Arun Jaitley Death : वित्तमंत्री के तौर पर जेटली के वो फैसले जो मील का पत्थर साबित हुए

Arun Jaitley Death : वित्तमंत्री के तौर पर जेटली के वो फैसले जो मील का पत्थर साबित हुए
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2014 के पहले केंद्र की सत्ता में कबिज मनमोहन सरकार में मंहगाई लगातार बढ़ी। सरकार की तमाम कोशिशों के बाद भी उसपर अंकुश नहीं लगाया जा सका। इसीकारण जनता ने भाजपा को चुना। अरुण जेटली के सामने मंहगाई को कम करने की जिम्मेदारी थी। कठिन आर्थिक माहौल में जेटली ने मंहगाई पर अंकुश लगाया। साथ ही सरकार के विनिवेश लक्ष्यों को हासिल करने में भी सफलता हासिल की।

भारत के पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली (Former Finance Minister Arun Jaitley Death) का शनिवार दोपहर दिल्ली के एम्स में देहांत हो गया। उनके देहांत की खबर के बाद सियासी जगत में शोक की लहर दौड़ पड़ी। भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा (JP Nadda) व लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला (OM Birla) समेत कई बड़े नेता इस समय एम्स पहुंच गए हैं। अरुण जेटली का सियासी सफर बेहतरीन रहा। खासकर उनका वित्त मंत्री के रूप में बीता कार्यकाल हमेशा याद किया जाएगा।

2014 में प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में कबिज हुई मोदी सरकार (Modi Government) में उन्हें वित्त मंत्रालय का जिम्मेदारी दी गई। इस पद के लिए अरुण जेटली को चुने जाने के पीछे का सबसे बड़ा कारण यह भी था कि पिछली कांग्रेस सरकार मंहगाई पर अंकुश लगाने पर नाकामयाब हो गई थी। देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की जिम्मेदारी एक ऐसे इंसान को सौंपा जाना था जिसके अन्दर इसकी क्षमता हो। ऐसे में पार्टी ने अरुण जेटली को ये जिम्मेदारी सौंपी।


2014 के पहले केंद्र की सत्ता में कबिज मनमोहन सरकार (Manmohan Government) में मंहगाई लगातार बढ़ी। सरकार की तमाम कोशिशों के बाद भी उसपर अंकुश नहीं लगाया जा सका। इसीकारण जनता ने भाजपा को चुना। अरुण जेटली के सामने मंहगाई को कम करने की जिम्मेदारी थी। कठिन आर्थिक माहौल में जेटली ने मंहगाई पर अंकुश लगाया। साथ ही सरकार के विनिवेश लक्ष्यों को हासिल करने में भी सफलता हासिल की।

लंबे समय से लंबित जीएसटी बिल (GST Bill) अरुण जेटली के कार्यकाल में ही देशभर में लागू हुआ। जीएसटी को लेकर देश के सभी राज्यों को सहमत कर पाना आसान नहीं था पर वह ऐसा कर दिखाने में कामयाब रहे। हालाकिं सरकार को जीएसटी को लेकर देशभर के व्यापारियों का भारी विरोध झेलना पड़ा। बाद में व्यापारियों के सुझाव लेकर जेटली ने संसोधन भी किया। आज सरकार जीएसटी को अपने सबसे बड़े सुधारों में से एक मानता है।


अरुण जेटली के वित्त मंत्री रहते हुए ही देश में नोटबंदी (Notbandi) की गई थी। इस फैसले के बाद रातोंरात बाजार से 500 और 1000 की नोटों को चलन से बाहर कर दिया था। जेटली के ही कार्यकाल में बेनामी लेनदेन (निषेध) संशोधन कानून को मंजूरी मिली थी। इन्हीं के कार्यकाल में इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (Insolvency and Bankruptcy Code) का कानून बनाया गया। जिसका लाभ आज लोगों को मिल रहा है।

देश में महंगाई को रोकने के लिए मॉनेटरी पॉलिसी फ्रेमवर्क एग्रीमेंट (Monetary Policy Framework Agreement) और मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की स्थापना की। जेटली ने डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर पर जोर दिया जिससे सरकार को करीब 1.20 करोड़ लाख रुपए से अधिक की बचत हुई थी। सरकारी बैंकों का कन्सालिडेशन किया। काला धन (अघोषित विदेशी आय और संपत्ति) पर टैक्स लगाने का कानून भी अरुण जेटली के समय में ही लागू किया गया था।

मोदी सरकार के शुरूआती चार साल वित्त मंत्री रहने के बाद उन्हें स्वास्थ्य संबंधी परेशानी होने लगी। परेशानी इतनी बढ़ गई कि उन्होंने अपना पद ही त्याग दिया। पद त्यागने के बाद वह पार्टी से लगातार जुड़े रहे। जहां भी जरूरत लगी वह वहां खड़े नजर आए। स्वास्थ्य कारणों से ही वह 2019 में लोकसभा (Lok Sabha Election 2019) का चुनाव लड़ने नहीं उतरे। आज उनके निधन से देश में दुख का माहौल है।

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