कमलनाथ के मंत्री दूसरे मंत्रियों को बनवाना चाहते हैं प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष

आशीष भट्ट/ भोपाल। मुख्यमंत्री बनने के करीब नौ महीने बाद भी कमलनाथ ही प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष हैं। उनकी जगह नया अध्यक्ष चुनने की कवायद पूरी होती नहीं दिख रही है। आलम यह है कि मंत्रियों को अध्यक्ष पद देने की चर्चा हो रही है, लेकिन जिन सात मंत्रियों नाम चर्चा में हैं वे खुद के बजाय अन्य मंत्री का नाम चलाने में जुटे हैं। कोई भी मंत्री पद छोड़कर संगठन की कमान संभालने तैयार नजर नहीं आ रहा। हालांकि वे अपने ही गुट को पद मिलने के सूत्र को मजबूती से पकड़े रहने की रणनीति पर चल रहे हैं। जो भी अध्यक्ष बनेगा उसका मंत्री पद जाएगा।
पार्टी सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री कमलनाथ भी चाहते हैं कि मंत्रिमंडल विस्तार के लिए दावेदारों की संख्या अधिक होने और निर्धारित संख्या का पालन करते हुए पद कम होने के चलते किसी एक मंत्री को मंत्रिमंडल से इस्तीफा दिलाकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बना दिया जाए। 230 सदस्यीय मप्र विधानसभा में नियमानुसार 15 फीसदी यानी अधिकतम 34 मंत्री बनाए जा सकते हैं। इनमें मुख्यमंत्री का पद भी शामिल है। प्रदेश में अभी 29 मंत्री है।
पांच मंत्री और बनाए जा सकते हैं, लेकिन दावेदार कांग्रेसी विधायकों और सरकार को समर्थन दे रहे दलों के विधायकों की संख्या एक दर्जन से अधिक है। यह दावेदार मंत्री न बनाए जाने पर समय-समय पर अपनी नाराजगी जताते रहते हैं, सरकार को कुछ विधायकों के पार्टी छोड़ने का खतरा भी है। एक मंत्री का इस्तीफा लेकर उसे प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की कमान सौंपने से छह विधायकों को मंत्री पद दिया जा सकता है। आलाकमान राजी हुआ तो कमलनाथ फार्मूले के तहत एक मंत्री का इस्तीफा लेकर प्रदेश अध्यक्ष बनाया जा सकता है।
इन मंत्रियों के नाम चर्चा में
गृह, जेल एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री बाला बच्चन, पवन मंत्री उमंग सिंगार, सामान्य प्रशासन मंत्री डॉ. गोविंद सिंह, आदिम जाति कल्याण मंत्री ओंकार सिंह मरकाम, उच्च शिक्षा, खेल एवं युवक कल्याण मंत्री जीतू पटवारी, राजस्व एवं परिवहन मंत्री गोविंद राजपूत, लोनिवि मंत्री सज्जन सिंह वर्मा का नाम प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद को लेकर चर्चा में है। इनमें से कोई अध्यक्ष बनने को तैयार नहीं है। पार्टी का एक वर्ग चाहता है कि नया प्रदेश अध्यक्ष आदिवासी हो जिससे आदिवासियों को कांग्रेस से जोड़ने में मदद मिले।
यह वर्ग बीते करीब दो दशक में कांग्रेस से छिटक चुका है। लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस काे इस वर्ग का साथ नहीं मिला। जो नाम चर्चा में हैं उनमें से तीन मंत्री बाला बच्चन, उमंग सिंघार और ओंकार सिंह मरकाम आदिवासी हैं। बच्चन और सिंघार संगठन में काम कर चुके हैं। जीतू पटवारी पिछड़े वर्ग और राजपूत सामान्य वर्ग से हैं। दोनों ही संगठन में विभिन्न पदों पर रह चुके हैं। डॉ गोविंद सिंह ठाकुर हैं और लगातार चुनाव जीतते रहे और जमीन पकड़ वाले माने जाते हैं। वर्मा अनुसूचित जाति के हैं और संगठन में रह चुके हैं।
एक दूसरे को कर रहे आगे
सज्जन सिंह वर्मा बाला बच्चन के नाम की पैरवी कर रहे हैं। डॉ गोविंद सिंह पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह के नाम की पैरवी कर रहे हैं। ओमकार सिंह मरकाम उमंग सिंघार के नाम की पैरवी कर रहे हैं। जीतू पटवारी और गोविंद राजपूत भी इस पद की दावेदारी से कतरा रहे हैं। कांग्रेस केे गुटीय लिहाज से बच्चन और वर्मा कमलनाथ गुट के, राजपूत सिंधिया गुट के और डा. सिंह दिग्विजय गुट के माने जाते हैं।
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