देश के पहले अग्निवीर ने ड्यूटी के दौरान जान गंवाई, सियाचिन में तैनात थे अक्षय लक्ष्मण, सेना ने कहा- जब बिगुल बजेगा तो वे उठेंगे

देश के पहले अग्निवीर ने ड्यूटी के दौरान जान गंवाई, सियाचिन में तैनात थे अक्षय लक्ष्मण, सेना ने कहा- जब बिगुल बजेगा तो वे उठेंगे
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सियाचीन में तैनात अग्निवीर अक्षय लक्ष्मण ने ड्यूटी में जान गंवा दी है। सेना ने उन्हें श्रद्धांजलि दी है। हालांकि उनके नाम के आगे शहीद नहीं लिखा है। ऐसे में लोग मांग कर रहे हैं कि उनके नाम के आगे शहीद लिखना चाहिए।

सियाचीन में तैनात अग्निवीर अक्षय लक्ष्मण ने एक ऑपरेशन को पूरा करते हुए जान गंवा दी है। अक्षय लक्ष्मण देश के ऐसे पहले अग्निवीर बन गए हैं, जिन्होंने अपने कर्तव्य को पूरा करते हुए ड्यूटी के दौरान शहादत दी है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, लक्ष्मण देश के पहले फायरफाइटर हैं, जिन्होंने ड्यूटी के दौरान जान गंवाई है। वे भारतीय सेना की फायर एंड फ्यूरी कोर का हिस्सा थे। सेना ने अक्षय लक्ष्मण को श्रद्धांजलि अर्पित कर उनके लिए एक संदेश लिखा है।

फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स द्वारा X पर लिखा, 'बर्फ में चुपचाप बने रहने के लिए, जब बिगुल बजेगा तो वे उठेंगे और फिर से मार्च करेंगे। फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स के सभी रैंक सियाचिन की कठिन ऊंचाइयों पर ड्यूटी के दौरान अग्निवीर (ऑपरेटर) गावते अक्षय लक्ष्मण के सर्वोच्च बलिदान को सलाम करते हैं और परिवार के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करते हैं।' हालांकि इस पोस्ट में अक्षय लक्ष्मण के नाम के आगे शहीद नहीं लिखा है।

अग्निवीर अमृतपाल सिंह के निधन से हुआ था विवाद

बता दें कि पंजाब के अग्निवीर अमृतपाल सिंह के निधन के बाद काफी विवाद हुआ था। केवल आम लोगों ने ही नहीं बल्कि कई दलों के नेताओं ने भी केंद्र सरकार पर हमला बोला था कि अमृतपाल सिंह के पार्थिव शरीर को न तो सैन्य सम्मान मिला और न ही पार्थिव शरीर को सैन्य वाहन की बजाय एंबुलेंस से उनके घर तक ले जाया गया। सेना ने इन सभी आरोपों को दरकिनार किया था। सेना ने कहा था कि अग्निवीर अमृतपाल सिंह को सैन्य सम्मान के साथ विदाई दी थी और कहा था कि उनकी मौत की जांच चल रही है। तीन दिन बाद सेना ने स्पष्ट कहा था कि जांच में पता चला है कि अमृतपाल ने ड्यूटी के दौरान खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी। चूंकि आत्महत्या के मामले में गार्ड ऑफ ऑनर नहीं दिया जाता, इसलिए अमृतपाल को यह सम्मान नहीं मिल पाया है।

20 हजार फीट की ऊंचाई पर ड्यूटी दे रहे थे अक्षय लक्ष्मण

सियाचिन ग्लेशियर काराकोरम रेंज में लगभग 20 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यह ग्लेशियर दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र के रूप में जाना जाता है और भारत-पाकिस्तान नियंत्रण रेखा के पास स्थित है। यह भारत का सबसे बड़ा ग्लेशियर और दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा ग्लेशियर है। यह पृथ्वी पर सबसे ऊंचा युद्धक्षेत्र भी है।

अग्निवीरों के लिए क्या सुविधाएं

सेना के नियम के मुताबिक अग्निवीर को जॉइनिंग के समय 4.76 लाख रुपए का पैकेज मिलता है। 4 साल का कार्यकाल खत्म होने के बाद इस पैकेज को 6.92 लाख रुपए तक बढ़ाया जा सकता है। हर महीने अग्निवीर को 30 से 40 हजार की सैलरी मिलती है। सैनिकों की तरह अवॉर्ड, मेडल और भत्ते मिलेंगे। अगर ड्यूटी के दौरान किसी अग्निवीर की जान चली जाती है तो बीमा की रकम भी मिलेगी, जो 44 लाख तक का हो सकता है। यही नहीं, शहादत के बाद बचे कार्यकाल का भी वेतन दिया जाता है।

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