Aditya-L1 ने पृथ्वी को कहा बाय-बाय, एल1 प्वाइंट की तरफ बढ़ा भारत का सूर्य मिशन

Aditya-L1 ने पृथ्वी को कहा बाय-बाय, एल1 प्वाइंट की तरफ बढ़ा भारत का सूर्य मिशन
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Aditya-L1 Mission: भारत के सूर्य मिशन आदित्य एल-1 ने पांचवी बार कक्षा बदली है। अब इसने पृथ्वी को अलविदा कह दिया है। यह लगभग 15 लाख किलोमीटर की दूरी तय करेगा। पढ़ें विस्तृत रिपोर्ट...

ISRO Aditya-L1: भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी द्वारा सूर्य पर रिसर्च के लिए भेजे गए आदित्य एल-1 अब पृथ्वी की कक्षा से बाहर निकल गया है। आदित्य एल-1 अब अपनी यात्रा के अंतिम पड़ाव के लिए निकल चुका है, यह पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर की दूरी तय करेगा। भारतीय सूर्य मिशन अब लगभग 110 दिन की यात्रा करेगा। धरती की कक्षा से बाहर जाने की जानकारी इसरो ने आधिकारिक ट्विटर हैंडल के जरिये दी है।

इसरो ने किया ट्वीट

इसरो ने ट्विटर पर लिखा कि सूर्य-पृथ्वी एल1 बिंदु की ओर! ट्रांस-लैग्रेंजियन प्वाइंट 1 इंसर्शन को सफलतापूर्वक किया गया है। अंतरिक्ष यान अब पृथ्वी की कक्षा के बाहर है, जो इसे सूर्य-पृथ्वी एल1 बिंदु पर ले जाएगा। इसे एक कक्षा में स्थापित किया जाएगा। लगभग 110 दिनों के बाद यह L1 के आसपास स्थापति हो जाएगा। यह लगातार पांचवीं बार है जब इसरो ने सूर्य मिशन की कक्षा को बदला है।

वैज्ञानिक डेटा संग्रह शुरू हो गया है: इसरो

इसरो ने 18 सितंबर को घोषणा की कि सुप्रा थर्मल एंड एनर्जेटिक पार्टिकल स्पेक्ट्रोमीटर (STEPS) उपकरण, जो कि आदित्य सोलर विंड पार्टिकल एक्सपेरिमेंट (ASPEX) पेलोड का एक हिस्सा है, ने वैज्ञानिक डेटा का संग्रह शुरू कर दिया है। STEPS को पीआरएल (PRL) द्वारा अहमदाबाद में सेक (SAC) के समर्थन से विकसित किया गया था। STEPS में छह सेंसर शामिल हैं, यह अलग-अलग दिशाओं में जांच करता है। इसरों ने जानकारी देते हुए यह भी कहा था कि स्टेपस उपकरण 10 सितंबर के आसपास ही सक्रिय हो गए थे।

आदित्य एल-1 का जीवन पांच साल का होगा

आदित्य-एल1 को 2 सितंबर को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) द्वारा लॉन्च किया गया था। प्रक्षेपण के बाद, आदित्य-एल1 ने 3 सितंबर से 15 सितंबर के बीच चार पृथ्वी-संबंधित युद्धाभ्यास किए। सूर्य के व्यापक अध्ययन के लिए समर्पित आदित्य-एल1 में सात पेलोड हैं। पांच पेलोड इसरो द्वारा और दो भारतीय शैक्षणिक संस्थानों द्वारा अंतरिक्ष एजेंसी के सहयोग से विकसित किए गए थे। आदित्य-एल1 का मिशन जीवन पांच साल का है, जिसके दौरान इसके पेलोड से कोरोनल हीटिंग की समस्या को समझने के लिए सबसे महत्वपूर्ण जानकारी जुटाएगा।

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