अनूठी परंपरा : मन्नत पूरी होने पर आठ लोगों को रौंदती हुईं निकलती हैं सैंकड़ों गायें, जानें फिर क्या हुआ

राहुल/ उज्जैन। मध्यप्रदेश के उज्जैन जिले में आस्था के नाम पर वर्षों से अंधविश्वास की अनूठी परंपरा चली आ रही है। यकीन मानिए जिसके बारे में जानकर आप भी अंदर तक सिहर जाएंगे। उज्जैन जिले में स्थित ग्राम भिड़ावाद में मन्नत पूरी होने पर दिवाली के दूसरे दिन आठ लोग सैकड़ों गायों के नीचे लेट जाते हैं।
उज्जैन से 75 किलोमीटर दूर स्थित बडनगर तहसील के गांव भिड़ावाद में आज अनूठी आस्था देखने को मिली। दिवाली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा पर लोहारियां गांव में 'गाय गौहरी' का पर्व मनाया जाता है जिसमें सुबह गाय का पूजन किया जाता है। पूजन के बाद लोग जमीन पर लेट गए और उनके ऊपर से गायें निकाली गई। मान्यता है की ऐसा करने से मन्नतें पूरी होती है और जिन लोगों की मन्नत पूरी हो जाती है वे भी ऐसा करते हैं। इस परम्परा के पीछे लोगों का मानना है की गाय में 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास होता है। गाय के पैरों के नीचे आने से देवताओं का आशीर्वाद मिलता है।
दीपावली के दूसरे दिन होने वाले इस आयोजन में जो लोग शामिल होते है उन्हें वर्षों पुरानी परम्परा का निर्वाह करना होता है। परम्परा अनुसार लोग पांच दिन तक उपवास करते हैं और दिपावली के एक दिन पहले गांव के मंदिर में रात गुजारते हैं। सुबह पूजन किया जाता है उसके बाद ढोल नगाड़ों के साथ गांव की परिक्रमा की जाती है। एक और गांव की सभी गायों को एकत्रित किया जाता है और दूसरी तरफ लोग जमीन पर लेटते हैं।
कहते हैं गायों के ऊपर से गुजरने के बाद भी श्रद्धालुओं को खरोंच तक नहीं आती। चोट आने पर वे गव्य मूत्र एवं गोबर से प्राथमिक उपचार करते हैं। आदिवासी अंचल में इंसान जमीन पर लेटते हैं और गायें बिना गंभीर क्षति पहुंचाए इन पर से गुजर जाती हैं। ग्रामीण बताते हैं कि सालों पहले ग्राम के एक शख्स के यहां पुत्र होने की मन्नत के साथ ही यह गाय और गोहरी कार्यक्रम प्रारंभ हुआ था। तब से आस्था का यह पर्व ग्रामीण प्रति वर्ष मनाते हैं।
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