शिवराज को मुख्यमंत्री बनाने दिल्ली से भोपाल आए थे अरुण जेटली, 2003 में दिग्विजय के खिलाफ चलाया था मुहिम

भोपाल। भाजपा के वरिष्ठ नेता, पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली के निधन पर प्रदेश भाजपा के नेता भी शोकाकुल हैं। जेटली मप्र से नहीं थे पर वे यहां महत्वपूर्ण राजनीतिक बदलावों के साक्षी रहे हैं। बदलावों में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। प्रदेश में अपराजेय बन रहे तत्कालीन मुख्यमंत्री व कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह को सत्ता से हटाने के वे मुख्य रणनीतिकार थे तो भाजपा नेत्री साध्वी उमा भारती को मुख्यमंत्री बनाने में भी उनकी मुख्य भूमिका थी। माना जाता है कि बाद में उमा भारती की मुख्यमंत्री पद से रवानगी में भी उन्होंने भूमिका निभाई और दुबारा मुख्यमंत्री बनने से रोकने में भी। तत्कालीन मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर के हटने के बाद उमा की जगह शिवराज सिंह चौहान भाजपा विधायक दल के नेता चुने जाएं, इस योजना पर अमल के लिए दिल्ली से आई टीम में जेटली भी शामिल थे। इसीलिए जेटली का मप्र से गहरा राजनीतिक जुड़ाव माना जाता है। 2018 के विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी का घोषणा पत्र जारी करने भी जेटली ही भोपाल आए थे।
मिंटो हाल में आमने-सामने थे दिग्विजय-जेटली
कांग्रेस नेता एवं तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को जब अपराजेय माना जाने लगा था तब 2003 के विधानसभा चुनाव में उमा भारती को मुख्यमंत्री का दावेदार प्रस्तुत किया गया था और अरुण जेटली को चुनाव प्रभारी बनाकर मप्र भेजा गया था। जेटली तब पार्टी के चुनाव प्रबंधक, मुख्य रणनीतिकार की भूमिका में थे। वे ही तय करते थे कि पार्टी कब कौन से मुद्दे उठाएगी। मिंटो हाल में दिग्विजय सिंह एवं जेटली का एक बहस में आमना-सामना हुआ था तब दिग्विजय को उन्होंने निरुरूत्तर जैसा कर दिया था। इस कार्यक्रम में मान लिया गया था कि दिग्विजय की रवानगी तय है। इसीलिए दिग्विजय सिंह को सत्ता से बेदखल करने एवं उमा भारती को सत्ता में लाने का जनक जेटली को माना जाता है। तब वे मीडिया के पसंदीदा नेता बन गए थे।
उमा के इस्तीफे में भी निभाई थी भूमिका
अरुण जेटली 2003 के विधानसभा चुनाव से पहले तक मप्र के अघोषित प्रभारी थे। पार्टी की ओर से प्रदेश प्रभारी का दायित्व ओम माथुर के पास था पर उमा भारती के कारण वे ही प्रभारी की भूमिका में रहते थे। दिल्ली में वेंकैया नायडू भाजपा अध्यक्ष बने तो प्रमोद महाजन सहित एक टीम ने उमा भारती को मुख्यमंत्री पद से हटाने की रणनीति पर काम शुरू किया था। इस टीम में अरुण जेटली भी थे। माना जाता है कि जब कर्नाटक की एक कोर्ट से उमा के नाम वारंट जारी हुआ तो उमा से इस्तीफा लेने की योजना बन गई। ऐसी रणनीति बनाई गई कि उमा उसमें फंस गई और उन्हें तिरंगा के नाम पर पद छोड़ना पड़ गया। इसीलिए माना जाता है कि उमा को मुख्यमंत्री बनाने में जेटली की भूमिका थी तो उन्हें पद से हटा कर रवाना करने में भी।
शिवराज के लिए रोका गया था उमा को
डेढ़ साल तक प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे बाबूलाल गौर को पद से हटाने के लिए उमा भारती और उनके समर्थकों ने ही मजबूर किया था। लगभग 80 विधायक उमा के साथ थे। उमा ने गौर का समर्थन इसी शर्त पर किया था कि उनके कहने पर वे मुख्यमंत्री का पद छोड़ देंगे। गौर को हटाकर नया नेता चुनने के लिए विधायक दल की बैठक बुलाई गई तो दिल्ली से उसमें हिस्सा लेने संजय जोशी, राजनाथ सिंह, प्रमोद महाजन के साथ अरुण जेटली भी आए। इस बैठक में उमा के स्थान पर शिवराज सिंह चौहान को नेता चुना गया। दिल्ली की टीम शिवराज को नेता बनाने तय कर आई थी। इस तरह जेटली की भूमिका उमा को रोक कर शिवराज को नेता बनाने में भी थी। इसके बाद उमा ने बगावत की और उन्हें पार्टी से निकाला गया।
और पढ़े: Haryana News | Chhattisgarh News | MP News | Aaj Ka Rashifal | Jokes | Haryana Video News | Haryana News App
© Copyright 2025 : Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS
-
Home
-
Menu
© Copyright 2025: Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS