2030 तक 75 गीगावाट की पनबिजली स्थापित क्षमता हासिल करने का लक्ष्य

विद्युत मंत्रालय (Ministry of Power) ने जल विद्युत परियोजनाओं (hydro power projects) के संबंध में बाढ़ नियंत्रण (flood control) के लिए बजटीय सहायता और बुनियादी ढांचे- सड़कें तथा पुलों के लिए बजटीय सहायता से संबंधित विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इन घटकों के लिए बजटीय सहायता उपलब्ध कराने का मूल उद्देश्य विभिन्न परियोजनाओं के टैरिफ स्तरों को कम करना है, इस प्रकार यह सुनिश्चित किया जाता है कि उपभोक्ताओं से केवल बिजली के घटकों से संबंधित लागत ही वसूल की जाती है।
बाढ़ नियंत्रण के लिए बजटीय सहायता
बाढ़ नियंत्रण का वित्तीय प्रबंधन तकनीकी एजेंसियों जैसे सीडब्ल्यूसी आदि के द्वारा दिशानिर्देशों के अनुसार किया जाएगा। सार्वजनिक निवेश बोर्ड (पीआईबी)/आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीईए) द्वारा प्रत्येक परियोजना के मूल्यांकन के बाद बाढ़ नियंत्रण/भंडारण लागत के लिए आवश्यक राशि, विद्युत मंत्रालय के बजटीय प्रावधानों के माध्यम से नियत प्रक्रिया के अनुसार जारी की जाएगी।
बुनियादी ढांचे को बेहतर करने के लिए बजटीय सहायता
बुनियादी ढांचे को बेहतर करने हेतु बजटीय सहायता, अर्थात जलविद्युत परियोजनाओं के लिए सड़क/पुल से जुड़े सामने आने वाले मामलों के आधार पर प्राप्त होगी। यह मौजूदा नियमों/उचित प्रक्रिया के अनुसार पीआईबी/सीसीईए द्वारा प्रत्येक परियोजना के मूल्यांकन/अनुमोदन के बाद उपलब्ध कराई जाएगी और विद्युत मंत्रालय द्वारा इसे प्रदान किया जाएगा।
ऐसी सड़कों और पुलों के लिए इस बजटीय सहायता की सीमा इस तरह तय होगी i) 200मेगावाट तक की परियोजनाओं के लिए 1.5करोड़ रुपये प्रति मेगावाट और ii) 200मेगावाट से अधिक की परियोजनाओं के लिए1.0 करोड़ रुपये प्रति मेगावाट। यह प्रावधान08.03.2019 के बाद यानी कैबिनेट की मंजूरी की अधिसूचना की तारीख से निर्माण शुरू करने वाली परियोजनाओं के लिए किया जाएगा।
भारत सरकार ने देश में जलविद्युत क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न योजनाओं को मंजूरी दी है। इन उपायों के माध्यम से वर्ष2030 तक 75 गीगावाट की कुल जलविद्युत स्थापित क्षमता प्राप्त करने का लक्ष्य रखा गया है। यह स्वच्छ एवं हरित जल विद्युत को बढ़ावा देकर जलवायु परिवर्तन में कमी लाने के लिए भारत की अटूट प्रतिबद्धता को भी रेखांकित करेगा।
इन उपायों में बड़ी पनबिजली परियोजनाओं की घोषणा करना, यानी 25मेगावाट से अधिक की क्षमता वाली परियोजनाओं को अक्षय ऊर्जा स्रोत, हाइड्रो पावर खरीद दायित्व, टैरिफ को कम करने के लिए टैरिफ युक्तिकरण उपाय के रूप में घोषित करना, जलविद्युत परियोजनाओं के बाढ़ नियंत्रण घटक के लिए बजटीय सहायता और बुनियादी ढांचे, यानी सड़कों तथा पुलों को बेहतर बनाने की लागत के लिए बजटीय सहायता उपलब्ध कराना शामिल है।
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