगी?
जवाब : आपको सब पता है। आप मुझसे क्यों कहलवाना चाहते हैं। जिनके राजनैतिक भविष्य को खतरा था, उन्हीं लोगों ने सिंधिया को पीछे करने का काम किया।
सवाल : जिस शिवराज को खलनायक बताया था, उसे ही अब आपने अपना नेता मान लिया?
जवाब : भाजपा की जो नीति है और मोदी ने जो स्थायित्व और विकास दिया है, उसकी जितनी प्रशंसा की जाए कम है। सिंधिया ने सोच समझकर एक राष्ट्रीय विचारधारा वाली पार्टी को स्वीकार किया है। भाजपा की नीतियों के अंतर्गत देश और प्रदेश दोनों विकास करेंगे।
सवाल : भाजपा को देखकर क्या लगा? देर से आए, पहले आना था या अब आ गए हैं तो चलेंगे?
जवाब : भाजपा राष्ट्रवाद की विचारधारा से ओतप्रोत है। भाजपा का मुख्य उद्देश्य जनसेवा है। हमने यह महसूस किया है कि ठीक तरह से अपने उन उद्देश्यों की पूर्ति यहां रहकर कर पाएंगे जो कांग्रेस में रहकर नहीं कर पा रहे थे।
सवाल : जब आप एनएसयूआई अध्यक्ष थे तो प्रतिद्वंद्वी के रूप में एबीवीपी से वीडी शर्मा थे, अब वे आपके नेता हैं?
जवाब : पुराने प्रतिद्वंद्वी कभी-कभी बहुत अच्छे मित्र भी साबित होते हैं। वीडी शर्मा जी हमारे प्रदेशाध्यक्ष है, हम उनका बड़ा सम्मान करते हैं। उनके नेतृत्व में काम करना बड़े गौरव की बात है।
सवाल : भाजपा में आपका आना वीडी शर्मा को कितना रास आया। कोई अनुभव जो साझा करना चाहेंगे?
जवाब : जब हम बेंगलुरु से लौटकर आए तो सीएम के यहां चाय पीने जाना था। जब हम वहां पहुंचे तो वीडी शर्मा गेट पर खड़े हुए थे। शर्मा जी ने मुझसे कहा ओपीएस पहचाना, तो इतने में शिवराज तुरंत बोले, ओपीएस तुम इन्हें नहीं जानते ये हमारे प्रदेशाध्यक्ष हैं। तो मैंने कहा इन्हें तो मध्यप्रदेश का बच्चा-बच्चा जानता है पर ये मुझसे कुछ और कहना चाहते हैं।
सवाल : अब हमारे नेता महाराज हैं, इतना कहने में सब हो जाएगा या सामूहिक नेतृत्व पर भरोसा करना पड़ेगा?
जवाब : सभी वरिष्ठ नेता सम्मानीय हैं। सिंधिया जी का भी अभिमत है कि सभी का सम्मान करना है और सबको साथ लेकर चलना है।
सवाल : जनता कैसे भरोसा करेगी, आप कैसे उन्हें मनाएंगे?
जवाब : 24 में से 18 घंटे जनता के बीच में रहता हूं, जनता की सेवा करता हूं। मेरे कदम से जनता खुश है, सिंधिया का अपमान जनता भी सहन नहीं कर पा रही थी। जनता का भी कहना है कि आपका जो शेष समय है वह भी हम आपको ही देंगे।
सवाल : चौधरी परिवार का भविष्य क्या रहेगा, राकेश चौधरी इस बार आपके सामने खड़े हो सकते हैं?
जवाब : राजनीति में मैं कभी किसी से व्यक्तिगत प्रतिस्पर्धा नहीं रखता, मेरे सामने जो भी आएगा वह विपक्ष दल का नेता होगा, उससे मैं चुनाव लड़ूंगा, व्यक्तिगत टिप्पणी करना मुझे शोभा नहीं देता।
सवाल : 15 महीने की क्या उपलब्धि है, जिसे जनता के बीच लेकर जाएंगे?
जवाब : सबसे ज्यादा सड़कें, गौ-शालाएं मेरे क्षेत्र में स्वीकृत कराई। विद्युतीकरण का काम सबसे ज्यादा किया गया। जितना एक साल में काम किया उतना तो पांच से दल साल में भी नहीं हुआ।
ओपीएस भदौरिया की मेहगांव की जनता से अपील
राजनीति में मेरा लक्ष्य सिर्फ जनता की सेवा करना है। मेरा पूरा प्रयास रहेगा कि विकास कार्य ज्यादा से ज्यादा हो। मेरे दरवाजे 24 घंटे लोगों के लिए खुले हैं। मैं व्यक्तिगत रूप से भी जनता की सेवा करता हूं। शेष कार्यकाल में एक बार और अवसर मिले, जिससे हम अधूरे कार्य को पूरा करेंगे।
देखिए बातचीत का वीडियो-
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