फांसी की सजा पाने वाली शबनम ने राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को भेजी दया याचिका, पूरे परिवार को उतारा था मौत के घाट

फांसी की सजा पाने वाली शबनम ने राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को भेजी दया याचिका, पूरे परिवार को उतारा था मौत के घाट
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शबनम ने जिस वक्त इस दिल दहला देने वाली वारदात को अंजाम दिया था, उस वक्त वह गर्भवती थी। दिसंबर 2008 में जेल के भीतर ही उसे बेटा हुआ, जिसका नाम ताज रखा। ताज ने भी महामहिम राष्ट्रपति से अपनी मां को माफ कर देने की अपील मीडिया के माध्यम से की थी। हालांकि शबनम के चाचा-चाची अभी भी उसकी फांसी की मांग पर अड़े हैं।

उत्तर प्रदेश के अमरोहा में अपने ही परिवार के सात सदस्यों को मौत के घाट उतारने वाली शबनम ने राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को दया याचिका भेजी है। वकीलों के माध्यम से गुरुवार को जेल अधीक्षक रामपुर को दया याचिका सौंपी गई। जेल अधीक्षक अब इस याचिका को प्रदेश की राज्यपाल के पास भेजेंगे। बता दें कि इससे पहले उसका बेटा ताज भी मीडिया के माध्यम से राष्ट्रपति से अपनी मां को माफ कर देने की अपील कर चुका है। हालांकि शबनम के चाचा-चाची चाहते हैं कि उसे अपने किए की सजा मिले और किसी भी हालात में फांसी से कम सजा न हो।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अमरोहा की रहने वाली शबनम ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर अप्रैल 2008 में अपने पिता शौकत अली, मां हाशमी, भाई अनीस, राशिद, भाभी अंजुम और दस महीने का भतीजा अर्श समेत सात सदस्यों की हत्या की थी। उसे इस जघन्य हत्याकांड के लिए फांसी की सजा सुनाई गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने भी उसकी फांसी को बरकरार रखा था और राष्ट्रपति की ओर से भी दया याचिका खारिज कर दी गई थी। ऐसे में मथुरा जेल प्रशासन ने उसकी फांसी की तैयारियां शुरू कर डेथ वारंट के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी थी। अब शबनम ने राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को दया याचिका भेजी है। जेल प्रशासन ने बताया कि उन्हें शबनम के वकीलों के माध्यम से दया याचिका मिली है, जिसे प्रदेश की राज्यपाल को भेजा जाएगा।

बेटा ताज भी कर चुका है अपील

शबनम ने जिस वक्त इस दिल दहला देने वाली वारदात को अंजाम दिया था, उस वक्त वह गर्भवती थी। दिसंबर 2008 में जेल के भीतर ही उसे बेटा हुआ, जिसका नाम ताज रखा। जेल नियमों के हिसाब से कैदी महिलाएं छह साल से बड़े बच्चे को अपने साथ नहीं रख सकतीं। ऐसे में ताज के लिए ऐसे परिवार की तलाश शुरू हुई, जो कि उसका ख्याल रख सके। शबनम की यह तलाश उसके कॉलेज फ्रेंड उस्मान सैफी पर आकर खत्म हुई। शबनम कॉलेज के दिनों में उस्मान की आर्थिक मदद भी किया करती थी, जिस कारण वह उसे अपनी बड़ी बहन की तरह मानता था। अभी उस्मान ही ताज की परवरिश कर रहा है। 12 साल के ताज ने भी मीडिया के समक्ष महामहिम राष्ट्रपति से अपनी मां को माफ कर देने की अपील की थी। मीडिया में आई तस्वीरों में ताज एक तख्ती लिए नजर आ रहा था, जिस पर लिखा था, ''राष्ट्रपति अंकल जी, मेरी मां शबनम को माफ कर दीजिए।'

चाचा-चाची फांसी की मांग पर अड़े

शबनम के चाचा-चाची चाहते हैं कि उसे फांसी से कम कोई सजा न हो। शबनम की चाची ने कहा था कि हमें खून का बदला खून चाहिए। शबनम ने पूरा परिवार खत्म कर दिया, वह किसी भी तरह की दया की पात्र नहीं है। मीडिया की ओर से पूछे गए एक सवाल के जवाब में शबनम की चाची ने यहां तक कह दिया था कि उसकी फांसी के बाद शव तक नहीं लेंगे। वहीं चाचा का कहना था कि जो जैसा करता है, उसे वैसा ही भरना पड़ता है। शबनम को तो बहुत पहले ही फांसी हो जानी चाहिए थी।

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