अडानी ग्रुप ने 20 हजार करोड़ का FPO किया रद्द, वापस होंगे निवेशकों के पैसे, जानें क्या रही वजह

अडानी ग्रुप (Adani Group) ने अपना फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर (FPO) रद्द कर दिया है। अडानी एंटरप्राइजेज ( Adani Enterprises) ने बुधवार रात को 20,000 करोड़ रुपये के अपने एफपीओ (FPO) को रद्द करने की घोषणा की। कंपनी ने घोषणा करते हुए कहा कि वह इस एफपीओ (FPO) के निवेशकों का सारा पैसा लौटा देगी। कंपनी ने कहा है कि शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव को देखते हुए कंपनी का मकसद अपने निवेशकों के हितों की रक्षा करना है। इसलिए हम एफपीओ से मिली रकम वापस करने जा रहे हैं और इससे जुड़े लेन-देन को खत्म कर रहे हैं।
वहीं, हिंडनबर्ग रिसर्च की इस रिपोर्ट में कंपनी पर भारी कर्जों का जिक्र करते हुए टैक्स (Tax) हेवन का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है। अडानी ग्रुप ने एक एक्सचेंज फाइलिंग (Exchange Filing) में कहा, 'कंपनी के निदेशक मंडल ने आज यानी 1 फरवरी, 2023 को हुई बैठक में अपने घटकों के हित में प्रत्येक के साथ 20,000 करोड़ रुपये तक के डिबेंचर जारी करने की मंजूरी दे दी है। आंशिक रूप से चुकता आधार पर 1 रुपये का अंकित मूल्य। इक्विटी शेयरों (Equity Shares) के एफपीओ के साथ आगे नहीं बढ़ने का फैसला किया है।
क्या है PFO?
आपको जानकारी के लिए बता दें फॉलो ऑन पब्लिक ऑफर (एफपीओ) क्या होता है? FPO वह एक प्रक्रिया है जिसके माध्यम से एक कंपनी जो पहले से ही भारतीय बाजारों में सूचीबद्ध है नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) मौजूदा शेयरधारकों या निवेशकों को नए शेयर जारी करती है। एफपीओ द्वारा उत्पन्न आय का उपयोग इक्विटी बढ़ाने या कर्ज कम करने के लिए किया जा सकता है। पीएफओ दो प्रकार के होते हैं - डायल्यूटेड और नॉन-डाइल्यूटेड।
यल्यूटेड एफपीओ में, व्यक्तियों को निवेश करने के लिए अतिरिक्त नए शेयर जारी किए जाते हैं। बकाया शेयरों की संख्या बढ़ जाती है और मौजूदा शेयरधारकों का स्वामित्व प्रतिशत घट जाता है। गैर-पतला एफपीओ में, मौजूदा निवेशक अपने शेयर जनता को बेचते हैं। इसलिए, शेयरों के मालिक होने में कोई कमी नहीं है।
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