एम्स ने कहा कोरोना की नहीं कोई एक दवा, लक्षणों के आधार पर कर रहे इलाज

कोरोना पाजिटिव प्रकरण सामने आने पर एक के बाद एक कर 24 मरीजों को स्वस्थ कर अस्पताल से डिस्चार्ज करने वाले एम्स के चिकित्सकों ने सार्क देशों के प्रतिनिधियों को बताया कि कोरोना के इलाज के लिए कोई एक दवा नहीं है। अस्पताल में दाखिल मरीज के लक्षणों को गौर कर उस आधार पर ही उपचार किया जा सकता है। उन्हें यह भी बताया गया कि दक्षिण एशियाई देशों में कोविड-19 के संक्रमण से बचाव का सबसे बड़ा तरीका अग्रिम तैयारी है।
मरीजों को स्वस्थ करने के दौरान एम्स की ओर से अपना अनुभव सार्क देशों को बताने के लिए वेबीनार का आयोजन किया गया था। इसका समापन मंगलवार को हुआ, जिसमें एम्स में कोविड-19 के नोडल अफसर प्रो. अजॉय कुमार बेहरा ने कोरोना वायरस के पॉजीटिव रोगियों को दिए जाने वाले इलाज और इनकी निगरानी के बारे में क्लिनिकल केस मैनेजमेंट विषय के बारे में जानकारी दी। उन्होंने को-मॉर्बिडीटी, फार्मोकोथैरेपी, ड्रग्स टारगेट, चिकित्सा कर्मियों को दी जाने वाली दवा और गर्भवती महिला रोगियों के इलाज के बारे में विस्तार से बताया।
उन्होंने कोरोना वायरस के रोगियों और इनके परिजनों को विश्वास में लेकर सभी जानकारियां देने और उन्हें प्रोत्साहित करने पर जोर दिया। उनका कहना था कि इसकी कोई एक दवा न होने की वजह से विभिन्न रोगियों में लक्षणों को ज्ञात कर प्रत्येक रोगी की अवस्था के अनुरूप इसका इलाज किया जाना चाहिए।
चिकित्सा जगत एक साथ
वेबीनार के समापन सत्र को संबोधित करते हुए निदेशक प्रो. (डॉ.) नितिन एम. नागरकर ने कहा कि कोविड-19 के खिलाफ तैयारी ही एकमात्र उपाय है। उन्होंने कहा कि भले ही कोविड-19 ने कई देशों की अर्थव्यवस्थाओं को हानि पहुंचाई हो या सोशल डिस्टेंसिंग पैदा कर दी हो, लेकिन इससे चिकित्सा जगत एक साथ जरूर आ गया है। सभी की चिंताएं समान हैं और वे अपने अनुभव और ज्ञान को साझा कर इस चुनौती से लड़ रहे हैं। आईटी प्लेटफार्म की मदद से इस प्रकार ज्ञान साझा करना कोरोना वायरस से पैदा हुई परिस्थितियों का सकारात्मक पक्ष भी है।
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