अयोध्या भूमि विवाद : जिसके खिलाफ आएगा फैसला वो उठा सकता है ये कदम

अयोध्या भूमि विवाद : जिसके खिलाफ आएगा फैसला वो उठा सकता है ये कदम
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सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या भूमि विवाद पर हर पक्ष को 6 अगस्त से लगातार 40 दिनों तक सुना। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई में 5 सदस्यीय बेंच ने 165 घंटों तक सुना।

अयोध्या भूमि विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट कल यानी शनिवार को फैसला सुनाएगा। फैसले के पहले सुरक्षा व्यवस्था को दुरुस्त कर दिया गया है। किसी तरह की अनहोनी से बचने के लिए स्कूल, कॉलेजो को बंद करने का आदेश जारी कर दिया गया है। सुरक्षा के मद्देनजर पूरी अयोध्या नगरी को छावनी में तब्दील कर दिया गया है। फैसले को लेकर एक तरफ जहां लोगों में कौतुहल है वहीं एक बात ये भी है कि जिसके खिलाफ फैसला आया उसके लिए आगे का रास्ता क्या होगा?

सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या भूमि विवाद पर हर पक्ष को 6 अगस्त से लगातार 40 दिनों तक सुना। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई में 5 सदस्यीय बेंच ने 165 घंटों तक सुना। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को सुनने के बाद अब फैसला देने का दिन तय कर दिया है, वह कुछ भी फैसला दे सकता है। ऐसे में आगे की स्थिति क्या होगी, क्या यह अंतिम फैसला होगा और सभी पक्षों को इस फैसले पर रजामंदी देनी होगी।

दरअसल जब किसी के पक्ष में फैसला नहीं आएगा तो उस वर्ग में नाराजगी स्वाभाविक है। ऐसे में वह कोर्ट के फैसले के बाद पुनर्विचार याचिका डालने का मौका होगा। इसके लिए सभी पक्षों को रजामंदी देनी होगी। पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ही सुनवाई करेगा। कोर्ट ये तय करेगा कि पुनर्विचार याचिका को वह कोर्ट में सुनेगा या फिर चैंबर में ही सुनकर इसपर फैसला करेगा।

कोर्ट अपने स्तर पर पुनर्विचार याचिका को खारिज भी कर सकती है, या फिर इससे ऊपर के बेंच में स्थानांतरित कर सकती है। कोर्ट के पिछले फैसलों को देखें तो अब तक के इतिहास बताते हैं कि बेंच अपने स्तर पर ही याचिका पर फैसला लेता आया है। कोर्ट के फैसले के बाद पुनर्विचार याचिका दूसरा और अंतिम विकल्प है। इसी लिए इस क्यूरेटिव पिटीशन भी कहा जाता है।

इस याचिका को डालने वाले वाला पक्ष उन विषयों पर कोर्ट का ध्यान ले जाने की कोशिश करेगा जिसपर कोर्ट ने ध्यान नहीं दिया। इस मामले में भी कोर्ट के पास ये अधिकार होता है कि वह याचिका के अनुसार सुनवाई करे या फिर उसे खारिज कर दे। और उसके इस फैसले के बाद केस खत्म हो जाता है और कोर्ट का ही फैसला सर्वमान्य हो जाता है। फिलहाल इस समय सबकी निगाह कोर्ट के फैसले पर लगी हुई है।

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