उत्तर प्रदेश में बंद हुए 8 पॉवर प्लांट: अवधेश वर्मा का आरोप- ग्रामीण सेक्टर में 7 से 8 घंटे का लग रहा पावर कट

उत्तर प्रदेश में कोयले की कमी के कारण बिजली संकट (Power crisis) बढ़ने वाला है। राज्य में कोयले (coal) की कमी होने की वजह से 8 यूनिट बंद हो गई हैं। मीडिया में आई खबरों के मुताबिक, खुद पावर कॉरपोरेशन (Power Corporation) के अधिकारी मान रहे हैं कि 15 अगस्त तक इस तरह की परेशानी रहेगी। अब यूनिट बंद होने से बिजली कटौती भी बढ़ गई है। इसके ज्यादा असर ग्रामीण सेक्टर (Rural Sector) में देखने को मिलेगा।
उत्तर प्रदेश के उर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने कहा है कि मोदी सरकार और कोल इंडिया लिमिटेड के सहयोग से आपूर्ति सामान्य करने की कोशिश की जा रही है। उर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने अपने ट्विटर अकाउंट से ट्वीट करते हुए लिखा था कि प्रिय उपभोक्ता, विभिन्न कारणों से विद्युत उत्पादन इकाइयों में कोयले की आपूर्ति बाधित हुई है, जिससे निर्बाध विद्युत आपूर्ति में व्यवधान आ रहा है। आपको हो रही असुविधा के लिए खेद है। यह समस्या जल्द दूर कर आपूर्ति सामान्य की जाएगी।
इसके अलावा मंत्री ने एक और ट्वीट करते हुए लिखा था कि संयुक्त सचिव, कोयला मंत्रालय की अध्यक्षता में गठित सब ग्रुप, सप्ताह में दो बार कोल आपूर्ति की निगरानी कर रहा है। केंद्र सरकार व कोल इंडिया लिमिटेड के सहयोग से आपूर्ति सामान्य करने के प्रयास किए जा रहे हैं। अन्य स्रोतों से बिजली खरीदी जा रही है।
विद्युत उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने आरोप
खबरों से मिली जानकारी के मुताबिक, उत्तर प्रदेश विद्युत उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने आरोप लगाया है कि ग्रामीण सेक्टर में 7-8 घंटे का पावर कट लग रहा है। यदि कुछ बड़े महानगरों को छोड़ दिया जाए तो अधिकतक जगहों पर बिजली कटौती ज्यादा बड़ गई है।
15 से 20 रुपए प्रति यूनिट तक बिजली खरीदी जा रही
बता दें कि बिजली की कमी को पूरा करने के लिए एक्सचेंज से पावर कॉरपोरेशन 15 से 20 रुपए यूनिट बिजली खरीद रहा है। इस बात की जानकारी अधिकारियों ने दी है। अधिकारियों ने कहा है कि यूनिट की कीमत ज्यादा होने की वजह से पावर कॉरपोरेशन अधिक मात्रा में एक्सचेंज से बिजली नहीं खरीद पा रहा है।
कोयले का बकाया पेमेंट अभी जमा नहीं
रिपोर्ट के अनुसार, उत्पादन निगम के कई पावर प्लांट हैं जिनका कोयले का पेमेंट अभी बकाया है। जिस कारण बिजली की कटौती का सामना करना पड़ रहा है। बताया जा रहा है कि कोयले की कमी को देखते हुए कोल कंपनियों ने यह तय किया है कि जिन पावर प्लांटों का पेमेंट होगा, केवल उन्हें पहले कोयले की सप्लाई की जाएगी। बता दें कि मौजूदा समय में उत्तर प्रदेश में बिजली की मांग 20 हजार से 21 हजार मेगावाट के बीच है। लेकिन सप्लाई केवल 17 हजार मेगावाट तक हो पा रही है।
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