Anantnag Encounter: कोई किराये के मकान में रहता था, किसी की एक साल पहले हुई थी शादी, यहां पढ़ें शहीद जवानों की कहानी

Anantnag Encounter: जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में हुए मुठभेड़ भारत ने अपने तीन अधिकारी पद के सुरक्षाकर्मियों को खो दिया है। तीनों वीर सपूतों ने देश के लिए खुद को कुर्बान कर दिया। वीरों के शहीद होने के बाद देशभर में उनकी वीरता की चर्चा हो रही है। बता दें कि शहीद हुए तीनों सुरक्षाकर्मियों में कर्नल मनप्रीत सिंह, मेजर आशीष और जम्मू-कश्मीर पुलिस के DSP हुमायूं भट्ट शामिल हैं। आज हम आपको इन वीर सपूतों की बायोग्राफी बताने वाले हैं कि कैसे उन्होंने अपने जीवन में इतना ऊंचा पद संभाला और वीर गति को प्राप्त हुए।
कर्नल मनप्रीत सिंह
कर्नल मनप्रीत सिंह (Colonel Manpreet Singh) पिछले चार साल से अनंतनाग में ही पोस्टेड थे। वह 19RR CO सिख रेजिमेंट में सेवाएं दे रहे थे। कर्नल के पिता भी सेना में थे, साल 2014 बीमारी से उनकी मौत हो गई थी। वह तीन भाई-बहनों में सबसे बड़े थे, उनकी शादी साल 2016 में हुई थी, उनका पूरा परिवार मोहाली में रहता है। उनकी पत्नी जगमीत ग्रेवाल टीचर हैं, उनकी पोस्टिंग मोरनी के सरकारी स्कूल में है। उनका एक 6 साल का बेटा है, उसका नाम कबीर सिंह है। वहीं, उनकी ढाई साल की बेटी वाणी है। मनप्रीत सिंह ने साल 2003 में सीडीएस की परीक्षा पास की और 2005 में लेफ्टिनेंट बन गए थे। 2021 में कर्नल मनप्रीत सिंह को गैलेंट्री सेना मेडल से नवाजा गया।
डीएसपी हुमायूं भट्ट
हुमायूं भट्ट (Humayun Bhatt) के पिता गुलाम हसन भट्ट जम्मू कश्मीर पुलिस के सेवानिवृत्त महानिरीक्षक रहे हैं। शहीद डीएसपी हुमायूं भट्ट के परिवार में उनकी पत्नी और 29 दिन का बेटा है। ऐसे में सिर्फ 29 दिन की आयु में उनके बच्चे के सिर पर से पिता का साया उठ गया है। डीएसपी हुमायूं भट्ट का परिवार दक्षिणी कश्मीर के पुलवामा जिले के त्राल का रहने वाले हैं। उनका परिवार काफी समय से यहीं रह रहा है। एक साल पहले शहीद डीएसपी हुमायूं भट्ट की शादी हुई थी। वो 2019 बैच के अधिकारी थे। हुमायूं के पिता गुलाम हसन भट्ट डीआईजी रह चुके हैं।
मेजर आशीष धौंचक
मेजर आशीष धौंचक (Major Ashish Dhaunchak) पानीपत के रहने वाले हैं। वह किराए के मकान में रहा करते थे। वे बचपन से ही अपने दोस्तों के साथ चोर-पुलिस का खेल खेला करते थे। इस खेल में वे हमेशा पुलिस का अभिनय करते थे। उन्होंने साल 2013 में पहले ही प्रयास में एसएसबी की परीक्षा पास की और लेफ्टिनेंट बन गए थे। आशीष की सर्विस बठिंडा, मेरठ और जम्मू कश्मीर में रही है। महज दो साल पहले ही उनका जम्मू कश्मीर तबादला हुआ था। उनकी शिक्षा गांव और शहर के स्कूलों में हुई है। उनकी एक बेटी भी है। आखिरी बार जब वे छुट्टी में घर आए थे, तो शहर के बड़े स्कूल में दाखिला कराया था। बता दें कि आशीष अपने स्कूल के समय में बैडमिंटन के अच्छे खिलाड़ी थे।
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