प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सेनाओं ने सौंपा चीन पर जवाबी कार्रवाई का ब्लू प्रिंट, ये है भारत की योजना

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सेनाओं ने सौंपा चीन पर जवाबी कार्रवाई का ब्लू प्रिंट, ये है भारत की योजना
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भारत के लिए सामरिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण लद्दाख के निकट चीन एयरबेस बना रहा है। सैटेलाइट के चित्र इस बात की तस्दीक कर रहे हैं। चीन और भारत के सैनिकों के बीच सीमा पर आपसी विवाद के बाद सीमा से ये बड़ी खबर आई तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में उच्चस्तरीय बैठक आहूत की गई।

भारत के लिए सामरिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण लद्दाख के निकट चीन एयरबेस बना रहा है। सैटेलाइट के चित्र इस बात की तस्दीक कर रहे हैं। चीन और भारत के सैनिकों के बीच सीमा पर आपसी विवाद के बाद सीमा से ये बड़ी खबर आई तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में उच्चस्तरीय बैठक आहूत की गई।

बैठक में तीनों सेनाओं ने पीएम मोदी को जवाबी कार्रवाई के लिए ब्लू प्रिंट सौंपा। आंतरिक सुरक्षा मामलों के सलाहकार अजित डोभाल, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत और तीनों सेना के प्रमुख बैठक में मौजूद थे। सुरक्षा मामलों की मैराथन बैठक के बाद प्रधानमंत्री ने विदेश सचिव हर्षवर्द्धन श्रींगला से भी तकरीबन पौन घंटे चर्चा की।

विश्वस्त सूत्रों ने बताया कि ये बैठक पूर्व निर्धारित थी। ये तभी फिक्स हो गई थी जब रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने सीमा पर हुए चीनी सैनिकों से विवाद पर सीडीएस और तीनों सैन्य प्रमुखों से विस्तार से विमर्श किया था। मगर, सूत्रों ने माना कि मंगलवार की बैठक में काफी देर तक पैंगांग लेक से 200 किमी दूर हाई-एल्टीट्यूड पर बनने वाले इस एयरबेस के सैटेलाइट फोटो का बारीक अध्ययन किया गया। इसके काउंटर पर विचार किया गया।

सूत्रों ने ये भी बताया कि आर्मी चीफ एमएम नरवाने ने दो दिन पहले ही लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) से लौटकर अजित डोभाल को जमीनी हकीकत से रूबरू कराया था। तब चीनी सैनिकों के उकसावे पर भारतीय सेना के कड़ी प्रतिक्रिया का डोभाल ने जमकर समर्थन किया था। उल्लेखनीय है कि गत 5 मई को सीमा पर चीनी और भारतीय सैनिकों के बीच हुए झड़प के बाद दोनों पक्षों के बीच छह राउंड की वार्ता हो चुकी है।

मगर, नतीजा कुछ नहीं निकल सका। सूत्रों ने बताया कि चीन की ओर से सीमा पर शांति बहाली की शर्त रखी गई कि भारत चीन से लगी हुई अपनी सीमावर्ती इलाके में इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ी करने की योजना को रोक दे। जिसे सिरे से खारिज कर दिया गया।

सूत्रों ने बताया कि चीन के पीपुल लिबरेशन आर्मी ने इस बात को लेकर बार-बार चिंता जताई है कि भारत ने भारत-चीन सीमा पर अपनी तरफ 255 किमी लंबी सड़क निर्माण पिछले वर्ष किया जो देसपांग और गलवान पहाड़ी शुरू होकर काराकोनम पास तक जाता है। इस सड़क से बनने से भारतीय सैनिक आराम से अपने सीमा की रक्षा कर सकते हैं, ये चीन को गवारा नहीं।

आज से आर्मी कमांडर काॅन्फ्रेंस

प्रधानमंत्री के साथ सुरक्षा मामले को लेकर उच्चस्तरीय बैठक एक दिन पहले तब आहूत की गई, जब भारत दिल्ली में तीन दिनों का आर्मी कमांडर काॅन्फ्रेंस शुरू होने जा रहा है। कांफ्रेंस पहले 13 से 19 अप्रैल को रखी गई थी, जिसे कोरोना के लॉकडाउन की वजह से अब 27 से 29 मई रखी गई।

चीनी सैनिकों के बराबर भारत भी रखेगा जवान

इधर, भारत और चीन की सेनाओं के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर जारी तनाव के बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को राजधानी में एक हाईलेवल बैठक की। इसमें एलएसी के जमीनी हालात की समीक्षा की गई और आगे रणनीति पर विचार किया गया। बैठक में निर्णय लिया गया कि चीनी सैनिकों की संख्या के मुताबिक ही भारत भी सीमा पर अपने सैनिकों की संख्या रखेगा।

रक्षा मंत्री की अध्यक्षता में करीब एक घंटे से अधिक चली इस बैठक में दो बड़े महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। जिसमें पहला यह था कि लद्दाख के क्षेत्र में एलएसी के करीब भारत जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर को विकसित करने मसलन सड़क और पुल बनाने का काम बंद नहीं करेगा। वह जारी रहेगा। दूसरा एलएसी पर भारतीय सैनिकों की उतनी ही तैनाती रहेगी जितनी कि चीनी सैनिकों की है।

चीन ने तैनात किए फाइटर जेट

भारत से लगती सीमा पर सैन्य झड़पों के बाद चीन ने न केवल अपने सैनिकों को बड़ी संख्या में सीमा के पास तैनात कर दिया है बल्कि ऊंचाईं वाले इलाके में उड़ान भरने के अनुकूल लड़ाकू विमान जे-11 और जे 16एस को भी ऑपरेट करना शुरू कर दिया है। इन तस्वीरों को ओपन सोर्स इंटेलिजेंस एनॉलिस्ट डेटरेफा ने जारी किया है।

शी ने चीन की सेना से कहा, युद्ध की तैयारियां तेज करें

चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने सेना को युद्ध की तैयारियां तेज करने का मंगलवार को आदेश दिया और उससे पूरी दृढ़ता से देश की सम्प्रभुता की रक्षा करने को कहा। देश की सत्तारूढ़ चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) के महासचिव और करीब 20 लाख सैनिकों वाली सेना के प्रमुख 66 वर्षीय शी ने यहां चल रहे संसद सत्र के दौरान पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) और पीपुल्स आर्म्ड पुलिस फोर्स के प्रतिनिधियों की पूर्ण बैठक में हिस्सा लेते हुए यह टिप्प्णी की।

सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ की खबर के मुताबिक, शी ने सेना को आदेश दिया कि वह सबसे खराब स्थिति की कल्पना करे, उसके बारे में सोचे और युद्ध के लिए अपनी तैयारियों और प्रशिक्षण को बढ़ाए, तमाम जटिल परिस्थितियों से तुरंत और प्रभावी तरीके से निपटे। साथ ही पूरी दृढ़ता के साथ राष्ट्रीय सम्प्रभुता, सुरक्षा और विकास संबंधी हितों की रक्षा करे।

उनकी टिप्पणी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत और चीन के बीच करीब 20 दिन से जारी गतिरोध की पृष्ठभूमि में आयी है। हाल के दिनों में लद्दाख और उत्तरी सिक्किम में भारत और चीन की सेनाओं ने अपनी उपस्थिति काफी हद तक बढ़ाई है। यह दोनों देशों की सेनाओं के बीच दो अलग-अलग तनातनी के दो सप्ताह बीत जाने के बाद भी तनाव बढ़ने और दोनों पक्षों के रुख में कठोरता आने का स्प्ष्ट संकेत देता है। करीब 3,500 किलोमीटर लंबी एलएसी दोनों देशों के बीच वस्तुत: सीमा का काम करती है।

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