मध्य प्रदेश: ASI ने की बड़ी खोज, बांधवगढ़ में मिली सदियों पुरानी कई ऐतिहासिक धरोहर, मंदिरों की देखें तस्वीरें

भारतीय पुरातत्व विभाग (Archaeological Department of India) की टीम ने इस साल एक सर्च ऑपरेशन ( Search Operation) के तहत मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ में कई प्राचीन चीजों की खोज (find ancient things) की है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (Archaeological Survey of India) के जबलपुर अंचल अधिकारी शिवकांत वाजपेयी (Shivkant Vajpayee) के अनुसार, बाधवगढ़ का टाइगर रिजर्व (Tiger Reserve) 1100 वर्ग मीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है।
फिलहाल तलगर क्षेत्र में तलाशी अभियान ( Search Operation) जारी है, जिसमें 26 गुफाएं मिली हैं। इन गुफाओं का निर्माण चट्टानों को काटकर किया गया है। इनमें से कुछ महायान बौद्ध धर्म से जुड़े हैं। गुफाओं के साथ-साथ ब्राह्मी और अन्य भाषाओं में 24 शिलालेख मिले हैं, जिनमें मथुरा, कौशाम्बी, पावत, वेजभरदा, सप्तनैरिका जैसे कई जिलों के नामों का भी उल्लेख है। शिवकांत वाजपेयी ने कहा बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व 26 गुफाएं मिली हैं। ये गुफाएं इतनी बड़ी हैं कि उनमें 30 से 40 लोग एक साथ रह सकते हैं।
In Bandhavgarh Forest Reserve, remarkable archaeological remains unraveled by @ASIGoI. In an exploration 26 temples, 26 caves, 2 monasteries, 2 votive stupas, 24 inscriptions, 46 sculptures, other scattered remains & 19 water structure are recorded. (1/3) pic.twitter.com/wIZ71B5fkQ
— Archaeological Survey of India (@ASIGoI) September 28, 2022
इसमें से कुछ गुफाओं में बौद्ध गुफा काल के साक्ष्य भी मिले हैं। हमें बौद्ध धर्म से संबंधित होने के प्रमाण मिले हैं। महाराष्ट्र में जिस तरह की गुफाएं होती हैं, ये ऐसी गुफाएं हैं। साथ ही 26 मंदिर और उनके अवशेष भी मिले हैं। ये मंदिर करीब 2 हजार साल पुराने (2 thousand years old temple) हैं। इसमें बोर्ड गेम के अवशेष भी मिले हैं जिससे लोग टुकड़ों का खेल खेलते थे। वही विष्णु और वराह की लेटी हुई मूर्तियाँ भी मिली हैं। अभी हम सिर्फ लॉक रेंज के एरिया को ही सर्च कर पाए हैं।
The time period of the findings covered the reigns of the kings Shri Bhimsena, Maharaja Pothasiri, Maharaja Bhattadeva. Places deciphered in the inscriptions are Kaushami, Mathura, Pavata (Parvata), Vejabharada and Sapatanaairikaa. (2/3) pic.twitter.com/DkrGNRx0Ql
— Archaeological Survey of India (@ASIGoI) September 28, 2022
उन्होंने बताया कि बाधवगढ़ में काम करना आसान नहीं है, यह पूर्ण टाइगर रिजर्व है, इसलिए वन विभाग से अनुमति लेकर यहां अभियान चलाया जा रहा है। बाजपेयी ने बताया कि यहां पाए गए बौद्ध स्तूपों वाले स्तंभ और मनौती स्तूप ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। दुनिया का सबसे बड़ा वराह भी मिला है जो 6.4 मीटर ऊंचा है। इससे पहले मिली सबसे ऊंची वराह मूर्ति की ऊंचाई 4.26 मीटर थी। इनके अलावा मुगल काली और शर्की शासन के समय के सिक्के भी मिले हैं।
An ASI team covered nearly 170 sq km falling in the area of the Bandhavgarh Tiger Reserve over months-long exploration of the region which was undertook for the first time since 1938.
— Archaeological Survey of India (@ASIGoI) September 28, 2022
The exploration was conducted by the Jabalpur Circle of ASI. (3/3) pic.twitter.com/c3qD0qpzIu
उन्होंने कहा कि बांधवगढ़ का ऐतिहासिक उल्लेख नारद पंचरात्र और शिव पुराण (Shiv Purana) में है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान राम ( Lord Ram) ने अयोध्या (Ayodhya) लौटते समय अपने छोटे भाई लक्ष्मण को यह क्षेत्र उपहार में दिया था। इस क्षेत्र से प्राप्त प्राचीन अभिलेखों से पता चलता है कि यह बहुत लंबे समय तक माघ वंश के अधीन था। एएसआई ने 1938 में बांधवगढ़ वन अभ्यारण्य में गुफाओं की भी खोज की थी।
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