बड़ी खबर: अरुणाचल तक पहुंची चीन की रेल लाइन, क्या जंग की तैयारी कर रहा है ड्रैगन?

चीन ने अरुणाचल प्रदेश तक पहुंचने वाले सीमांत इलाकों तक निर्माण तेज़ कर दिया है। दूसरी तरफ, समृद्ध चीनी इलाकों के लोगों को अरुणाचल बोर्डर से सटे तिब्बत के दूरस्थ इलाकों में रणनीतिक निवेश करने के लिए भी चीन प्रोत्साहित कर रहा है। ऐसी ही कोशिशों का नतीजा है कि चीन की एक महत्वपूर्ण रेलवे लाईन अरुणाचल की सीमा के बहुत नज़दीक पहुंच चुकी है। इस रेलवे लाइन के बनने से चीन की पहुंच अरुणाचल प्रदेश के लगभग बॉर्डर तक हो जाएगी। चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने इस प्रोजेक्ट से जुड़े टेंडर प्रक्रिया के पूरी होने की घोषणा की है।
चीन रेलवे ने शनिवार को इस रूट पर बनने जा रहे दो सुरंग और एक पुल के निविदा नतीजों का ऐलान किया। इसके अलावा यान-लिंझी लाइन को बिजली आपूर्ति करने वाली टेंडरिंग भी फाइनल हो गई है। सिचुआन-तिब्बत रेलवे तिब्बत में चीन का दूसरा प्रोजेक्ट है। इससे पहले चीन किंघाई-तिब्बत प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है। ये रेल लाइन किंघाई-तिब्बत पठार से होकर गुजरेगी।
बता दें कि सिचुआन-तिब्बत रेलवे लाइन तिब्बत के जिस लिंधी में समाप्त होगी, वो स्थान अरुणाचल प्रदेश के बॉर्डर से काफी नजदीक है। उल्लेखनीय है कि चीन अरुणाचल प्रदेश को भी अपना हिस्सा मानता है। चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा मानता है। भारत ने चीन के इस दावे का सख्ती से विरोध किया हुआ है और कहा है कि संपूर्ण अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग है।
चीन के ये कदम इस बात का संकेत है कि बीजिंग इस प्रोजेक्ट पर जल्द काम शुरू करने जा रहा है। बता दें कि सिचुआन-तिब्बत रेलवे लाइन सिचुआन की राजधानी चेंगडू से शुरू होगी। इस रेल लाइन के बनने के बाद ल्हासा तक की 48 घंटे यात्रा मात्र 13 घंटे में संभव हो सकेगी। ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक सिचुआन-तिब्बत रेलवे लाइन की लंबाई 1011 किलोमीटर होगी। इस रूट पर ट्रेनें 120 किलोमीटर प्रति घंटे से लेकर 200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलेगी। इस प्रोजेक्ट पर चीन भारी भरकम 47.8 अरब डॉलर खर्च करेगा।
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