निगम बंटवारे और महापौर चुनाव पर सियासी पारा गर्म, भाजपा नेताओं ने की राज्यपाल से मुलाकात : Watch Video

मध्यप्रदेश में महापौर का चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाती से कराने और नगर निगम के बंटवारे के विरोध में बुधवार को भाजपा के एक प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल लालजी टंडन से मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडल ने राज्य सरकार के फैसले को असंवैधानिक बताते हुए राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा। इस दौरान प्रदेश भाजपा अध्यक्ष राकेश सिंह के अलावा पूर्व सीएम शिवराज सिंह और कई बड़े नेता मौजूद रहे।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष राकेश सिंह ने आरोप लगाए कि प्रदेश की कमलनाथ सरकार नगरीय निकायों को कमजोर करने का प्रयास कर रही है। अप्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली पर एक बार फिर पुर्नविचार करने की जरूरत है। उन्होंने कहा, भाजपा महापौर चुनाव अप्रत्यक्ष तरीके से और निगम बंटवारा किसी हाल में नही होने देगी। इस फैसले के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी इसके खिलाफ सड़क पर उतरने की योजना बना रही है।
आज भारतीय जनता पार्टी मध्यप्रदेश के प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल महोदय से भेंटकर स्थानीय निकायों के महापौर और अध्यक्षों के चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली से कराए जाने तथा भोपाल नगर निगम के विघटन के विरुद्ध प्रदेश भर में चलाए गए हस्ताक्षर अभियान के पत्रक सौंपे pic.twitter.com/2jZQTCuu6l
— BJP MadhyaPradesh (@BJP4MP) October 30, 2019
पुर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने कहा, हम विधान परिषद के गठन की कोई जरूरत नहीं है और हम ऐसा होने नहीं देंगे। प्रत्यक्ष चुनाव लोकतंत्र की आत्मा है। कांग्रेस उस आत्मा को मारने और सांप्रदायिक आधार पर लोगों को बांटने का काम कर रही है। हम कांग्रेस को इस षड्यंत्र में सफल नहीं होने देंगे। वहीं नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने विधान परिषद के गठन पर कहा, इस तरह की बैठकों से विधान परिषद का गठन नही होता। भार्गव ने कांग्रेस पार्टी के वचन पत्र को कुकर्म पत्र बताने से भी नहीं चुके।
राज्यपाल महोदय से भेंटकर भोपाल नगर निगम के विघटन पर आपत्ति दर्ज कराई। प्रत्यक्ष चुनाव लोकतंत्र की आत्मा है। कांग्रेस उस आत्मा को मारने और सांप्रदायिक आधार पर लोगों को बांटने का काम कर रही है। हम कांग्रेस को इस षड्यंत्र में सफल नहीं होने देंगे। pic.twitter.com/fLevSbwrz4
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) October 30, 2019
भाजपा ने राज्यपाल को ज्ञापन सौंप कर बताया कि भोपाल समेत प्रदेश के अन्य नगर निगमों का पुनर्गठन करने की कोशिशें की जा रही हैं तो दूसरी ओर महापौर और अध्यक्ष के चुनाव में अप्रत्यक्ष प्रणाली का उपयोग करने से भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा। ज्ञापन में नगर पालिक निगम अधिनियम की विभिन्न धाराओं का उल्लेख करते हुए यह बताया गया है कि नगर निगमों में बंटवारे की घोषणा के लिए राज्यपाल किसी पर निर्भर नहीं हैं। यह राज्यपाल के स्वविवेक पर आधारित है। इसकी विभिन्न धाराओं में प्रावधान है कि मंत्री परिषद, सचिव या कलेक्टर इस बारे में किसी भी प्रकार की अधिसूचना जारी नहीं कर सकते हैं।
जिसके कारण भोपाल नगर निगम में दो नगर निगम के बंटवारे को लेकर जारी की गई अधिसूचना असंगत है। साथ ही जिन धाराओं का उल्लेख किया गया है वह नगर निगम के परिसीमन से जुड़ी हैं लेकिन उसके बंटवारे से उनका कोई संबंध नहीं है। भाजपा नेताओं ने भोपाल नगर निगम को दो भागों में बांटने के निर्णय को अदूरदर्शी, असंगत, अप्रासंगिक, विकास की गति को रोकने वाला और खर्चिला बताया है।
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