चुनाव से पहले मुफ्तखोरी के वादे को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और EC को जारी किया नोटिस, 4 हफ्ते में मांगा जवाब

देश की सबसे बड़ी अदलात (सुप्रीम कोर्ट) ने मगलवार को एक जनहित याचिका (Public Interest Litigation) पर केंद्र सरकार (Central Government) और चुनाव आयोग (Election Commission) को नोटिस (Notice) जारी किया है। जिसमें राजनीतिक दलों की मान्यता रद्द करने की मांग की गई है, मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने नोटिस जारी किया है। वही इस पर कोर्ट ने चार हफ्ते में जवाब भी मांगा है।
आपको बता दें कि भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय (Ashwini Upadhyay) ने एक याचिका दायर की थी, जिसमें अपील की गई थी कि चुनाव से पहले मतदाताओं को रिझाने के लिए मुफ्त उपहार और बेवजह वादे करने वाली पार्टियों की मान्यता रद्द की जाए। उन्होंने कहा था यह संविधान का उल्लंघन है। चुनाव आयोग (Election Commission) को इस संबंध में उचित कदम उठाने चाहिए।
वहीं सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पूछा कि जब सभी राजनीतिक दल इस तरह के मुफ्त तोहफे देने का वादा कर रहे हैं तो आपने याचिका में सिर्फ दो पक्षों का ही जिक्र क्यों किया? बाकी का उल्लेख क्यों नहीं किया गया? कोर्ट ने इस मामले में केंद्र और चुनाव आयोग (Election Commission) को नोटिस जारी किया है। इस पर चार हफ्ते में जवाब मांगा गया है। शीर्ष अदालत में दायर याचिका में अनुचित वादे करने या चुनाव से पहले जनता के पैसे से मुफ्त उपहार बांटने वाले राजनीतिक दल का पंजीकरण रद्द करने की मांग की गई थी।
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