जम्मू-कश्मीर के छात्रों को हुर्रियत और टेरर फंडिंग के जरिए दिलाते थे MBBS सीटें, चार गिरफ्तार: डीजीपी दिलबाग सिंह

जम्मू-कश्मीर के छात्रों को हुर्रियत और टेरर फंडिंग के जरिए एमबीबीएस की सीटें दिलाने के मामले में चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है। जम्मू-कश्मीर के डीजीपी दिलबाग सिंह ने बुधवार को कहा है कि आज की प्रेस वार्ता एक जांच से संबंधित है जो सीआईडी की विंग कर रही है। ये जांच जो लोग हुर्रियत के चैनल से खासकर एमबीबीएस की सीट खरीदकर पाकिस्तान पढ़ने गए, इस दौरान पैसा आगे हुर्रियत के चैनल से आतंकवाद को फंड करने के लिए इस्तेमाल हुआ उसके बारे में है।
इस मामले में अभी तक चार लोग गिरफ्तार कर लिए गए हैं। ये मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग का बहुत महत्वपूर्ण मामला है। अभी तक की जांच में पाया गया है कि 80 के करीब एमबीबीएस के केस हुर्रियत के चैनल से पाकिस्तान गए। ये भी मालूम हुआ है कि एक सीट के लिए 10-12 लाख रुपये की रकम देनी पड़ती थी। हर साल 40 के करीब केस भी देखें तो बहुत बड़ी रकम जमा होती थी। ये लगभग 4 करोड़ रुपये बनती है।
मोक्ष आंदोलन के अध्यक्ष मोहम्मद अकबर भट उर्फ जफर भट, फातिमा शाह, मोहम्मद अब्दुल्ला शाह और शबजार अहमद शेख को गिरफ्तार किया गया। मोहम्मद अब्दुल्ला शाह के भाई 90 के दशक में पाकिस्तान गए थे और हुर्रियत के सूत्रधार के रूप में काम कर रहे थे। वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने आगे कहा कि अन्य आरोपियों का विवरण अभी साझा नहीं किया जा सकता है, क्योंकि अभी जांच जारी है।
इससे पहले, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने केंद्र शासित प्रदेश में अलगाववादियों की सिफारिशों पर जम्मू-कश्मीर के छात्रों के पाकिस्तान के चिकित्सा संस्थानों में प्रवेश को लाल झंडी दिखा दी थी और उन्हें घाटी में आतंकवादी समूहों के वित्तपोषण के लिए एक वैकल्पिक तंत्र करार दिया था।
2017 में, एनआईए ने आतंकी फंडिंग की जांच के लिए एक मामला दर्ज किया था और इस सिलसिले में एक दर्जन से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया था, जिसमें पाकिस्तान समर्थक अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी के दामाद अल्ताफ अहमद शाह उर्फ 'फंटूश' भी शामिल थे।
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