Coronavirus Vaccine : कोरोना वैक्सीन लेने के बाद भी संक्रमित हुए हरियाणा के ये मंत्री, इसकी दो वजह आई सामने

नई दिल्ली। देश में कोरोना महामारी के बीच कोरोना वैक्सीन का कार्य तेजी से चल रहा है। वैज्ञानिक एक के बाद एक वैक्सीन पर ट्रायल कर रहे हैं। जल्द ही आम लोगों तक वैक्सीन पहुंचने की उम्मीद की जा रही है। वहीं इसी बीच एक परेशान करने वाली खबर भी सामने आ रही है। हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री और भाजपा नेता अनिल विज ने बताया है कि वह कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए हैं। हैरानी की बात है कि वह कोवैक्सीन (Covaxin) के ट्रायल का हिस्सा है। कोवैक्सीन का ट्रायल तीसरे फेज में चल रहा है। अनिल विज ने एक ट्वीट करके बताया है कि मैं कोरोना वायरस से संक्रमित हो गया हूं। मैं अंबाला कैंट के सिविल अस्पताल में भर्ती हूं। जो लोग मेरे संपर्क में आए थे वो अपना टेस्ट करवा लें।
Haryana minister Anil Vij announces he has tested positive for COVID-19.
— ANI (@ANI) December 5, 2020
On November 20, he was administered a dose of Covaxin at a hospital in Ambala, as part of its third phase trial. pic.twitter.com/34HVOIRoFK
13 दिन बाद दी जाने वाली थी दूसरी डोज
बताया जा रहा है कि पहला टीका लगने के बाद अनिल विज को 28 दिन बाद दूसरी डोज दी जाने वाली थी. डॉक्टर उनके शरीर में एंटी बॉडीज बनने का अध्ययन करने वाले थे, लेकिन अब उनके कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद टीके पर सवाल खड़े होने लगे हैं।
20 रिसर्च सेंटर पर चल रहा कोरोना वैक्सीन का ट्रायल तीसरा
देश के 20 रिसर्च सेंटर पर कोरोना वैक्सीन का तीसरा ट्रायल किया जा रहा है। करीब 26 हजार लोगों को कोरोना वैक्सीन दी जाएगी। इन सेंटरों में पीजीआईएमएस रोहतक भी शामिल है। भारत बायोटेक इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के साथ मिलकर ये ट्रायल कर रहा है। पहले दो फेज में जिन लोगों को कोरोना वैक्सीन दी गई, उनमें कोई साइड इफेक्ट नहीं नजर आया। किसी भी वॉलंटियर के कोरोना संक्रमित होने की रिपोर्ट भी नहीं है।
एम्स के पूर्व डायरेक्टर ने बताई वजह
जानकारी के लिए बता दें कि अनिल विज के ट्रालय में वैक्सीन के फेल होने को लेकर एम्स के पूर्व डायरेक्टर एमसी मिश्र ने कहा कि विज ने बीती 20 नवंबर को कोरोना की वैक्सीन के ट्रायल के दौरान टीका लगवाया था। लेकिन अभी भी वो कोरोना पॉजिटिव हैं। साफ तौर पर उन्होंने इसके पीछे की दो वजह बताई हैं। इसकी पहली वजह है कि ट्रायल के दौरान वैक्सीन का कोई अन्य सामान्य पदार्थ दिया गया हो। जो बताया नहीं बल्कि डेटा के तौर पर तैयार किया जाता है। जिसे प्लासीबो कहा जाता है। ये भी हो सकता है कि उन्हें दवा दी गई हो लेकिन किसी भी दवा को कारगर होने में कम से कम 28 दिन का वक्त लगता है।
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