जानें कैसी रही DU के छात्र अध्यक्ष अरुण जेटली की 1974 से 2014 तक की अंतिम चुनाव यात्रा

पूर्व वित्त मंत्री (Former Finance Minister) और भाजपा (BJP) के चाणक्य कहे जाने वाले अरुण जेटली (Arun Jaitley) का शनिवार 12 बजकर 07 मिनट पर दिल्ली (Delhi) के एम्स (AIIMS) अस्पताल में निधन हो गया। निधन की खबर के बाद परिवार से लेकर राष्ट्रीय राजनीति में शोक की लहर है। सांस में दिक्कत की शिकायत के बाद उन्हें अस्पताल में 9 अगस्त को भर्ती किया गया था। उनके निधन पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, पीएम मोदी, अमित शाह, राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी समेत तमाम नेताओं ने शोक व्यक्त किया है।
उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी सरकार से लेकर मोदी सरकार के पहले कार्यकाल तक सरकार में एक मुख्य भूमिका निभाई। हमेशा जब भी पार्टी या नेता पर कोई संकट आया तो वो ही संकटमोचन बनकर सामने आई। अरुण जेटली ने अपने जीवन की शुरुआत एक छात्र नेता को रूप में शुरू किया था। दिल्ली यूनिवर्सिटी से लॉ की पढ़ाई की और इसी दौरान उन्होंने दिल्ली में छात्र नेता के अध्यक्ष के रूप में पहला चुनाव लड़ा और जीत हासिल की।
1974 से लेकर 2014 के अंतिम चुनाव तक का सफर 1974 में (Arun Jaitley Election Journey)
1. साल 1973 में दिल्ली यूनिवर्सिटी से लॉ की पढ़ा के दौरान ही वो 1974 में दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र संघ के अध्यक्ष बन गए। दिल्ली विश्वविद्यालय में एबीवीपी के विद्यार्थी नेता के रूप में चुनाव जीता था। यहीं से उनके राजनीतिक करियर की शुरुआत हुई। अरुण जेटली 70 के दशक में दिल्ली विश्वविद्यालय में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के छात्र कार्यकर्ता रहे।
2. उसके बाद वो साल 1977 में जनसंघ पार्टी में शामिल हुए और एबीवीपी के अखिल भारतीय सचिव के पद पर नियुक्त हुए।
3. साल 1980 में भारतीय जनता पार्टी के युवा मोर्चा के अध्यक्ष बनाए गए। यहीं से उनका भाजपा में एक राजनीतिक करियर शुरू हुआ था। इसके बाद वो पार्टी में आगे बढ़ते गए।
4. 1991 में उन्हें भारतीय जनता पार्टी में राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य बनाया गया। इसके बाद उन्हें साल 1999 में अटल सरकार में सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बनाया गया।
5. 2000 में अटल सरकार में ही केंद्रीय मंत्री बनाए गए। उन्हें जहाजरानी मंत्रालय दिया गया। इसी दौरान भाजपा में जेटली का कदम कम नहीं हुआ और वो 2002 में पार्टी से राष्ट्रीय सचिव बनाए गए।
6. उसके बाद 2003 में दो मंत्रालय दिए गए। जिसमें एक कानूम मंत्रालय और दूसरा उद्योग मंत्री बने। इसके बाद सरकार गई लेकिन जेटली आगे बढ़ते गए। 2009 में राज्यसभा से विपक्ष के नेता चुने गए। उन्होंने कांग्रेस और यूपीए के 10 साल के कार्यकाल के दौरान सरकार की जमकर आलोचना की।
7. इसके बाद 2014 का लोकसभा चुनाव आया और नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भाजपा की सरकार बनी। तो अरुण जेटली भाजपा के संकटमोचन बन गए और पहले कार्यकाल के दौरान उन्हें वित्त मंत्रालय दिया गया। 2014 में जब बीजेपी ने नरेंद्र मोदी की अगुवाई में लोकसभा चुनाव लड़ा, तब वे पहली बार अमृतसर से लोकसभा चुनाव लड़े और केंद्रीय मंत्री बनाया गया। लेकिन उसके बाद साल 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने चुनाव लड़ने से मना कर दिया। इसके लिए उन्होंने पीएम मोदी को स्वास्थ्य का हवाला देते हुए पत्र लिखा था।
अरुण जेटली फैमिली (Arun Jaitley Family Background)
पूरा नाम: अरुण जेटली
जन्मतिथि: 28 दिसंबर, 1952
जन्म स्थान: दिल्ली
पिता का नाम: महाराज किशन जेटली
माता का नाम: रतन प्रभा जेटली।
पत्नी का नाम: संगीता जयलेय
बच्चे: बेटा रोहन और बेटी सोनाली
शिक्षा: श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स, नई दिल्ली से बी.कॉम और दिल्ली विश्वविद्यालय से एल.एल.बी.
व्यवसाय: वकील और राजनीतिज्ञ
अरुण जेटली के पिता एक वकील थे। जेटली ने अपनी स्कूली पढ़ाई दिल्ली के सेंट जेवियर्स स्कूल से की है। उसके बाद वो 1973 में दिल्ली यूनिवर्सिटी में श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से कॉमर्स में ग्रेजुएशन की पढ़ाई की। फिर 1977 में यहीं से लॉ की डिग्री हासिल की। अरुण जेटली की पत्नी संगीता का संबंध जम्मू-कश्मीर से है। वो पूर्व वित्त मंत्री गिरधारी लाल डोगरा की बेटी है। दोनों के दो बच्चे हैं, रोहन और सोनाली। दोनों ही पेश से वकील हैं।
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