प्रधानमंत्री की बैठक में 25 मिनट बोले अशोक गहलोत, तो अमित शाह ने बनाया यह नियम

बैठक मुकर्रर थी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में देश के सभी मुख्यमंत्रियों के साथ। विषय था - लॉकडाउन - 3 के बाद क्या? सभी प्रदेशों के मुख्यमंत्री पूरी तैयारी के साथ आये। खास कर कांग्रेस शासित प्रदेशों के मुख्यमन्त्री।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमन्त्री ममता बनर्जी भी बैठक के दौरान अपनी रौ में रहीं। अभी तक हुई चार बैठकों में ये पहला अवसर था जब सभी मुख्यमंत्रियों को बोलने का मौका प्रधानमंत्री ने दिया।
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बोलना शुरू किया। 25 मिनट तक निर्बाध बोलते रहे। राज्य को विशेष पैकेज से लेकर कोविड - 19 को लेकर किये गए अब तक के उपायों की चर्चा, सब की। बैठक में मौजूद गृहमंत्री अमित शाह मौके के नजाकत को भांप गए। फ़ौरन बैठक की कमान अपने हाथों में ली।
बोले, सभी मुख्यमंत्री कृपया 5 मिनट में अपनी बात रखें। उन्होंने चुटकी ली, सभी अशोक जी की तरह 25 मिनट बोलना शुरू कर देंगे तो रात के तीन बज जायेंगे। उसके बाद अमित शाह की घंटी सभी मुख्यमन्त्री के बोलने की समय सीमा तय करती रही। 4 मिनट होते ही अमित शाह की घंटी बजती, साथ में नसीहत, आपके एक मिनट और बचे हैं।
मगर मध्यप्रदेश के मुख्यमन्त्री शिवराज सिंह चौहान को तय समय 5 मिनट भी नहीं दिया गया। उनकी बारी आई तो अमित शाह ने आदेशनुमा अंदाज में कहा, शिवराज जी दो मिनट में अपनी बात खत्म कीजिये। उन्होंने वैसा ही किया। आदेश शिरोधार्य किया। बैठक परिचालन से ये तय हो गया था कि गैर भाजपा राज्यों के मुख्यमंत्रियों को ज्यादा समय मिलेगा। वही हुआ।
ममता बनर्जी का जब बोलने का समय आया कोई टोकाटाकी नहीं हुई। वो गुस्से में थी। गृहमंत्री और गृह सचिव के लगातार पत्र को वो गैर वाजिब बता रही थी। अपने खास अंदाज में ममता दी ने कहा, कोरोना से लड़ो, आपस में नहीं। राजनीति मत खेलो। तब तक बैठक का ट्रेंड सेट हो गया था। लॉकडाउन नहीं बढ़ेगा ये भी टोन सेट हो गया था। बिहार के मुख्यमन्त्री नितीश कुमार लॉकडाउन बढ़ाये जाने की अकेले वकालत करते रहे।
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