21 June International Yoga Day 2019 : 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2019

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2019 (International Yoga Day 2019) हर साल की तरह इस साल भी 21 जून (21 June) को मनाया जाएगा है। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2019 की थीम क्लाइमेट एक्शन (International Yoga Day 2019 Theme Is Climate Action) रखी गई है। इस इस बार के योग दिवस (Yoga Day) के रंग ढंग थोड़े अलग रहने के आसार हैं। जिन राज्यों में कांग्रेस की सरकारें हैं, खासकर मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में वहां योग दिवस के प्रति उत्साह वैसा शायद न दिखे, जैसा उत्साह इन राज्यों में भाजपा सरकारों के रहते दिखता था।
योग का राजनीति से रिश्ता यूं होना नहीं चाहिए, पर कुछ वजहों से इसका रिश्ता जोड़ दिया जाता है। इसका फायदा एक हद भाजपा और मोदी को होता है, क्योंकि जो भारतीय विरासत है, भारतीय धरोहर है, उसे मोदी और भाजपा के खाते में ही डाल दिया जाता है। मोदी के एनिमेशन वाले वीडियो तमाम योग मुद्राओं में सोशल मीडिया के तमाम प्लेटफार्मों पर दिखाई पड़ रहे हैं।
विश्व योग दिवस जैसे-जैसे नजदीक आता जा रहा है वैसे वैसे सोशल मीडिया से लेकर कंपनियों तक में योग दिवस आयोजित कराने का उत्साह साफ नजर आ रहा है। योग दिवस को लेकर इतना उत्साह एक अच्छा संकेत है कि हम आज की इस भागती-दौड़ती जिन्दगी में अपनी सेहत के प्रति जितना असंवेदनशील होते जा रहे हैं। उसमें योग दिवस के माध्यम से ही लेकिन हम अपने स्वास्थ्य के बारे में सोच तो रहे हैं।
सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री मोदी से लेकर आयुष मंत्रालय तक और धर्मगुरु सद्गुरु से लेकर तमाम विद्वानों से योग मुद्राओं के बारे में जानकारी मिल जाएगी। विभिन्न कंपनियां और एनजीओ योग दिवस के अवसर पर अपने ऑफिस से लेकर आम जनता के बीच जाकर योग करवा रही हैं। ये आयोजन कितने सफल होते हैं ये तो इनके आयोजन के बाद ही पता चलेगा, लेकिन सोशल मीडिया पर ये आयोजन सफल हैं।
आपको योग के बारे में जितनी भी जानकारी चाहिए वो सब आपकी जरूरत से कहीं ज्यादा मिल जाएगी और खतरा यहीं से शुरू होता है। योग दिवस पर जानकारियां देने के लिए खूब उत्साह दिखाई पड़ता है। कुछ साल पहले योग दिवस पर नरेन्द्र मोदी के ट्विटर अकाउंट से नियमित तौर पर तमाम आसनों के बारे में जानकारियां मिलती थीं। विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर योग संबंधित जानकारियां और योग दिवस के बारे में भी काफी अच्छी सूचनाएं दी गईं।
सोशल मीडिया पर छाए हुए योग दिवस के तमाम सकारात्मक पहलुओं के साथ-साथ इसके कुछ नकारात्मक प्रभाव भी हैं। सोशल मीडिया से प्रभावित होना और ऑनलाइन योग सीखना वैसा ही है जैसा किताब पढ़कर तैरना सीखना। यूट्यूब से लेकर बहुत से योग गुरुओं के वीडियो भी ऑनलाइन उपलब्ध हैं जिनमें पूरे योग की सही जानकारी भी होती है। लेकिन इन सारे ज्ञान के साथ-साथ जो सबसे बड़ी समस्या है वो है किसी गुरु का न होना।
योग स्वास्थ्य के लिए बहुत ही अच्छी चीज है। ये न सिर्फ शरीर को बाहरी रूप से सुंदर बनाता है बल्कि शरीर की अंदरूनी शक्ति को भ्ाी बढ़ाता है, लेकिन इन सारी बातों से भी ऊपर एक बात है और वो ये कि कोई भी ज्ञान गुरु के बिना पूरा नहीं होता और योग जैसा तो बिल्कुल भी नहीं। हर व्यक्ति की आवश्यकताएं अलग-अलग होती हैं और अलग होते हैं उन्हें पूरा करने के ढंग। इन्टरनेट पर मिलने वाला ज्ञान सबके लिए सही हो यह नहीं हो सकता।
योग सामूहिक के साथ-साथ व्यक्तिगत मसला भी योग हर शरीर और हर बीमारी के लिए अलग-अलग होते हैं और किसके लिए कौन सा योग आवश्यक है इसका पता गुरु के सानिध्य में ही चल सकता है। कुछ योग विशेष बीमारियों में निषिद्ध होते हैं, लेकिन यदि किसी ने इन्टरनेट पर सिर्फ योग के फायदे के बारे में पढ़ा, लेकिन ये नहीं देखा कि वह किन परिस्थितियों में करना है और किनमें नहीं तो उसका फायदा मिलने की जगह घाटा हो सकता है।
न सिर्फ योग बल्कि सभी प्राणायाम भी सबके लिए नहीं होते हैं। जैसे कपालभांति आज का बहुचर्चित प्राणायाम है। बाबा रामदेव ने इसे बहुत ही लोकप्रिय बनाया है। पर सवाल यह है कि कपालभांति को क्या सिर्फ यूट्यूब पर या ट्विटर पर इसे करते देखकर सीखा जा सकता है। इसका जवाब है नहीं। कोई योग गुरु इसे करके दिखा सकता है, तो इसका मतलब यह नहीं है कि यह सबके के लिए है।
अगर कोई उच्च रक्तचाप से पीड़ित हैं तो कपालभांति प्राणायाम उसके लिए निषिद्ध है या बहुत सीमित तरीके से योग्य गुरु के निर्देश में ही इसे करना है। अगर ऐसा नहीं किया गया तो कपालभांति उच्च रक्तचाप से पीड़ित व्यक्ति के लिए राहत की नहीं, तनाव की वजह बन सकता है। वह संकट में पड़ सकता है। ऐसे ही आंखों के लिए एक क्रिया करवाई जाती है, त्राटक। इस क्रिया में किसी एक वस्तु को बिना पलक झपकाए देखना होता है। परंतु जिनकी आंखों पर पहले ही चश्मा चढ़ा हुआ है, उन्हे त्राटक क्रिया कष्ट दे सकती है।
मीडिया, सोशल मीडिया तो एक व्यापक जनसमुदाय को संबोधित करता है। वहां पर अलग से ऐसे निर्देश नहीं दिए जाते के कपालभांति किसे नहीं करना है। त्राटक किसे नहीं करना है। पर ऐसे निर्देशों के बिना योग के परिणाम उल्टे आ जाते हैं। किसे कौन सा योग करना है और कितना करना है ये इसकी सही जानकारी योग गुरु ही दे सकते हैं। इसी के साथ-साथ इन्टरनेट से प्रेरित होकर योग शुरू करने का एक और घाटा है।
इन्टरनेट के प्रभाव में आकर लोग योग शुरू तो कर देते हैं लेकिन जितने उत्साह से योग शुरू होता है 90 प्रतिशत लोग उसे चालू नहीं रख पाते हैं। योग स्वस्थ रहने की ऐसी तकनीक है जिसके असर को एक दिन में नहीं प्राप्त किया जा सकता। इसके उलट योग शुरू करने के शुरुआती दिनों में कुछ शारीरिक समस्याओं का भी सामना करना पड़ सकता है क्योंकि शरीर के सारे जोड़ जब अचानक से खुलते हैं तो कुछ तकलीफ तो होगी ही। ऐसे समय में योग गुरु की आवश्यकता होती है।
लोगों को ऐसा भी लग सकता है कि योग गुरु के सानिध्य में योग सीखना बहुत ही महंगा होगा। लेकिन ऐसा नहीं है, बहुत सी स्वयंसेवी संस्थाएं मुफ्त में अपने योग कैंप चलाती हैं। जहां जाकर आप योग सीख सकते हैं। इसके साथ ही लगभग हर शहर के पार्कों में आपको सुबह-सुबह स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रशिक्षित गुरु मुफ्त में योग सिखाते मिल जाएंगे। जिनका हिस्सा कोई भी बन सकता है। सुबह-सुबह पार्क में जाकर योग गुरु के सानिध्य में योग सीखने के कई फायदे हैं, सबसे बड़ा फायदा तो ये ही होता है कि आपको अपने शरीर की आवश्यकता के अनुसार योग सीखने को मिलता है।
इन्टरनेट पर योग सीखना अच्छा है, लेकिन योग के सही फायदे के लिए इसे किसी गुरु के साथ सीखा जाए तो इसका प्रभावी और त्वरित असर देखने को मिलता है और इसी के साथ-साथ जब आप लोगों के समूह में योग करते हैं तब आपस में संवाद के अवसर भी प्राप्त होते हैं और कुछ समय बाद बोर होकर योग छोड़ देने की समस्या से भी बचा जा सकता है। तो इस योग दिवस योग को अपने जीवन का अहम हिस्सा बनाने के लिए पहला कदम उठाइये और किसी गुरु से योग सीख कर स्वयं के साथ-साथ साथ दूसरों को योग के लिए प्रेरित करते हुए एक स्वास्थ्य समाज निर्माण में अपना योगदान दीजिये।
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