ग्वालियर: SDM गौर बोले– जनपद सदस्य एकता मुझ पर दबाव बना रहीं हैं

ग्वालियर। कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से देश भर में कोहराम की स्थिति बनी हुई है। वायरस से बचाव के लिए कोरोना संदिग्धों को क्वारेंटाइन सेंटर्स में रखा जा रहा है। साथ ही साथ, क्वारेंटाइन सेंटर्स में अव्यवस्था और उन अव्यवस्थाओं के प्रति प्रशासनिक उदासीनता भी लगातार सामने आ रही है।
छत्तीसगढ़ के पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर ने कल ही बयान दिया है कि यहां क्वारेंटाइन सेंटर्स में खुदकुशी, छेड़खानी, मौतें, सर्पदंश आदि हो रहे हैं।
छत्तीसगढ़ के ही राजिम से एक खबर आई कि एक बीएमओ ने क्वारेंटाइन सेंटर के संदिग्धों को कहा कि 14 दिनों तक कैसे भी तुम्हें जिंदा रहना है, जो मिल रहा है, उसमें संतुष्ट रहो।
इसके अलावा क्वारेंटाइन सेंटर्स में महिलाएं भी सुरक्षित नहीं है। मध्यप्रदेश के सागर में महिला का नहाते हुए वीडियो बनाकर जबरदस्ती संबंध बनाने के लिए ब्लैकमेल करने का भी मामला सामने आया है।
अब मध्यप्रदेश के ग्वालियर में एक एसडीएम साहब ऐसे ही मिलते-जुलते कारणों से सुर्खियों में हैं।
ग्वालियर के भितरवार में जनपद सदस्य एकता तिवारी ने फोन पर एसडीएम केके गौर से शिकायत की कि क्वारेंटाइन सेंटर के खाने में कीड़े हैं। एसडीएम ने जवाब दिया कि- कोई ठेका नहीं ले रखा है, घर से खाना लाकर दे दो।
एसडीएम साहब अपनी इस बदजुबानी को स्वीकार कर रहे हैं, लेकिन वे यह भी बोल रहे हैं कि- 'क्वारेंटाइन सेंटर में खाने की क्वालिटी अच्छी है कहीं भी कोई अव्यवस्था नहीं है। दरअसल जिस जनपद सदस्या का कॉल मुझे आया था उनके पति खनन माफिया से संबंधित हैं और उन पर करोड़ों की पेनाल्टी भी की गई है। इस वजह से दबाव बनाने के लिए दुर्भावनापूर्वक ऐसा कृत्य किया जा रहा है।'
कुल मिलाकर बात यही है कि कॉल रिकॉर्ड वायरल होने के बाद फोन पर हुई बात को स्वीकार करना एसडीएम की मजबूरी है, लेकिन क्वारेंटाइन सेंटर्स में ठहरे मजदूरों के प्रति गैर-जिम्मेदाराना जवाब दे चुके एसडीएम का यह कहना कि अवैध उत्खनन पर की गई कार्रवाई का बदला लेने के लिए जनपद सदस्य आरोप लगा रही हैं, अविश्वसनीय है।
मान भी लें कि जनपद सदस्य का कॉल रिकॉर्डिंग वायरल करने के पीछे जनपद सदस्य की मंशा दबाव बनाने की रही हो, लेकिन यह सच तो एसडीएम भी स्वीकार कर रहे हैं कि उन्होंने मोबाइल पर बात करते हुए 'कोई ठेका नहीं ले रखा है, घर से खाना लाकर दे दो' जैसे वाक्य का इस्तेमाल उन्होंने किया है।
इस वाक्य से एसडीएम का गैरजिम्मेदाराना आचरण साफ झलकता है, क्योंकि इससे खनिज कार्रवाई का कोई संबंध नहीं है। क्वारेंटाइन सेंटर में तमाम व्यवस्थाएं चुस्त रहतीं, तो जनपद सदस्य को कॉल करने की जरूरत ही नहीं पड़ती। और फिर, अगर वहां सारी व्यवस्थाएं सहीं थीं, तो एसडीएम का फोन पर ऐसा जवाब क्यों?
मध्यप्रदेश का ग्वालियर हो या सागर, छत्तीसगढ़ का राजिम हो या कहीं और, हर जगह के क्वारेंटाइन सेंटर्स में एक बात कॉमन है, कि इन सभी जगहों की शर्मनाक तस्वीरें सभी के सामने आने के बावजूद कार्रवाई तो दूर, अफसरों ने गलती भी नहीं मानी है।
ग्वालियर के एसडीएम केके गौर के संदर्भ में भी अभी तक लगभग यही स्थिति है।
कुलमिलाकर, सर्वसुविधायुक्त क्वारेंटाइन सेंटर्स प्रशासन सुचारू ढंग से संचालित कर रहा है। केके गौर जैसे अफसरों की कोई कमी नहीं है, जो समर्पित भाव से क्वारेंटाइन सेंटर्स में मौजूद कोरोना संदिग्धों की सेवा कर रहे हैं।
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