MCU के पूर्व कुलपति बीके कुठियाला ने EOW को लिखा पत्र, कहा - मैं भगोड़ा नहीं, जांच में सहयोग के लिए हर तरह से तैयार

भोपाल। माखनलाल पत्रकारिता विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति बीके कुठियाला ने कहा है कि वह भगोड़ा नहीं है। वह अपने खिलाफ में जांच में सहयोग के लिए तैयार हैं। उन्होंने इस संंबंध में EOW के डीजीपी को पत्र लिखा है। उन्होंने लिखा है कि मैंने एक वेबसाइट पर वीडियो देखा जिसमें मुझ पर विदेश भागने का आरोप लगाया गया है। वीडियो में कहा गया है कि जब EOW की टीम मेरे आवास और कार्यालय पर पहुंची तो मैं वहां मौजूद नहीं था। जिसके बाद मुझे फरार घोषित कर दिया गया और मेरी संपत्ति अटैच करने की बात कही गई। कुठियाला ने साफ किया है कि जब EOW की टीम मेरे ऑफिस पहुंची तो मैं आधिकारिक छुट्टी पर था और इस बात से मेरा स्टाफ अवगत नहीं था।
उन्होंने आगे लिखा है कि EOW के इंस्पेक्टर अविनाश कुमार श्रीवास्तव के नाम से मुझे 4 जून को एक पत्र प्राप्त हुआ। जिसमें 8 जून को मुझसे बयान दर्ज कराने की बता कही गई थी। लेकिन मेरे पास उस तिथि के लिए रेल या हवाई टिकट नहीं था। साथ ही मैं पूर्व निर्धारित कार्यक्रमों में व्यस्त था। हरियाणा उच्च शिक्षा परिषद के अध्यक्ष होने के नाते मुझे कई कार्यक्रमों और कार्यशालाओं में शामिल होना था। इसलिए मैंने सात जून को अविनाश कुमार को फोन किया और 27 जून के बाद बयान दर्ज कराने का अनुरोध किया। साथ ही मैंने इस संबंध में 11 जून और 14 जून को पत्र लिखकर भी 27 जून के बाद बयान दर्ज कराने का आग्रह किया।
उन्होंने पत्र में लिखा है कि आप वरिष्ठ हैं। आपको याद होगा कि मैंने अपने कार्यकाल के दौरान सामाज की बेहतरी के लिए पुलिस और मीडिया के संबंधों को लेकर कई कार्यक्रम और सेमीनार आयोजित किए हैं। उन्होंने डीजीपी से आग्रह किया है कि मामले की अभी जांच की जा रही है, इसलिए उनके खिलाफ मीडिया ट्रायल पर रोक लगाई जाए। इसके साथ ही कुठियाला ने कहा है कि मुझे फरार घोषित नहीं किया जाए। मैं इस देश का जिम्मेदार नागरिक हूं। मैंने कभी कानूनी प्रक्रिया का अनादर नहीं किया। मैंने हमेशा से जांच में सहयोग करने की प्रतिबद्धता जताई है।
उन्होंने लिखा है कि जिस तरह से मुझे गलत ढंग से सिर्फ एक इंक्वायरी रिपोर्ट के आधार पर फंसाया गया ,उससे मैं भयंकर मानसिक पीड़ा से गुजर रहा हूं। इस केस में मुझे कभी अपना पक्ष रखने का मौका नहीं दिया गया। यहां तक कि मुझे मेरे वैधानिक अधिकारों से भी वंचित रखा गया, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 17 ए के अनिवार्य प्रावधानों को भी सही तरीके से फॉलो नहीं किया गया। इसलिए मैं आपसे आग्रह करता हूं कि मुझे मेरा पक्ष रखने का मौका दिया जाए। उन्होंने लिखा है कि वह 18 जुलाई के बाद के EOW सामने पेश होने के लिए तैयार हैं।
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