Uniform Civil Code: असदुद्दीन ओवैसी बोले- देश को यूनिफॉर्म सिविल कोड की जरूरत नहीं, लॉ कमीशन ने भी....

Uniform Civil Code: असदुद्दीन ओवैसी बोले- देश को यूनिफॉर्म सिविल कोड की जरूरत नहीं, लॉ कमीशन ने भी....
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ओवैसी (AIMIM Chief) ने कहा, केंद्र की मोदी सरकार (Modi Govrnment) अन्य मुद्दों पर विचार क्यों नहीं करती? देश की अर्थव्यवस्था (Economy) चौपट हो गई है, देश में बेरोजगारी (Unemployment) बढ़ती जा रही है।

देश में समान नागरिक संहिता (यूनिफॉर्म सिविल कोड- Uniform Civil Code) पर नेताओं की बयानबाजी का दौर जारी है। औरंगाबाद में नागरिक संहिता पर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम- AIMIM)) चीफ असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने बयान दिया है। एआईएमआईएम (All India Majlis-e-Ittehadul Muslimeen) के चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने समान नागरिक संहिता पर सवाल उठाते हुए कहा, लॉ कमीशन (Law Commission) ने खुद यह बोला है कि भारत (India) में समान नागरिक संहिता की कोई आवश्यकता नहीं है। हम समान नागरिक संहिता के खिलाफ हैं।

ओवैसी (AIMIM Chief) ने कहा, केंद्र की मोदी सरकार (Modi Govrnment) अन्य मुद्दों पर विचार क्यों नहीं करती? देश की अर्थव्यवस्था (Economy) चौपट हो गई है, देश में बेरोजगारी (Unemployment) बढ़ती जा रही है। महंगाई भी बढ़ रही है और आप 'समान नागरिक संहिता' (UCC) को लेकर चिंतित हैं। देश को यूनिफार्म सिविल कोड की जरूरत नहीं है।

एएआईएमआईएम चीफ ने गोवा का उदाहरण देते हुए कहा, गोवा (Goa) में कोई हिंदू (Hindu) भाई शादी करता है और संतान नहीं होने की स्थिति में व्यक्ति दूसरी शादी कर सकता है। इस पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) क्या कहेगी? क्योंकि गोवा में तो भारतीय जनता पार्टी की ही सरकार (BJP Govt) है। ऐसे उदाहरणों के साथ ओवैसी ने समान नागरिक संहिता ​यूनिफॉर्म सिविल कोड पर सवाल उठाए हैं।

जाने क्या है समान नागरिक संहिता या यूनिफॉर्म सिविल कोड

जानकारी के लिए आपको बता दें कि यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी भारत में रहने वाले हर नागरिक के लिए एक जैसा कानून है। व्यक्ति चाहे किसी भी जाति या धर्म से ताल्लुक रखाता हो, देश का कानून समान रूप से लागू होगा। समान नागरिक संहिता में विवाह (शादी), तलाक और जमीन के मामले में भी सभी धर्मों के लिए एक ही कानून लागू होने की बात कही गई है।यदि देश में समान नागरिक संहिता (यूनिफॉर्म सिविल कोड) लागू होने से हर जाति और धर्म के लिए एक जैसा कानून होगा। मौजूदा समय में मुस्लिम, ईसाई और पारसी के लिए अलग पर्सनल लॉ है। जबकि सिविल कोड के तहत ही हिंदू, सिख, जैन और बौद्ध अपने केसों का निपटारा करते हैं।

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