अमित शाह सीख रहे बांग्ला भाषा, इस चुनौती से निपटने के लिए हो रहे तैयार

अमित शाह सीख रहे बांग्ला भाषा, इस चुनौती से निपटने के लिए हो रहे तैयार
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चुनावी रणनीति में माहिर शाह महाराष्ट्र व हरियाणा में अपेक्षाकृत कमजोर प्रदर्शन व झारखंड की हार के बाद निराश नहीं बल्कि अगले लक्ष्य को साधने की तैयारी में लग गए हैं।

श्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के लिए भले ही अभी एक साल से ज्यादा का वक्त बाकी है, लेकिन भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने रणनीतिक तैयारियों को चाक-चौबंद करना अभी से शुरू कर दिया है। इसकी बानगी इस बात से समझी जा सकती है कि भाषा कहीं उनकी राह की कमजोरी न बने इसके लिए उन्होंने बाकायदा बांग्ला भाषा सीखना शुरू कर दिया है।

उल्लेखनीय है कि चुनावी रणनीति में माहिर शाह महाराष्ट्र व हरियाणा में अपेक्षाकृत कमजोर प्रदर्शन व झारखंड की हार के बाद निराश नहीं बल्कि अगले लक्ष्य को साधने की तैयारी में लग गए हैं और अब उनका फोकस पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव हो गया है। सूबे से लोकसभा चुनाव में मिली 18 सीटों की कामयाबी से भाजपा के हौसले बढ़े हुए हैं।

लेकिन बदले हालात में टीएमसी मुखिया ममता बनर्जी अब बंगाली अस्मिता को हवा देते हुए चुनाव में बांग्ला भाषी बनाम गैर बांग्ला भाषी मुद्दा को गरमाने की कोशिश कर रही हैं। अपनी कई जनसभाओं में वे शाह को बाहरी भी कह रही हैं। इसी के मद्देनजर भाजपा अध्यक्ष बांग्ला सीख रहे हैँ और इसके लिए उन्होंने बाकायदा एक शिक्षक भी रख लिया है।

वे किसी भी मोर्चे पर टीएमसी को बढ़त देने के मूड में नहीं हैं। उनकी कोशिश है कि चुनाव आते-आते उन्हें काम भर की बांग्ला आने लगे और चुनावी रैलियों में वे कम से कम अपने भाषण की शुरुआत बांग्ला से ही कर सकें। इसके अलावा कार्यकर्ताओं से संवाद व समन्वय के लिए भी वे किसी पर निर्भर नहीं रहना चाहते हैं।

इसलिए सीख रहे भाषा

टिकट वितरण के मामले में भी वे चाहते हैं कि उम्मीदवार से सीधे बात हो सके। इस लिहाज से वे बांग्ला भाषा को सीखना अब उनकी प्राथमिकता में हो गया है। बता दें कि अमित शाह ने अपनी शिक्षा से लेकर राजनीति का भी अधिकांश हिस्सा गुजरात में ही बिताया है। राष्ट्रीय राजनीति में आने से पहले उन्होंने हिंदी सीखी और अच्छी हिंदी धारा प्रवाह बोलते हैं। इसके अलावा वे तमिल भाषा को भी समझते हैं।

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