नहीं थम रहे रैगिंग के मामले : तकनीकी शिक्षा से जुड़े संस्थानों से हो रही 99 फीसदी शिकायतें, हेल्पलाइन नंबर पर दस दिन में आठ शिकायतें

भोपाल। प्रदेश में रैगिंग के मामले थम नहीं रहे हैं। यूजीसी के एंटी रैगिंग हेल्पलाइन नंबर पर दस दिनों में आठ शिकायतें हुई है। यदि सितंबर माह की बात करें तो लगभग हर दिन रैगिंग की कोई न कोई शिकायत दर्ज की गई है। 1 सितंबर से 29 सितंबर तक यूजीसी के पास मध्यप्रदेश से रैगिंग की दो दर्जन से अधिक शिकायतें पहुंच गई है। यूजीसी को होने वाली शिकायतों में 99 फीसदी शिकायतें तकनीकी शिक्षा से जुड़े संस्थानों से की गई है। एक फीसदी शिकायत पारंपरिक कोर्स चलाने वाले शिक्षण संस्थानों से की गई है।
इन आंकड़ों के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि पारंपरिक कोर्स संचालित करने वाले संस्थानों के मुकाबले तकनीकी शिक्षा से जुड़े संस्थानों में स्टूडेंट के बीच रैगिंग का चलन कहीं ज्यादा है। तकनीकी कोर्स कर रहे सीनियर स्टूडेंट जूनियर को ज्यादा प्रताड़ित कर रहे हैं। इससे परेशान होकर जूनियर यूजीसी में रैगिंग की कम्पलेंट कर रहे हैं। सितंबर माह में जितनी भी रैगिंग की शिकायत हुई है, उनमें से डेढ़ दर्जन से अधिक शिकायतों का अब तक निराकरण नहीं हो सका है।
RGPV से संबद्ध चार कॉलेजों में हुई रैगिंग
19 सितंबर से 29 सितंबर के बीच यूजीसी में प्रदेश के विभिन्न कॉलेजों से रैगिंग की आठ शिकायतें हुई। इनमें से चार कॉलेज राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (आरजीपीवी) संबद्ध हैं। यूजीसी की एंटी रैगिंग हेल्पलाइन में 28 सितंबर को माधव इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस ग्वालियर, 25 सितंबर को रीवा कॉलेज ऑफ फार्मेसी, 24 सितंबर को सम्राट अशोक टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट वीदिशा और 20 सितंबर को पॉलिटेक्निक कॉलेज छिंदवाड़ा में रैगिंग हुई। ये सभी कॉलेज RGPV से संबद्ध है। इसके अलावा 19 सितंबर को एसवी पॉलिटेक्निक कॉलेज भोपाल, 26 सितंबर को अटल बिहारी वाजपेयी गवर्मेंट एंड आर्ट्स कॉलेज इंदौर सहित 23 और 28 सितंबर को हरिशंकर गौर यूनिवर्सिटी सागर में रैगिंग हुई। इनमें से किसी भी शिकायत का अब तक निराकरण नहीं हो सका है।
अधिकतर आपसी विवाद को दे दिया जाता है रैगिंग का नाम
यूजीसी के एंटी रैगिंग कमेटी में दर्ज होने वाली अधिकतर शिकायत फर्जी होती है। आपसी विवाद को रैगिंग बताकर शिकायत दर्ज कर दी जाती है, लेकिन जब संबंधित संस्थान इसकी जांच करती है तो मामला आपसी रंजिश, मारपीट या विवाद का निकलता है। राजधानी में ही पूर्व में एक छात्रा ने होस्टल अधीक्षिका को परेशान करने के लिए झूठी शिकायत कर दी थी। जिसके बाद उसे होस्टल से भी बाहर निकाला गया था।
राजधानी के ही एक निजी प्रतिष्ठित कॉलेज में रैगिंग की शिकायत जांच में फर्जी निकल चुकी है। ऐसे कई उदाहरण मौजूद हैं। विवि में पदस्थ DSW भी यही मानते हैं कि आज के इस प्रतिस्पर्धी माहौल में स्टूडेंट अपनी एनर्जी सकारात्मक चीजों में लगाते हैं। रैगिंग को लेकर बनाए गए सख्त कानून के डर से अधिकतर स्टूडेंट इन सबसे दूर ही रहते हैं। बावजूद इसके आपसी रंजिश को रैगिंग बताकर शिकायत करने के कारण आंकड़ों में कमी नहीं आ रही है।
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