यूनेस्को की अस्थाई सूची में शामिल हुईं ओरछा की ऐतिहासिक इमारतें, जानिए क्यों प्रसिद्ध है ओरछा

यूनेस्को की अस्थाई सूची में शामिल हुईं ओरछा की ऐतिहासिक इमारतें, जानिए क्यों प्रसिद्ध है ओरछा
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ओरछा की ऐतिहासिक धरोहरों को यूनेस्को की धरोहरों की अस्थायी सूची में शामिल किया गया है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के अधिकारी ने बताया कि 15 अप्रैल 2019 को इस संबंध में यूनेस्को को प्रस्ताव भेजा गया था।

टीकमगढ़. ओरछा की ऐतिहासिक धरोहरों को यूनेस्को की धरोहरों की अस्थायी सूची में शामिल किया गया है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के अधिकारी ने बताया कि 15 अप्रैल 2019 को इस संबंध में यूनेस्को को प्रस्ताव भेजा गया था। ऐतिहासिक तथ्यों के विवरण भी दिए गए थे। अस्थायी सूची में शामिल होने के बाद अब एक मुख्य प्रस्ताव यूनेस्को को भेजा जाएगा। बता दें कि ओरछा मप्र के टीकमगढ़ जिले से 80 किमी और उप्र के झांसी से 15 किमी दूर बेतवा नदी के तट पर स्थित है।

बताया जाता है कि यहां हर रोज रात्रि पूजन के बाद ज्योति रूप में श्रीराम को हनुमान मंदिर तक पहुंचाया जाता है। मान्यता है कि अपने वचन के अनुसार, श्रीराम ने अयोध्या नहीं छोड़ा था और वह दिन में ओरछा में रहते थे तथा रात में अयोध्या जाते थे। यहां पर पूरी दुनिया का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां भगवान राम को राजा के रूप में पूजा जाता है। राय प्रवीन महल, चतुर्भुज मंदिर, फूलबाग वस्तुशिल्प के उदाहाण हैं। कहा जाता है कि ओरछा को 16वीं सदी में बुंदेला राजा रूद्र प्रताप सिंह ने बसाया थी। ओरछा अपने राजा महल या रामराजा मंदिर, शीश महल, जहांगीर महल, राम मंदिर, उद्यान और मंडप आदि के लिए प्रसिद्ध है।

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