Chandrayaan-3: इसरो के ताज में एक और पंख, चंद्रयान का हिस्सा चंद्र कक्षा से पृथ्वी पर लौटा

Chandrayaan-3: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के ताज में एक और पंख जुड़ गया है। इसरो ने चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन मॉड्यूल (PM) को चंद्रमा की कक्षा से सफलतापूर्वक पृथ्वी पर लौटा दिया है। मिशन पूरा करने के बाद चंद्रयान का यह हिस्सा चंद्रमा की कक्षा से पृथ्वी की कक्षा में लौट आया। विक्रम लैंडर को चंद्रमा की एक सतह से दूसरी सतह तक ले जाने के बाद यह इसरो की एक और उपलब्धि है। अब इसके अंदर लगे SHAPE पेलोड के जरिए धरती का अध्ययन किया जाएगा।
इस तरीके से बुलाया गया प्रोपल्शन मॉड्यूल
PM चांद के चारों तरफ आगे बढ़ा। उसने अपनी कक्षा 150 गुणा 5112 किलोमीटर कर ली थी। पहले वह 100 km वाली ऑर्बिट में चांद के चारों तरफ एक चक्कर 2.1 घंटे में लगा रहा था। फिर यह 7.2 घंटे में लगाने लगा। इसके बाद वैज्ञानिकों ने PM में मौजूद फ्यूल की जांच की। इसके बाद 13 अक्टूबर को दूसरा ऑर्बिट बदलकर 1.8 लाख गुणा 3.8 लाख किलोमीटर कर दिया गया। इसे ट्रांस-अर्थइंजेक्शन (TEI) मैन्यूवर कहा जाता है।
इसरो वैज्ञानिकों ने कहा कि लैंडर और रोवर ने चांद पर लैंडिग के बाद विक्रम ने सारा डेटा एकत्र कर इसरो को भेजा था। इसके बाद ये दोनों स्लीप मोड में चले गए थे। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने उन्हें जगाने की बहुत कोशिश की लेकिन विक्रम नहीं उठा। इसरो ने एक बयान में कहा कि चंद्रयान-3 मिशन के उद्देश्य पूरी तरह से पूरे हो गए हैं। प्रोपल्शन मॉड्यूल का मुख्य उद्देश्य लैंडर मॉड्यूल को जियोस्टेशनरी ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) से अंतिम चंद्र ध्रुवीय कक्षा में ले जाना और लैंडर को अलग करना था। अलग होने के बाद पेलोड के स्पेक्ट्रो-पोलरिमेट्री ने भी काम करना शुरू कर दिया।
इससे मिला ये फायदा
इसरो ने जानकारी देते हुए कहा कि चांद से धरती की तरफ कोई यान वापस लाने के लिए प्लानिंग और एग्जीक्यूशन करना। साथ ही, यान को इस तरह वापस लाने के लिए सही सॉफ्टवेयर मॉड्यूल बनाना। किसी ग्रह के चारों तरफ गुरुत्वाकर्षण का फायदा उठाते हुए ऑर्बिट में बदलाव करना। वहीं, चांद की सतह पर PM को टकराने से बचाना। ताकि अंतरिक्ष में कचरा न फैल सके।
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