अयोध्या जमीन विवाद पर सुनवाई पूरी, सुप्रीम कोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित, कैलाश विजयवर्गीय ने कही यह बात

इंदौर। देश के दशकों पुराने राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद के अयोध्या जमीन विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में आज ऐतिहासिक बहस पूरी हो गई। 40 दिनों तक चली इस सुनवाई के बाद पीठ ने सभी पक्षों की दलीलों को सुना और फैसले को अपने पास सुरक्षित रख लिया है। साथ ही सभी पक्षों से कहा कि वे मोल्डिंग ऑफ़ रिलीफ पर 3 दिनों में कोर्ट को लिखित जवाब दें। वहीं इस मामले को लेकर बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि हमें न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है और फैसला बहुसंख्यक के पक्ष में आएगा।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जरिये किए जा रहे विकास कार्यों से जनता में हर्ष है इसलिए उम्मीद बढ़ गई हैं कि राम मंदिर का निर्माण मोदी और योगी की जोड़ी जल्द ही करेगी। बता दें बुधवार को सुबह सुनवाई शुरू होते ही चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने मामले में दाखिल एक इंटरवेंशन एप्लिकेशन को खारिज कर दिया। चीफ जस्टिस ने इस अर्जी को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि अब बहुत हुआ, यह मामला आज 5 बजे तक खत्म हो जाएगा।
मुस्लिम पक्ष के वकील द्वारा नक्शा फाड़ने पर नाराज हुए चीफ जस्टिस
इससे पहले कोर्ट में हो रही सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट द्वारा मामले में मध्यस्थता के लिए बनाई गई पैनल की रिपोर्ट पेश कर दी गई है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस रिपोर्ट में सुन्नी वफ्फ बोर्ड को लेकर अहम बात कही गई है। वहीं इससे ठीक पहले सुनवाई के दौरान हिंदू महासभा के वकील द्वारा कोर्ट में नक्शा रखा गया था और तर्क दिए गए। इस बीच मुस्लिम पक्ष के वकील धवन ने इस नक्शे को फाड़ दिया जिस इस पर चीफ जस्टिस नाराज हो गए और उन्होंने कहा कि अगर इस तरह के आर्ग्यूमेंट हो रहे हैं तो फिर हम सुनवाई को अभी खत्म मान लेंगे और उठकर चले जाएंगे।
अयोध्या में धारा 144 लागू
अयोध्या में राम जन्मभूमि.बाबरी मस्जिद भूमि विवाद की सुनवाई के आज अंतिम चरण के चलते पूरे इलाके में धारा 144 लगा दी गई है। ऐसे में चार या अधिक लोग के एक जगह इक्ट्ठा खड़े नहीं हो सकते हैं। अंतिम फैसले तक यह जारी रहेगी। सुप्रीम कोर्ट ने मामले के 38वें दिन एक सप्ताह के दशहरे की छुट्टी के बाद फिर से सुनवाई शुरू की थी। जिसका फैसला 17 नवंबर से पहले आने की उम्मीद की जा रही है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला
साल 2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अयोध्या में 2ण्77 एकड़ भूमि पर फैसला सुनाया था। जिसमें विवादित जमीन को तीन हिस्सों में बंटा गया हैए सुन्नी वक्फ बोर्डए निर्मोही अखाड़ा और राम जन्मभूमि के बीच बंटा गया था था। इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चौदह अपील दायर की गई थीं।
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