Abdul Kalam Jayanti 2020: जानें खाने में क्या पसंद था अब्दुल कलाम को, इस एक चीज के थे सबसे ज्यादा शौकिन

Abdul Kalam Jayanti 2020: जानें खाने में क्या पसंद था अब्दुल कलाम को, इस एक चीज के थे सबसे ज्यादा शौकिन
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Abdul Kalam Jayanti 2020: भारत के पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम की 15 अक्टूबर को जयंती मनाई जाएगी। इस मौके पर उनकी जिंदगी से जुड़ा एक किस्सा आपके साथ साझा किया जा रहा है। अब्दुल कलाम का अपनी मां आशियम्मा के साथ बहुत गहरा रिश्ता था। उनका मां के हाथ की बनी नारियल की चटनी के साथ चावल और सांभर पसंदीदा खाना था।

Abdul Kalam Jayanti 2020: देश के 11वें राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम (APJ Abdul Kalam) जीवन में विपरीत परिस्थितियों के होते हुए भी उस शिखर तक पहुंचे, जहां तक पहुंचने वाले दुनिया में कम ही लोग होते हैं। वह हमेशा अपने सपनों पर विश्वास करने की बात कहते थे। उन्हें अपने सपनों पर अटूट भरोसा रहता था। वह कहते थे कि सपने व नहीं होते, जो आप सोने के बाद देखते हैं, सपने वो होते हैं, जो आपको सोने नहीं देते। जिस तरह मेरी नियति ने आकार ग्रहण किया, उससे किसी ऐसे गरीब बच्चे को सांत्वना अवश्य मिलेगी, जो किसी छोटी सी जगह पर सुविधाहीन सामजिक दशाओं में रह रहा हो। सबके जीवन में दुख आते हैं, बस इन दुखों में सबके धैर्य की परीक्षा ली जाती है। जीवन में सुख का अनुभव तभी प्राप्त होता है जब इन सुखों को कठिनाइओं से प्राप्त किया जाता है।

शिखर तक पहुंचने के लिए ताकत चाहिए होती है, चाहे वह माउन्ट एवरेस्ट का शिखर हो या कोई दूसरा लक्ष्य। अगर हमें अपने सफलता के रास्ते पर निराशा हाथ लगती है इसका मतलब यह नहीं है कि हम कोशिश करना छोड़ दें क्योंकि हर निराशा और असफलता के पीछे ही सफलता छिपी होती है। इंतजार करने वालों को केवल उतना ही मिलता है, जितना कोशिश करने वाले छोड़ देते हैं। वह कहते हैं कि देश का सबसे अच्छा दिमाग क्लासरूम के आखिरी बेंचों पर मिल सकता है। यदि आप विकास चाहते हैं तो देश में शांति की स्थिति होना आवश्यक है। भारतरत्‍न डॉ. कलाम को मिसाइलमैन के नाम से भी जाना जाता है।

वह देश के पहले ऐसे राष्ट्रपति रहे, जिन्होंने आखिरी वक्त तक युवाओं और आम लोगों के दिलों पर राज किया। उनका जन्म तमिलनाडु के मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। उन्होंने अपनी पढ़ाई सेंट जोसेफ कॉलेज, तिरुचिरापल्ली से की थी। उन्हें वर्ष 2002 में भारत का राष्ट्रपति बनाया गया। पांच वर्ष की अवधि पूरी होने के बाद वह पुनः शिक्षा, लेखन और सार्वजनिक जीवन में लौट गए थे। आज उन्हीं की मेहनत का परिणाम है कि भारत एक परमाणुशक्ति संपन्न राष्ट्र है। उन्होंने मुख्य रूप से एक वैज्ञानिक के रूप में चार दशकों तक रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) में काम किया, साथ ही इसरो को भी सम्भाला और देश में सैन्य मिसाइल के विकास के प्रयासों में भी शामिल रहे।

नारियल की चटनी के साथ चावल था सबसे ज्यादा पसंदीदा खाना

अब्दुल कलाम का अपनी मां आशियम्मा के साथ बहुत गहरा रिश्ता था। उनका मां के हाथ का बनी नारियल की चटनी के साथ चावल और सांभर पसंदीदा खाना था। डॉ. कलाम से संबंधित किताब में लिखा है कि मैं अक्सर मां के साथ किचन में खाना खाता था। वह मेरा पसंदीदा खाना केले के पत्तों पर परोसती थीं।

मां के हाथ का बना खाना था फेवरेट

डॉ. कलाम अपनी मां के बहुत करीब थे और उनके हाथ का बना खाना उनका पसंदीदा था। अपनी किताब, 'प्राइड ऑफ नेशनः डॉ. अब्दुल कलाम' में महेश शर्मा दत्ता ने लिखा है कि डॉ. अब्दुल कलाम का अपनी मां आशियम्मा के साथ बहुत गहरा रिश्ता था। उनका मां के हाथ का बनी नारियल की चटनी के साथ चावल और सांभर पसंदीदा खाना था। डॉ. कलाम से संबंधित किताब में लिखा है कि मैं अक्सर मां के साथ किचन में खाना खाता था। वह मेरा पसंदीदा खाना केले के पत्तों पर परोसती थीं।

18 घंटे करते थे काम

डॉ. कलाम का हर चीज़ के पीछे एक उद्देश्य था और उनकी लाइफ को कुछ भी प्रभावित नहीं करता था। उनके साथ पढ़ने वाले दोस्तों में से एक, रक्षा अनुसंधान और विकास प्रयोगशालाओं के पूर्व सहयोगी निदेशक ने उन्हें कॉलेज के दिनों से लेकर राष्ट्रपति के समय तक देखा है और उनकी लाइफ स्टाइल में मुश्किल से ही कोई बदलाव आए थे। वह एक शाकाहारी व्यक्ति थे, जो कि सही खाने और फिट रहने को बहुत महत्व देते थे। काम में डूबे रहने वाले कलाम दिन के 18 घंटे काम को देते थे।

डा. कलाम थे शाकाहारी

डॉ. कलाम शाकाहारी थे और नियमित खाने में अपने पारंपरिक साउथ इंडियन खाने को ही शामिल करते थे। उन्हें पारंपरिक आयंगर खाना ही पसंद था जैसे- वैंध्या कोज़म्बू और पुलियोडरे। लेकिन उन्होंने शाकाहार को कैसे अपनाया? टेलिग्राफ इंडिया में बताया गया है कि डॉ. कलाम ने 1950 में जब सेंट जोसेफ कॉलेज, तिरुचिरापल्ली जॉइन किया था, तब से ही वह शाकाहारी बन गए थे। उन्हें स्कॉलरशिप मिली थी, और अपने बजट में वह बहुत कम ही नॉन-वेज फूड का खर्च उठा पाते थे।

कभी-कभी खाते थे आलू के साथ अंडा मसाला

डॉ. कलाम के कालेज फ्रेंड्स और सहकर्मी की उनके साथ कुछ ही अच्छी यादें है। बैंगलूर, इसरो सेटेलाइट सेंटर के पूर्व निदेशक, आर. अरवामुदान ने बताया कि हम इंदिरा भवन लॉज, तिरुवंथमपुरम में रहते थे। लोग उन्हें कलाम अय्यर बुलाते थे, क्योंकि वह ब्राहम्णों के चारों ओर ही घुमते दिखाई देते थे और उनकी खाने की आदतें भी उन्हीं के जैसे हो गईं थी। सिर्फ एक ही नॉन वेजीटेरियन खाना वह कभी-कभी खाते थे और वह था केरल आलू के साथ अंडा मसाला।

आर. अरवामुदान 1963 में नेशनल एरोनोटिक्स स्पेस एजेंसी में पहली बार डॉ. अब्दुल कलाम से मिले थे। यहां स्टेशन से जुड़ा एक होस्टल भी था, जहां सेल्फ सर्विस काफीहाउस था। आर अरवामुदान ने अपने अकाउंट में आनलाइन प्रकाशित कर कहा कि हम अक्सर मैश आलू, उबली हुई बीन्स और मटर, ब्रेड और बहुत सारा दूध ही पीते थे और हफ्ते के आखिर दिन सुपर मार्किट शॉपिंग, सिनेमा देखने और भारतीय घरों में कभी-कभी डिनर करने के चक्कर में ही निकल जाता था।

चेन्नई के अन्नालक्ष्मी रेस्तरां में खाते थे कोजम्बू और पापड़

अगर कोई सही में इन सिंपल साइंटिस के बारे में जानना चाहता है, तो भारत के पूर्व राष्ट्रपति के बारे में जानने में ज़्यादा मज़ा आएगा। इसके लिए आपको बस अपना चेहरा, चेन्नई के अन्नालक्ष्मी रेस्तरां की ओर करना है। भारत के 11वां राष्ट्रपति बनने से पहले वह इस छोटी-सी जगह पर वह नियमित रूप से जाते थे। मैनेजमेंट के अनुसार, यहां उनकी पसंदीदा डिश थी- वथा कोज़म्बू और पापड़। डॉ. कलाम ने अपने जीवन के करीब तीन दशक केरल की राजधानी तिरुवंनतपुरम में बिताए। यहां के एक स्थानीय रेस्तरां में डॉ. कलाम की फोटो हर जगह लगी हुई है, और वह यह दावा करते हैं कि रोज़ दिन के आखिर में कलाम वहां जरूर जाते थे।



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