क्यों भारत छोड़ रहे हैं लोग, 2011 से अबतक 16 लाख लोगों ने छोड़ी अपनी भारतीय नागरिकता, जानें कारण

राज्यसभा में बजट सत्र के दौरान केंद्र सरकार ने एक बड़ी जानकारी देते हुए बताया कि पिछले 12 सालों में 16 लाख से ज्यादा भारतीयों ने अपनी नागरिकता छोड़कर किसी दूसरे देश की नागरिकता ली है। राज्यसभा में केंद्रीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने यह बात बताई है। प्रश्नकाल के दौरान एक सवाल के जवाब में विदेश मंत्री ने आंकड़े बताते हुए ये जानकारी दी है।
केंद्रीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बताया कि साल 2011 से अब तक 16 लाख से ज्यादा भारतीय अपनी नागरिकता छोड़ चुके हैं। इसमें से दो लाख से अधिक (2,25,620) लोगों ने पिछले साल ही भारत की नागरिकता छोड़ी थी। सवाल का जवाब देते हुए विदेश मंत्री ने राज्यसभा में बताया कि साल 2015 में 1,31,489, 2016 में 1,41,603 और 2017 में 1,33,049 लोगों ने भारत की नागरिकता छोड़कर अन्य किसी और देश की नागरिकता ली है। उन्होंने आगे बताया कि इसी तरह 2018 में 1,34,561, 2019 में 1,44,017 लोगों ने भारत की नागरिकता छोड़ी थी। वहीं, 2020 में नागरिकता छोड़ने वालों की संख्या में कमी आई और इस साल 85,256 लोगों ने अपनी नागरिकता छोड़ी, लेकिन फिर 2021 और 2022 में इसकी संख्या फिर बढ़ गई है। 2021 में 1,63,370 और पिछले साल 2022 के मिलाकर कुल 2,25,620 लोगों ने भारत की नागरिकता छोड़कर अन्य किसी और देश की नागरिकता ली है।
केंद्रीय विदेश मंत्री जयशंकर ने बताया कि 2011 से अब तक देश की नागरिकता छोड़ने वालों की संख्या 16,63,440 हो गई है। इसके साथ ही केंद्रीय विदेश मंत्री जयशंकर ने उन 135 देशों की लिस्ट भी दी जिनकी नागरिकता भारत के लोगों ने ली है। वहीं एक दूसरे सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि पिछले तीन सालों में पांच भारतीयों ने संयुक्त अरब अमीरात की नागरिकता ली है, जिसमें पूछा गया था कि पिछले तीन सालों में किसने भारतीयों ने संयुक्त अरब अमीरात की नागरिकता ली है।
बता दें कि भारत के संविधान के हिसाब एक भारतीय नागरिक एक वक्त में किसी एक ही देश का नागरिक हो सकता है। इसे यहां एकल नागरिकता की व्यवस्था कहा जाता है। इसका मतलब होता है कि कोई भी नागरिक अगर दूसरे किसी देश की नागरिकता लेता है तो उसकी भारतीय नागरिकता अपने आप खत्म हो जाएगी। ग्लोबल वेल्थ माइग्रेशन रिव्यू की 2020 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अच्छी लाइफस्टाइल के लिए कई लोग नई नागरिकता लेते हैं। इसी के साथ अपराध दर बढ़ने या देश में व्यावसायिक अवसरों की कमी की वजह से भी लोग ऐसा करते हैं।
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