मनी लॉन्ड्रिंग केस में ईडी के रडार पर आ सकते हैं अजीत पवार, जानें पूरा मामला

परिवर्तन निदेशालय (ईडी) ने विदर्भ सिंचाई विकास निगम के तहत 12 परियोजनाओं में कथित अनियमितताओं के संबंध में महाराष्ट्र सिंचाई विभाग के विभिन्न निगमों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों की जांच शुरुआत कर दी है। खबरों से मिली जानकारी के अनुसार, ईडी के एक अधिकारी ने बताया नाम न जल संसाधन विभाग के अधिकारियों से बांध परियोजनाओं के लिए ठेके, संशोधित प्रशासनिक स्वीकृति वर्ष 1999 और वर्ष 2009 के बीच विदर्भ सिंचाई विकास निगम, कृष्णा घाटी सिंचाई परियोजना और कोंकण सिंचाई विकास निगम से जुड़े ठेकेदारों को भुगतान किए गए बिलों की मांग की गयी है।
बताया जा रहा है कि साल 2012 में विभाग में अनियमितताओं के सामने आने के बाद जांच अजीत पवार भी घेरे में आ सकते हैं। महाराष्ट्र में अजीत पवार साल 1999 से 2009 के बीच जल संसाधन मंत्री रहे थे। दिसंबर 2019 में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने उप मुख्यमंत्री अजीत पवार को क्लीन चिट दे दी थी। जिसके खिलाफ 27 नवंबर को हाईकोर्ट में एक हलफनामा दाखिल किया गया था।
वहीं 28 नवंबर 2019 को सरकार बनी थी। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की जल संरक्षण परियोजना, जलयुक्त शिवहर अभियान की जांच का आदेश देने वाली उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली महाराष्ट्र विकास आघाडी सरकार के साथ जांच का संबंध है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा द्वारा अजीत पवार और अन्य को 25 हजार करोड़ के महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंकों में अनियमितता के मामले में क्लीन चिट दिए जाने के कुछ दिनों बाद यह मामला प्रकाश में आया है। ईओडब्ल्यू ने बीते सितंबर महीने में मामले में एक क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की थी। इसे सिविल मामला बताया गया है। ईडी ने कोर्ट में ईओडब्ल्यू के कदम का विरोध किया है।
बता दें कि बीते शनिवार को अजीत पवार सोलापुर और पुणे जिले के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के दौरे पर थे। इस दौरान उन्होंने कर ईडी की जांच पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया था। उन्होंने कहा था, जलयुक्त शिवहर में किसी भी जांच के आदेश नहीं दिए गए हैं।
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