नसबंदी पर भोपाल से दिल्ली तक हंगामा, मध्यप्रदेश सरकार ने क्यों वापस लिया फैसला ? देखिए-

भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार ने नसबंदी का लक्ष्य पूरा नहीं होने पर अजब गजब फरमान जारी किया था। जिसमें राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने राज्य के स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को आदेश किया था कि कम से कम एक सदस्य की नसबंदी कराओ वरना उनको वीआरएस दिया जाएगा। इस आदेश के बाद विपक्ष के तीखे तेवर सामने आये। मुख्यमंत्री के संज्ञान में आने के बाद आदेश को कैंसिल कर दिया गया है। और सरकार ने अवकाश के दिन आनन-फानन में मिशन संचालक को हटाने के आदेश जारी कर दिये है।
मध्यप्रदेश में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की संचालक की ओर से जारी आदेश में कहा गया था कि राज्य सरकार ने कर्मचारियों के लिए हर महीने 5 से 10 पुरुषों के नसंबदी ऑपरेशन करवाना अनिवार्य कर दिया है...ऐसा नहीं करने पर ''नो-वर्क, नो-पे'' के आधार पर वेतन नहीं दिया जाएगा। इस आदेश के बाद विपक्ष के तीखे तेवर सामने आये। पहले सरकार ने इस आदेश को लेकर गोलमोल जबाव दिया और मामले को टालने का प्रयास किया
बाद में मामले को लेकर बवाल मचने के बाद सरकार ने पहले आदेश वापस लेने के आदेश जारी किये और उसके बाद मिशन संचालक छवि भारद्वाज को हटाकर मंत्रालय में अटैच कर दिया। वैसे यह पहला मौका नहीं है..जब इस प्रकार के आदेश जारी किये गये हो। नसंबंदी की समीक्षा के बाद इस प्रकार के आदेश जारी किये जाते है। लेकिन इस बार विपक्ष के तेवर तीखे होने और मामले को विपक्ष द्वारा संजय गांधी से जोड़ने के बाद इस सरकार बैकफुट पर आने के लिये मजबूर हुई और आदेश को वापस लेना पड़ा।
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