Mizoram Result: रुझानों में ZPM ने किया बहुमत का आंकड़ा पार, जानें कौन हैं लालदुहोमा जो अब बन सकते हैं मिजोरम के CM

Mizoram Assembly Election Result: चार राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजे बीते दिन यानी 3 दिसंबर को आ गए हैं। जिसमें मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में बीजेपी को बंपर जीत मिली तो वहीं कांग्रेस के हाथ सिर्फ तेलंगाना लगा। इस बीच आज 4 दिसंबर को मिजोरम विधानसभा चुनाव के नतीजे आ रहे हैं। अब तक के आए रुझानों में जेडपीएम (ZPM) सत्ता में वापसी करती दिख रही है तो वहीं एमएनएफ (MNF) के हाथ से सत्ता की कुर्सी फिसलती दिख रही है। जबकि बीजेपी 3 सीट पर बढ़त बनाए हुई है तो कांग्रेस सिर्फ 1 सीट पर आगे चल रही है। मिजोरम में विधानसभा 2023 के लिए प्रदेश की 40 सीटों के लिए 7 नवंबर को वोटिंग हुई थी। यहां मुख्यमंत्री जोरमथंगा के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ नेशनल फ्रंट (एमएनएफ), जोरम पीपल्स मूवमेंट (जेडपीएम) और कांग्रेस के बीच त्रिकोणीय मुकाबला रहा है।
सीएम जोरमथांगा अपनी सीट से चल रहे पीछे
जोरम पीपुल्स मूवमेंट (ZPM) के लीडर लालदुहोमा अपनी सीट से आगे चल रहे हैं, जबकि वर्तमान मुख्यमंत्री और एमएनएफ चीफ जोरमथांगा अपनी सीट से पीछे चल रहे हैं। ऐसे में अब सबकी निगाहें 74 वर्षीय पूर्व आईपीएस अधिकारी लालदुहोमा और उनकी पार्टी जोरम पीपुल्स मूवमेंट (जेडपीएम) के प्रदर्शन पर टिकी हैं। अब लोगों के जहन में सवाल ये उठ रहा है कि आखिर पूर्व भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के एक अधिकारी की राजनीतिक में एंट्री कब हुई और कैसे मिजोरम के सबसे बड़े चेहरे के रूप में अपनी पहचान बनाने तक का सफर उन्होंने किया।
पूर्व IPS अधिकारी हैं लालदुहोमा
बता दें कि जरम पीपुल्स मूवमेंट के 74 वर्षीय संरक्षक, लालदुहोमा ने शुरुआत में भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के एक अधिकारी के रूप में अपना करियर शुरू किया और तटीय राज्य गोवा में सेवा की। फिर बाद में उन्हें राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में स्थानांतरित कर दिया गया। दिल्ली में उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सुरक्षा के प्रभारी के रूप में अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया। इसके बाद 1984 में पुलिस की नौकरी छोड़कर राजनीति में आ गए। नौकरी छोड़ने के बाद उन्होंने जोरम पीपुल्स मूवमेंट (ZPM) की स्थापना की और 1984 में लोकसभा में पहुंच कर इतिहास रच दिया। हालांकि, उनकी राजनीतिक गति में तब बदलाव आया जब वह दल-बदल विरोधी कानून के तहत अयोग्यता का सामना करने वाले पहले सांसद बने। दरअसल, 1988 में उन्होंने कांग्रेस छोड़ी और दलबदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य करार दिए गए। इससे उनकी लोकसभा सदस्यता चली गई। इसके बाद उन्होंने जोरम पीपुल्स फ्रंट (ZPM) बनाई।
सदस्यता गवांने के बाद भी काम करना जारी रखा
सदस्यता जाने के बावजूद लालदुहोमा ने मिजोरम में काम करना जारी रखा और अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। पिछले विधानसभा चुनाव में, उन्हें ZNP के नेतृत्व वाले ज़ोरम पीपुल्स मूवमेंट (ZPM) गठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में चुना गया था। दल बदल विरोधी कानून का उल्लंघन करने के लिए उन्हें 2020 में विधानसभा के सदस्य के रूप में भी अयोग्य घोषित कर दिया गया था, लेकिन उन्होंने 2021 में सेरछिप सीट से उपचुनाव जीता।
2018 में MNF को मिली थी 26 सीटों पर जीत
बता दें कि मिजोरम में हुए 2018 के विधानसभा चुनाव में, भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए के घटक एमएनएफ ने 26 सीटें जीती थीं और कांग्रेस को सत्ता से बाहर कर दिया था। जेडपीएम 8 सीटों पर विजयी हुई थी, जबकि कांग्रेस केवल 5 सीटों के साथ तीसरे स्थान पर खिसक गई, जबकि 2013 में उसे 34 सीटें मिली थी।
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