APJ Abdul Kalam Jayanti: एपीजे अब्दुल कलाम को जाता है 'भारत को परमाणु शक्ति से संपन्न बनाने का श्रेय'

APJ Abdul Kalam Jayanti: एपीजे अब्दुल कलाम को जाता है भारत को परमाणु शक्ति से संपन्न बनाने का श्रेय
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APJ Abdul Kalam Birthday: इतिहास में 15 अक्टूबर की तारीख भारत के मिसाइलमैन एवं पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के जन्मदिन के तौर पर दर्ज है। भारत को परमाणु शक्ति से संपन्न बनाने का श्रेय एपीजे अब्दुल कलाम को जाता है। एपीजे अब्दुल कलाम ने वर्ष 1998 वो कारनामा करके दिखाया कि अमेरिका समेत पूरी दुनिया को पता चल गया कि भारत अब परमाणु शक्ति संपन्न हो गया है।

APJ Abdul Kalam Birthday: इतिहास में 15 अक्टूबर की तारीख भारत के मिसाइलमैन एवं पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के जन्मदिन के तौर पर दर्ज है। भारत को परमाणु शक्ति से संपन्न बनाने का श्रेय एपीजे अब्दुल कलाम को जाता है। एपीजे अब्दुल कलाम ने वर्ष 1998 वो कारनामा करके दिखाया कि अमेरिका समेत पूरी दुनिया को पता चल गया कि भारत अब परमाणु शक्ति संपन्न हो गया है।

एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को धनुषकोडी गांव 'रामेश्वरम, तमिलनाडु' में मुस्लिम अंसार परिवार में में हुआ। आप बच्चों एवं छात्रों से बेहद प्रेम करते थे व उन्हें बड़े सपने देखने के लिये प्ररित करते थे। एपीजे अब्दुल कलाम वर्ष 2015 में शिलॉन्ग में एक छात्रों को संबोधित कर रहे थे। उसी दौरान उनको दिल का दौरा पड़ा। जिसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया। पर इन्हें बचाया नहीं जा सका। देश के इस 11वें राष्ट्रपति एवं महान वैज्ञानिक एपीजे अब्दुल कलाम का 27 जुलाई 2015 में शिलॉन्ग में निधन हो गया।

एपीजे अब्‍दुल कलाम ने 'पोखरण परीक्षण के दौरान किया कुछ खास'

आपको बता दें 11 मई 1998 एक ऐसा दिन है जब अमेरिका पूरी दुनिया यह ज्ञात हो गया कि भारत भी परमाणु शक्ति से संपन्न हो चुका है। भारत में 11 मई 1998 में राजस्‍थान के पोखरण में सफल परमाणु परीक्षण किया था। इस मौके पर तत्‍कालीन पीएम अटल बिहारी वाजपेयी व पूर्व राष्‍ट्रपति एपीजे अब्‍दुल कलाम भी मौजूद रहे। महान वैज्ञानिक एपीजे अब्‍दुल कलाम ने इस मौके पर कुछ ऐसा किया था जिसके बिना यह परमाणु परीक्षण बिल्कुल भी संभव नहीं था।

अमेरिका को नहीं लगने दी थी भनक

परमाणु परीक्षण को आज भले ही 22 साल बीत गए हैं पर उस समय भी अमेरिकी इंटेलीजेंस एजेंसी 'सीआईए' ऐसी टेकनीक से लैस थी। अमेरिका की यह एजेंसी किसी भी पल भारत के इस परमाणु परीक्षण की खबर दुनिया के सामने खुलासा कर सकती थी। इस परमाणु परीक्षण के दौरान महान वैज्ञानिक अब्‍दुल कलाम आर्मी की वर्दी में मौजूद थे व उनकी इस टेकनीक की वजह से ही उस वक्त भारत ने अमेरिका को इस परीक्षण को लेकर अंधेरे में रखा था। याद रहे उस दौरान ऐपीजे अब्दुल कलाम डीआरडीओ के मुखिया के रूप में थे। भारत को इस बात की जानकारी थी कि सीआईए, पाकिस्‍तान को समर्थन देती है। इस वजह से ही भारत परमाणु परीक्षण की तनकि भी भनक अमेरिका या फिर सीआईए को नहीं लगने देना चाहता था। अमेरिका की एजेंसी सीआईए को इस बात की अशंका थी कि भारत सरकार वर्ष 1974 के बाद फिर से कभी भी परमाणु परीक्षण को अंजाम दे सकती है। इसलिए भारत के परमाणु वैज्ञानिकों के हर कदम पर अमेरिका द्वारा पैनी नजर रखी जा रही थी। आपको बता दें पाकिस्‍तान के तत्कालिन विदेश मंत्री गौहर अयूब खान ने अंतराष्‍ट्रीय स्तर पर अपील की थी कि वो भारत को परमाणु महत्‍वकांक्षाओं को पूरा करने से रोके। पाकिस्‍तान ऐसा इसलिए चाहता था कि क्‍योंकि तत्‍कालीन अर्मी जनरल वीपी मलिक ने यह कहा था कि भारत को अपने परमाणु हथियारों का परीक्षण करने चाहिए। पाकिस्‍तान अपना साहस खो रहा था व सीआईए हाईअलर्ट पर थी।

परीक्षण को सफल बनाने में आर्मी ने की मदद

भारत ने परमाणु परीक्षण को सफल बनाने के लिए भारतीय आर्मी की मदद ली थी। आपको बता दें भारतीय आर्मी की 58 इंजीनियरिंग रेजीमेंट इस परीक्षण का हिस्‍सा बनी थी। सीआईए को मूर्ख बनाने के लिए ट्रक व अन्य साजो-सामान को ऐसे ले जाया गया जैसे कि आम दिनों में ले जाए जाते हैं।

ऐसे दिया गया पूरे मिशन को सफल अंजाम

डॉक्‍टर एपीजे अब्‍दुल कलाम को उस समय एक छद्म नाम दिया गया व वो अब्‍दुल कलाम से कर्नल पृथ्‍वीराज बने गए थे। साथ ही वो कभी भी ग्रुप में टेस्‍ट वाली साइट पर नहीं जाते थे। वो सदैव अकेले सफर करते ताकि किसी को उनकी भनक ना लग सके। आर्मी की वर्दी ने उनके काम और आसान कर दिया। सीआईए जासूसों को लगा कि ये सभी आम आर्मी अफसर हैं। इनका परमाणु वैज्ञानिकों से कोई संबंध नहीं हैं। एपीजे अब्‍दुल कलाम द्वारा आर्मी के कर्नल गोपाल कौशिक के साथ मिलकर पूरी योजना को अंजाम दिया गया था। 10 मई 1998 की रात को ही पूरी योजना पर काम किया गया। इसको ऑपरेशन शक्ति नाम दिया गया था। ऑपरेशन शक्ति के दौरान कई कोड्स थे जैसे व्‍हाइट हाउस, ताज महल व कुंभकरण। डीआरडीओ, एमडीईआर व बार्क के वैज्ञानिक डिटोनेशन जैसे जरूरी काम में मदद कर रहे थे। मीडिया को इससे दूर ही रखा गया। भारतीय आर्मी के चार ट्रकों के माध्यम से सुबह तीन बजे परमाणु बमों को ट्रांसफर किया गया। भारतीय अर्मी के इन ट्रकों को कर्नल उमंग कपूर कमांड कर रहे थे। इस सब के बाद भारत ने तीन बमों को डिटोनेट किया व दुनिया हैरान रह गई। भारत के इस परीक्षण की कई देशों ने निंदा की थी। जिसमें अमेरिका, चीन, कनाडा व जापान सबसे आगे रहे। उस दौरान इन देशों ने भारत पर प्रतिबंध भी लगाए थे। दूसरी ओर रूस, यूनाइटेड किंगडम व फ्रांस द्वारा भारत की निंदा नहीं की गई।

अटल बिहारी वाजपेयी ने किया ऐलान

इसके बाद भारत के तत्कालिन पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने घोषणा की कि भारत ने सफलतापूर्वक परमाणु परीक्षण किया है। उन्‍होंने कहा था कि भारत भी अब परमाणु शक्ति से लैस हो गया है। अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था कि अब हमारे पास भी बड़े बम की क्षमता है। वहीं उन्होंने कहा था कि हमारे बम कभी भी आक्रामकता का हथियार नहीं होंगे।

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