एलएसी तनाव के बीच अगले महीने म्यांमार का दौरा करेंगे सेनाप्रमुख

सेनाप्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरावणे और विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला अगले महीने सितंबर की शुरूआत में म्यांमार की यात्रा कर सकते हैं। इस दौरान भारत और म्यांमार के द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने, दोनों के बीच चल रही परियोजनाओं की समीक्षा और म्यांमार के सैन्य प्रमुख कमांडर-इन-चीफ सीनियर जनरल मिन आंग हिलियान से मुलाकात कर भारत के विद्रोहियों के मुद्दे पर चर्चा की जा सकती है। रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि भारत के पूर्वी भाग में सक्रिय विद्रोही गुटों को चीन द्वारा दिए जा रहे प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष समर्थन के मुद्दे पर भी इस दौरे में म्यांमार के साथ बातचीत की संभावना है।
आतंकवाद का सिर उठाना चिंताजनक
सूत्रों ने कहा कि म्यांमार में सक्रिय अराकान आर्मी और अराकान रोहिंग्या साल्वेशन आर्मी जैसे दो आतंकवादी समूहों के दोबारा उठ खड़े होने को लेकर भारत काफी चिंतित है। अराकान आर्मी भारत की वित्तीय मदद से व्यापारिक माल परिवहन के लिए कलादान नदी का इस्तेमाल करके म्यांमार के सितवे बंदरगाह को मिजोरम से जोड़ने के लिए तैयार हो रहे 484 मिलियन डॉलर के कलादान मल्टी मॉडल ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट को निशाना बना रही है। खासकर 2018 के अंत में जबसे अराकान आर्मी का विस्तार हुआ है, तबसे उक्त घटनाओं में इजाफा देखने को मिल रहा है। चीन की ओर से उक्त आतंकी समूहों को प्रशिक्षण और हथियारों के रूप में मदद देने की भी बात सामने आई है। उधर म्यांमार दोनों देशों के बीच सुरक्षा सहयोग को बेहतर बनाने के लिए काम कर रहा है। सेनाप्रमुख, विदेश सचिव की यात्रा की प्रारंभिक चर्चाओं में म्यांमार सेना द्वारा एनएससीएन (के), उल्फा, पीएलए और एनएससीएन (आईएम) जैसे विद्रोही समूहों को नियंत्रित करने के लिए सीमा पर और अधिक तादाद में सैनिकों को तैनात करने की इच्छा व्यक्त की गई है।
शीर्ष नेतृत्व से होगी मुलाकात
इस यात्रा के दौरान सेनाप्रमुख और विदेश सचिव म्यांमार के शीर्ष राजनीतिक और सैन्य नेतृत्व से भी मुलाकात करेंगे। इसमें म्यांमार सेना के वरिष्ठ जनरल, उप वरिष्ठ जनरल और स्टेट काउंसलर आंग सान सू की शामिल हैं।
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